तीन माह बाद मिली मजदूरी, चेहरे खिले
संवाद सहयोगी जामताड़ा जामताड़ा में हजारों मनरेगा मजदूरों के चेहरे गुरुवार को खिले थे। उनके
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : जामताड़ा में हजारों मनरेगा मजदूरों के चेहरे गुरुवार को खिले थे। उनके घर में भी खुशियां थीं। आखिर क्यों न हो, तीन माह बाद उनकी मेहनत की कीमत मिलनी शुरू हुई। वे स्वजनों का पेट भरने के लिए लगातार पसीना बहा रहे थे फिर भी जेब खाली थी। आर्थिक तंगी के कारण कई लोगों ने दूसरा काम तलाश लिया।
जिले में करीब डेढ़ लाख निबंधित महिला-पुरुष मजदूर है। इनमें प्रतिदिन करीब 40,000 महिला पुरुष मजदूर 3000 योजनाओं में काम कर रहे हैं। जून से मजदूरी राशि का भुगतान लंबित था। परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। इसके लिए वे लगातर प्रशासन से गुहार लगा रहे थे। दर्जनों मजदूरों ने मनरेगा के काम छोड़ कम मजदूरी पर दूसरा काम करना शुरू कर दिया था। गुरुवार को भुगतान बैंक खाते में आते ही मजदूरों के चेहरे खिल गए।
मजदूर इलियास अंसारी ने बताया की प्रतिदिन काम करने के बावजूद भी मजदूरी राशि लंबे समय तक भुगतान नहीं होने के कारण मनरेगा योजना छोड़कर दूसरे रोजगार में जुट गए थे। हालांकि कम मजदूरी मिल रहा है। अब भुगतान बैंक खाते में हो गया है। परिवार में उत्साह का माहौल है। फिर से मनरेगा योजना में काम करना आरंभ कर दूंगा। करमाटांड़ प्रखंड के बाबूजन कोल ने बताया कि दो माह तक मजदूरी नहीं लिी थी। जामताड़ा प्रखंड के सुरेंद्र टुडू ने कहा कि मनरेगा योजना मजदूरों के जीवन का पालन का महत्वपूर्ण माध्यम है ऐसे विषम परिस्थिति में शासन प्रशासन को नियमित भुगतान करने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि महामारी की विषम परिस्थिति में भी स्थानीय मजदूर व प्रवासी मजदूर दोनों को दैनिक मजदूरी गांव स्तर पर मिल सके।
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राशि के अभाव रहने के कारण मजदूरों का भुगतान बाधित था। आवंटन उपलब्ध होते ही संबंधित मजदूरों के बैंक खाते में लंबित मजदूरी राशि का भुगतान कर दिया गया है। जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि मजदूरों की मजदूरी राशि नियमित रूप से भुगतान हो साथ ही अधिक से अधिक महिला पुरुष मजदूरों को गांव स्तर पर काम मिले।
अनिलसन लकड़ा, उप विकास आयुक्त, जामताड़ा