कोयडीहा के ग्रामीण रजैया नदी से बुझाते हैं प्यास
मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समुचित व्यवस्था करने में सरकार नाकाम
मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समुचित व्यवस्था करने में सरकार नाकाम रही है। इसका उदाहरण नारायणपुर प्रखंड के नावाडीह पंचायत के कोयडीहा गांव में देखा जा सकता है। इस गांव के 20 से 25 घर के ग्रामीण गांव से सटे रजैया नदी के पानी पर आश्रित हैं। इन्हें गर्मी, बरसात, क्या जाड़ा सभी मौसम में इसी नदी के जल से प्यास बुझाना पड़ता है। ग्रामीणों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी में ही छोटा सा चुवां खोद रखा है। वहीं से लोग पानी ढोते हैं। दिन भर ग्रामीणों का जमावड़ा वहां पानी लेने को लगा रहता है।
सिर्फ कोयडीहा गांव के ही लोग ही नहीं, इस नदी के पानी से नारायणपुर पंचायत के चरकपानी गांव के एक टोले के लोग भी अपनी प्यास बुझाते हैं। दोनों ही गांव के लोग इस गर्मी में पानी के लिए रोज पसीना बहाते हैं। कहने को तो वर्षो पूर्व उक्त दोनों गांव में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने चापाकल लगाने का कार्य किया। इनमें एक-दो चापाकल ही दुरुस्त है। कई चापाकल पानी उगलना इसलिए बंद कर दिया है कि जलस्तर पाताल जा चुका है। गांव के जिस टोले में चापाकल दुरुस्त है वहां लोगों की भीड़ रहती है।
----सोलर जलापूर्ति भी फेल : ज्ञात हो पिछले वर्ष ही ग्रामीणों को सोलर आधारित जलापूर्ति योजना के तहत पानी की उपलब्धता के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग तथा 14वें वित्त आयोग के तहत कई स्थानों व गांवों में कार्य किए। उसका एक ही उद्देश्य था कि लोगों को बोरिग के माध्यम से फिल्टर किया हुआ पानी उपलब्ध हो सके। हालांकि यह योजना बहुत सफल अभी तक नहीं दिख रही है। कई गांव में योजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हैं। लेकिन दुर्भाग्य कहिए कि यदि कोयडीहा और चरकपानी के उक्त दोनों टोलों में पेयजल की बेहतर व्यवस्था रहती तो महिला-पुरुष को नदी की दूरी नहीं नापना पड़ता। ग्रामीणों ने उपायुक्त से गांव में पेयजल संसाधन मुहैया कराने की मांग की है।
क्या कहते हैं ग्रामीण : ----कोयडीहा गांव के पुल से सटे टोले में पेयजल की समुचित व्यवस्था सरकारी स्तर से अब तक नहीं हुई है। हम लोग कई बार पदाधिकारी से लेकर विभाग को पत्र लिखें। हमारे पत्र पर किसी प्रकार का कोई सकारात्मक कदम विभाग के स्तर से नहीं उठाया गया। नदी के पानी से ही लोग अपना प्यास बुझाते हैं।
फारूक अंसारी, ग्रामीण
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यदि हमारे गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था रहती तो हम नदी के पानी का सेवन करने को विवश नहीं होते। हमारे टोले में ऐसा प्रबंध है ही नहीं। यही कारण है कि हम नदी का पानी का सेवन करते हैं। चापाकल बेकार है। कुआं से पानी मिलता नहीं। जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते।
बकरीद अंसारी, ग्रामीण
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सरकार कई योजनाओं में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन ग्रामीणों की मूलभूत समस्या पर ध्यान नहीं देती। हम अपनी कमाई से कितना ही भोजन करें यदि हमारे शरीर में शुद्ध पानी नहीं पहुंचेगा तो निश्चित रूप से हम अक्सर बीमार पड़ते रहेंगे। अधिकारी गांव में जलापूर्ति की व्यवस्था कराए।
शहीदन बीबी, ग्रामीण
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हमें अब तक शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ है। जब से हम इस टोले में बसे हैं नदी से ही पानी ढो रहे हैं। सरकार का ध्यान नहीं है हम उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। सरकार को हमारे लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए।
समशुन्न बीबी, ग्रामीण
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क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि : अब भी उक्त दोनों टोलों के लोग नदी से पानी ले जाकर पीने का कार्य करते हैं तो यह बहुत गंभीर मामला है। उपायुक्त को उक्त दोनों टोला में पेयजल का बेहतर प्रबंध कराने की मांग करेंगे। गर्मी में तो पेयजल की व्यवस्था होनी ही चाहिए। चापाकल खराब है तो उसे दुरुस्त कराया जाएगा।
अंजनी हेंब्रम, प्रमुख