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आदिवासी परिवारों को नहीं मिल रहा राशन कार्ड व केरोसिन

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : राज्य सरकार का विकास का दावा तब खोखला साबित होने लगता है, जब ज

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 09:14 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:14 AM (IST)
आदिवासी परिवारों को नहीं मिल रहा राशन कार्ड व केरोसिन

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : राज्य सरकार का विकास का दावा तब खोखला साबित होने लगता है, जब जरूरतमंद लोग कल्याणकारी योजना से वंचित रह जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल नारायणपुर प्रखंड की दिघारी पंचायत के बनखंजो गांव के आदिवासी गरीब परिवारों का है। गांव के 21 आदिवासी परिवार हैं। इनका भरण-पोषण का जरिया मजदूरी है। ये परिवार वर्ष 2015 से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में नहीं आ पाए हैं। इस कारण इन 21 परिवारों को न तो सस्ते दर का खाद्यान ही मिल रहा है और न ही केरोसिन।

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- सात बार आवेदन दिया : इस बाबत ग्रामीण सुरेश किस्कू, पोरेश किस्कू, लखींद्र किस्कू, रोबेदी हेम्ब्रम, ओशोदी मुर्मू, सरोज किस्कू, सूरजलाल किस्कू, हाकिम किस्कू ने बताया कि राशन कार्ड बनाने के लिए तीन वर्षो में छह से सात बार आवेदन दिया है। दो बार जिला आपूर्ति कार्यालय एवं सात से आठ बार प्रखंड आपूर्ति कार्यालय का चक्कर काटा है। मांगों को लेकर एक बार बीडीओ का भी घेराव किया। बावजूद तीन वर्ष से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। कहा कि ऑफ लाइन आवेदन से जब हमलोगों का कार्ड नहीं बना तो सात माह पूर्व ऑन लाइन आवेदन किया।

-कार्यालय का ही चक्कर काटेंगे तो घर कैसे चलेगा : ग्रामीणों ने कहा कि हम मिट्टी काटने वाले मजदूर है। सब दिन कार्यालय का ही चक्कर काटते रहेंगे तो अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे। हमें अनाज एवं पैसे के अभाव में कभी कभार भूखे पेट भी रात गुजारना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार की नीति हम सबों को समझ में नहीं आ रही है। पंचायत में ऐसे दर्जनों परिवारों का राशन कार्ड है जो संपन्न परिवार की श्रेणी में आते हैं। ग्रामीणों ने सरकार से राशन कार्ड बनाने की मांग की है।

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वर्जन::

ग्रामीणों ने ऑन लाइन आवेदन कर उसकी कॉपी यदि कार्यालय में जमा की है,तो उनका राशन कार्ड जरूर बनेगा।

-त्रिपुरारी राय, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, नारायणपुर


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