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सूचना अधिकार अधिनियम की नाफरमानी महंगी पड़ी

जामताड़ा : हर सरकारी कार्य में पारदर्शिता व जनता को अपनी हित की जानकारी लेने के लिए भले

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Dec 2017 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 29 Dec 2017 03:01 AM (IST)
सूचना अधिकार अधिनियम की नाफरमानी महंगी पड़ी
सूचना अधिकार अधिनियम की नाफरमानी महंगी पड़ी

जामताड़ा : हर सरकारी कार्य में पारदर्शिता व जनता को अपनी हित की जानकारी लेने के लिए भले केंद्र सरकार ने सूचना अधिनियम को देश भर में प्रभावी बनाया हो परन्तु सरकार के नुमाइंदे ही इसकी नाफरमानी करें तो किसी कानून के प्रति जनविश्वसनीसता क्या रहेगी? ऐसे ही शासन विरोधी सवाल जामताड़ा जिले में बिजली विभाग के दो अभियंताओं ने अपनी करतूत से खड़ा कर दिया है। ऐसे में जब सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने उनकी नाफरमानी की शिकायत रिकार्डिंग के साक्ष्य के साथ डीडीसी भोर ¨सह यादव समेत बिजली बोर्ड के आला अधिकारियों से की बिजली विभाग के आरोपित दोनों अधिकार अब कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं।

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---क्या है मामला : सूचना अधिकार कार्यकर्ता आरती सिन्हा ने मिहिजाम के विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल के सहायक अभियंता व विद्युत आपूर्ति प्रशाखा के कनीय अभियंता से सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी थी। किसी बिजली उपभोक्ता की मौत के बाद उसके नाम पर बिजली संयोग का लाभ लिया जा सकता है या नहीं? कब तक लिया जा सकता है?, कितने दिनों बाद उसे बदलना जरूरी है? मिहिजाम में विद्युतीकरण कार्य में रेल-पोल या स्टील ट्यूब्लर पोल लगान की स्वीकृति मिली है? जानकारी लेने के लिए आरती आवेदन देने को दोनों अधिकारियों के पास गई थी पर उसे स्वीकार करने के बजाए यह कह दिया गया कि वे जामताड़ा कार्यालय जाएं। बाद में आवेदन नहीं लेने से जुड़ी पूरी रिकार्डिंग आरटीआइ कार्यकर्ता ने उपविकास आयुक्त भोर ¨सह यादव, बिजली विभाग के जीएम, निगम के अध्यक्ष आदि अधिकारियों को भेज दी। इसकी शिकायत साक्ष्य के साथ मिलने के बाद डीडीसी समेत अन्य अधिकारियों ने गंभीरता से लिया और लिखित कार्रवाई शुरू कर दी।

----क्या हुई कार्रवाई : संबंधित शिकायत पर जामताड़ा बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता अनूप कुमार बिहारी ने मिहिजाम के एई व जेई को शोकॉज किया है। बिहारी ने दोनों आरोपी अधिकारियों को पत्र जारी करते हुए आरटीआइ कार्यकर्ता की शिकायत समेत वीडियो रिकार्डिंग की भी जानकारी दी है। कार्यपालक अभियंता ने जारी पत्र में लिखा है कि सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 के तहत प्रवधान है कि सूचनार्थी संबंधित विभाग के नजदीकी कार्यालय में सूचना संबंधी आवेदन दे सकता है। उन्हें सहर्ष अनिवार्य रूप से स्वीकार करना चाहिए था। उन्होंने जवाब मांगा है कि किस परिस्थिति में सूचनार्थी का आवेदन लेने से इंकार किए। इधर कार्यपालक अभियंता बिहारी ने भी शोकॉज की पुष्टि की है।


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