टपक ¨सचाई योजना से पानी की कमी दूर करें
जामताड़ा : बेना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में मंगलवार को कृषि सलाहकार समिति की बैठक में ि
जामताड़ा : बेना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में मंगलवार को कृषि सलाहकार समिति की बैठक में किसानों ने ¨सचाई के लिए पानी की कमी की समस्या को जोरदार से उठाया। इस पर कृषि विशेषज्ञों ने टपक ¨सचाई योजना (ड्रीप एरिगेशन) योजना का लाभ लेने व ¨सचाई की कमी दूर करने का सुझाव दिया गया। बैठक में इजराइल से कृषि पद्धति की सीख लेकर लौटी महिला कृषक भी थी। मुख्य अतिथि सह कोलकाता अटारी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत हलदार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सह निदेशक डॉ. सोहन राम, वरीय कृषि वैज्ञानिक संजीव कुमार की मौजूदगी में समिति की पिछली बैठक की अनुशंसाओं की संपुष्टि भी की गई।
डॉ. हलधर व डॉ. सोहन राम ने प्रगतिशील किसानों को कहा कि किसान टपक ¨सचाई योजना का बढ़-चढ़कर लाभ लें। झारखंड में अमूमन सभी जिलों में पानी की कमी होती है। इस कमी में यह योजना बेहतर खेती का अहम माध्यम बन सकती है। इजराइल में भी इस योजना के बूते किसान समृद्धि की राह पर हैं। कहा गया कि इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 1.23 लाख की लागत आएगी। इसमें सरकार की ओर से 90 फीसद राशि अनुदान के तौर पर दी जाएगी। टपक ¨सचाई योजना में पानी सीधे पौधों पर जाता है। इससे पानी बर्बाद नहीं होता है। कुआं, तालाब आदि जल स्त्रोतों से जोड़कर कम पानी में भी सब्जी आदि की खेती की जा सकती है।
---मुर्गी, बकरी पालन व पपीता-केले की खेती पर बल : डॉ. हलधर ने बकरी पालन, मुर्गी पालन एवं इंटरक्रा¨पग पर विशेष ध्यान देने की अपील किसानों से की। कुपोषण को दूर करने के लिए किचन गार्डे¨नग एवं मुर्गी पालन पर प्रकाश डाला। दलहन में कम अवधि में तैयार होने वाली प्रजातियों के उपयोग की सलाह डॉ. सोहन राम ने दी। कहा कि गांवों पपीता एवं केले की बागवानी करें। कम समय में इसमें बेहतर आय होगी। कृषि क्लब की स्थापना व समूह बनाकर खेती करेंगे तो बेहतर फसल का उत्पादन करने में सक्षम होंगे। सामूहिक खेती में फसल चरने की समस्या से भी बचाव कर सकते हैं। बैठक में अरहर दाल के प्रोसे¨सग मशीन किसानों को मुहैया कराने पर बल दिया गया। ताकि दलहन का बाजार में उचित दाम मिल सके। करमाटांड़ प्रखंड के मशरूम उत्पादक कृषकों ने भी बैठक में भाग लिया और अपना अनुभव बताया कि इससे उन्हें तिगुना मुनाफा
हो रहा है।
---इजराइल से लौटीं किसान उत्साहित : इसी 19 जनवरी को इजराइल में बेहतर खेती की सीख लेकर लौटीं करमाटांड़ की सलोनी हेंब्रम, जामताड़ा की ललिता बास्की, कुंडहित की देवासी बेसरा व नारायणपुर की कर्मी देवी अपना अनुभव साझा किया। यह भी बताया कि खेतों में पानी का बचाव करके किस तरह खेती ड्रीप ¨सचाई से बढ़ायी जा सकती है। सलोनी, ललिता, कर्मी ने दैनिक जागरण को बताया कि उनकी अपनी जमीन है। अब वे अपने खेत में ही आधुनिक तकनीक के जरिए बेहतर खेती करेंगी। पंचायत के अन्य किसानों को भी सरकार से लाभ लेकर टपक ¨सचाई योजना के जरिए सफल किसान बनने की सीखे देंगी। उन्होंने बताया कि भारत व इजराइल का वातावरण में काफी समानता है। वहां कलस्टर में बेंगन, टमाटर, केला, संतरा, नारंगी आदि फल, फूल की उन्नत खेती की जाती है। सरकार को किसानों को आर्थिक मदद करनी चाहिए। परंपरागत खेती से मुंह मोड़कर ही किसान समृद्ध बन सकते हैं।
---आम व ईख की खेती करें : जिला कृषि पदाधिकारी सबन गुड़िया
ने आम व ईख की खेती को बढ़ावा देने एवं किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने पर बल दिया। कहा कि आम का बगीचा इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इससे आमदनी काफी बढ़ेगी। वरीय वैज्ञानिक संजीव कुमार ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में इस साल आन फार्म ट्रायल में यामुन के मूल्यवृद्धि उत्पाद, जैम, स्कवाइश, बीज, पाउडर, एवं आंवला के उत्पाद बनाए गए। इसका सभी पदाधिकारियों ने सराहना की। मौके पर स्टेट बैंक इंडिया के चीफ आफिसर अमर ¨सह, नाबार्ड के डीडीएम वैद्यनाथ ¨सह, प्रगतिशील कृषक शंकर भंडारी, मोहन भैया, डॉ. करुणा कुमारी, गोपालकृष्ण एवं प्रमोद कुमार आदि थे। धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डॉ. करुणा ने किया।