आज गुरुद्वारा में धार्मिक कार्यक्रम व लंगर, तैयारियां पूरी
मिहिजाम (जामताड़ा) सिखों के 10वें गुरु गोविद सिंह का 353वीं जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को मिहिजाम गुरुद्वारा में धार्मिक कार्यक्रम व लंगर आयोजन को लेकर तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। हांलाकि गुरु गोविद सिंह जी का जन्म दो जनवरी को हुआ था। गुरु गोविद सिंह जंयती को लेकर दो जनवरी से मिहिजाम गुरुद्वारा में कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है। तीन जनवरी से गुरुद्वारा में अखंड पाठ व कीर्तन का आयोजन चल रहा है जो पांच जनवरी रविवार को समापन होगा।
मिहिजाम (जामताड़ा) : सिखों के 10वें गुरु गोविद सिंह का 353वीं जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को मिहिजाम गुरुद्वारा में धार्मिक कार्यक्रम व लंगर आयोजन को लेकर तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। हांलाकि गुरु गोविद सिंह जी का जन्म दो जनवरी को हुआ था। गुरु गोविद सिंह जंयती को लेकर दो जनवरी से मिहिजाम गुरुद्वारा में कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है। तीन जनवरी से गुरुद्वारा में अखंड पाठ व कीर्तन का आयोजन चल रहा है जो पांच जनवरी रविवार को समापन होगा। इस दौरान गुरुद्वारा को भव्य विद्युत सज्जा से सजाया गया है तथा गुरुद्वारा के भीतरी भाग को भी फूलों व रंग-बिरंगे कागजों से सजाया गया है। पांच जनवरी को कीर्तन व लंगर की तैयारी पूरी कर ली गई है। मालूम हो कि गुरु गोविद सिंह जी ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया। साथ ही खालसा वाणी वाहेगुरुजी का खालसा वाहेगुरु जीकी फतह स्लोगन भी दिया। बताया जाता है कि खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु गोविद सिंह ने मुगलों व उनके सहयोगियों से लगभग 14 बार लड़ाई लड़े थे। गुरु गोविद सिंह ने जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत भी दिए जिसके अनुसार सभी खालसा सिखों को धारण करना होता है। इनमें अनिवार्य था केश, कड़ा, कृपाल, कंघा व कच्छा इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता है।