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डायलिसिस के पूर्व ही सदर अस्पताल में कर्मी की हो गई थी मौत

जामताड़ा जामताड़ा जिला की आबादी करीब नौ लाख है। इस शहर के गरीबों के लिए इलाज का सबस

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 08:48 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:12 AM (IST)
डायलिसिस के पूर्व ही सदर अस्पताल में कर्मी की हो गई थी मौत

जामताड़ा : जामताड़ा जिला की आबादी करीब नौ लाख है। इस शहर के गरीबों के लिए इलाज का सबसे बड़ा सहारा सदर अस्पताल है। बावजूद कुव्यवस्था यहां की पहचान बन गई है। अस्पताल लापरवाही को लेकर पूर्व में कई बार हंगामा का अखाड़ा बनता रहा है। फिलहाल अस्पताल परिसर में डायलिसिस सेंटर में एक मरीज की मौत ने यहां की कुव्यवस्था की पोल फिर खोल दी है। हालांकि मौत के मामले में पीड़ित परिजन ने कोई क्लेम न कोई शिकायत की। इससे मामले को रिपोर्ट में उलझा कर रफा-दफा करने का चांस हर पक्ष को मिल चुका है।

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हालांकि उपायुक्त गणेश कुमार इस मामले के अतिसंवेदनशील मानते हुए मौत के पहले दिन से ही गंभीर रहे। उन्होंने स्वास्थ्य महकमा के प्रधान सचिव के निर्देश पर पूरे मामले की जांच कराई और उसकी रिपोर्ट भी भेजी। इसी जांच में अस्पताल में कुव्यवस्था की पोल खुलती चली गई। जांच में ही पहली बार पता चला कि सेंटर का डॉक्टर लंबे दिनों से गायब है। वह भी केवल यह सूचना देकर वह दुर्घटना ग्रस्त है। इसी जांच में स्पष्ट हुआ कि देवघर का यह डॉक्टर पूर्व में त्याग पत्र दे चुका है। सिविल सर्जन से मिली ऐसी रिपोर्ट के बाद डीसी ने दुबारा शोकॉज कर यह स्पष्ट करने को कहा है कि सेंटर का डॉक्टर यदि दुर्घटना ग्रस्त था तो उसके इलाज का क्या साक्ष्य है। कहीं न कहीं तो वह इलाज कराया होगा। यदि उसे त्यागपत्र दे दिया था तो डायलिसिस सेंटर क्यों नहीं उसी दिन बंद करवा दिया गया था। यदि त्यागपत्र दिया तो उसकी स्वीकृति किस प्राधिकार ने दी। सनद रहे कि उसने ऑनलाइन त्यागपत्र दिया था। डीसी ने शोकॉज में यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि डॉ. मनोज लगातार नदारद थे तो उसपर पूर्व में क्या कार्रवाई की गई। उक्त तीन बिदुओं पर उपायुक्त की ओर से मांगे गए जवाब में शामिल हर बिदु सदर अस्पताल के संचालन व उसमें देखरेख की लचर व्यवस्था की पोल खोल रहा है।

उल्लेखनीय है कि सोमवार को सदर अस्पताल में संचालित एसआरएल पैथ का चतुर्थवर्गीय कर्मी रतन साधु की मौत डायलिसिस करने के क्रम में सेंटर में हो गई थी। वह दुमका का निवासी था। जबकि डॉ. मनोज यहां दो पदों पर कार्यरत थे। डायलिसिस केंद्र में पदस्थापित होने के अलावा वे एसएनसीयू में भी काम कर रहे थे। उन्होंने इसी 10 जून को एसएनसीयू से त्यागपत्र दे दिया था। वहीं डायलिसिस सेंटर में वे चैरिटी में सेवा दे रहे थे।

---वर्जन : मौत के मामले में पीड़ित परिजन से कोई शिकायत अब तक नहीं मिली है। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। सीएस से डॉ. मनोज की दुर्घटना, त्यागपत्र, वेतन भुगतान की स्थिति पर दुबारा स्पष्टीकरण पूछा गया है। वह अस्पातल में अनुबंध कर्मी था। मौत के मामले में जांच रिपोर्ट मिली है कि रतन साधु की मौत डायलिसिस शुरू करने केपूर्व ही हो चुकी थी। सदर अस्पताल की सारी कार्यशैली व कुव्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी। ---गणेश कुमार, उपायुक्त जामताड़ा।


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