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रंगों को उड़ेल दिया पानी बचाने का संदेश

उत्क्रमित मध्य विद्यालय केंदुआ में जागरण जल सेना के बीच निबंध व चित्रांकन प्रतियोगिता

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 05:21 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 05:21 PM (IST)
रंगों को उड़ेल दिया पानी बचाने का संदेश

संवाद सहयोगी, मुरलीपहाड़ी: शैक्षणिक अंचल नारायणपुर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय केंदुआ में जागरण जल सेना ने निबंध व चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लेकर जल संरक्षण की मुहिम को गति प्रदान की। शिक्षक उपेंद्र दास, अरविद कुमार वर्मा, मोहम्मद मुस्तकीम आदि की उपस्थिति में विद्यार्थियों ने जल संरक्षण से जुड़े मुद्दे पर मंथन कर निबंध लेखन में भाग लिया। पहली पाली के निबंध लेखन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने जल बचाने की आवश्यकता क्यों है, जल नहीं तो जान नहीं, सहेज लो दो बूंद, जीवन के लिए जल जरूरी जैसे विषयों पर घंटे भर निबंध लेखन किया। दूसरी पाली में चित्रांकन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों की टोली ने इसी मुद्दे पर बेहतर चित्र बनाकर जल संरक्षण के महत्व को समझाने का प्रयास किया। विद्यार्थियों ने चित्र के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि जल नहीं तो जीवन नहीं। जितना हवा की आवश्यकता मनुष्य को जिदगी बचाने के लिए है उसी प्रकार जल की भी आवश्यकता है। अभी जैसे पूरा विश्व समय-समय पर जल संकट से जूझता है उसे दूर करने के लिए जन-जन को आगे आना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को जल बचाने की मुहिम को में अपना योगदान देना होगा बेकार हो रहे पानी को किसी भी परिस्थिति में रोककर उसे अपने उपयोग में लाने के लिए संकल्प लेना होगा। इस बाबत शिक्षक उपेंद्र दास व अरविद कुमार वर्मा ने जल सेना से कहा की दैनिक जागरण व राज्य सरकार जल बचाने के लिए पिछले एक महीने से मुहिम चलाकर उसे आंदोलन का रूप देने का कार्य किया है। सहेज लो दो बूंद एक जन आंदोलन बने इसके लिए समाज के एक-एक व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। सभी विद्यार्थी सिर्फ विद्यालय में ही यह कार्यक्रम सीमित नहीं रखें बल्कि अपने अपने घर व गांव में परिवार के सदस्य, ग्रामीणों के सहयोग से पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पहल करें। पानी को बचाने के लिए जो गतिविधि आवश्यक है उसे कार्य रूप दें। कम से कम दो-दो पौधे इस मौसम में अवश्य लगाने को कहा। यदि पर्यावरण संतुलन चाहिए तो पौधों को भी लगाना बहुत ही आवश्यक है। पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देती बल्कि धरती पर बारिश हो इसके लिए भी पौधे का बहुत ही बड़ा योगदान होता है। जिस क्षेत्र में बड़े-बड़े जंगल हैं वहां निश्चित रूप से अधिक बारिश होती है। अधिक बारिश होने से क्षेत्र में जल का स्तर भी ऊपर रहता है इसलिए सभी संकल्प लें कि निबंध व चित्रकला के अपने तजुर्बे के माध्यम से राज्य में अपना नाम रोशन करें व दैनिक जागरण के इस जल संरक्षण आंदोलन को जन आंदोलन बनाएंगे। इस कार्यक्रम में जल सेना संतोष पंडित, अजीत वर्मा, सचिन वर्मा, फातिमा खातून, जागेश्वर पंडित, नजरुल खातून, सबीहा खातून, रूपा कुमारी, शंकर पंडित आदि ने भाग लिया।

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