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राजा ने देखा स्वप्न तो जंगल साफ कर बनवाया मंदिर

संवाद सहयोगी नाला (जामताड़ा) नाला प्रखंड के टेशजोरिया पंचायत के देवली मौजा स्थित देवलेश्वर

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 08:06 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 08:06 PM (IST)
राजा ने देखा स्वप्न तो जंगल साफ कर बनवाया मंदिर

संवाद सहयोगी, नाला (जामताड़ा) : नाला प्रखंड के टेशजोरिया पंचायत के देवली मौजा स्थित देवलेश्वर धाम में वैसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती पर पवित्र सावन में यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। मंदिर क्षेत्र के कुलडंगाल, देवली, बेनागड़िया, घोलजोड़, पलन, पांजुनिया, कुंडहित, जलाई आदि के अलावा पश्चिम बंगाल के श्रद्धालुओं का भी आस्था का यह केंद्र है। यही कारण है कि सावन के अलावा चड़क पूजा तथा अन्य दिन भी विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना होती है। इसके अलावा काफी संख्या में लोग शादी-विवाह व विभिन्न मांगलिक अनुष्ठान मंदिर में करते हैं। इस मंदिर में सच्चे मन से मन्नत करने वालों की मनोकामना पूर्ण होता है।

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-- मंदिर का इतिहास : जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर नाला प्रखंड अवस्थित देवलेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है। इस धार्मिक स्थल का कोई लिखित इतिहास नहीं है। बताया जाता है कि सैंकडों साल पूर्व यह चालना तथा देवली मौजा झाड़ी जंगल से घिरा हुआ था। इसी जंगल में असित मुनि के पुत्र देवल नामक तेजस्वी मुनि तपस्या करते थे। एक जीर्णशीर्ण कुटीर में लंबे समय तक तप करने के परिणामस्वरूप संतुष्ट होकर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए। इस अलौकिक दर्शन के क्षण ही मुनिवर अंतरध्यान हो गए तथा तपोभूमि पर एक पत्थर सी मूर्ति प्रतीक के रूप में रह गई। करीब चार-पांच सौ वर्ष बाद नाला के तत्कालीन राजा को शंकरजी के आविर्भाव होने संबंधी स्वप्नादेश हुआ। उसी के अनुरूप राजा ने जंगल की सफाई कर मिथिलांचल से पंडित बुलाकर विधिवत पूजा करवाई। उसी समय से इस स्थल का नाम देवलेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। -- कैसे पहुंचे मंदिर : देवलेश्वर शिव मंदिर पहुंचने के लिए कहीं कोई कठिनाई नहीं है। प्रखंड मुख्यालय से निजी वाहन में तथा आटो से पहुंच सकते हैं। बाहर के लोगों के लिए किराया वाहन भी उपलब्ध है। यह मंदिर प्रखंड मुख्यालय से महज दस किमी की दूरी पर स्थित है। दुमका-नाला मुख्य सड़क के पांजुनिया, मधुबन मोड़ होकर जाने की पक्की सड़क है। यहां से मात्र पांच किमी की दूरी पर धाम है। इसके अलावा कुंडहित -मुर्गाबनी सड़क होकर इस क्षेत्र के लोग आसानी से पहुंच सकते हैं। मुर्गाबनी-राजनगर सड़क के भंडार बेड़ा मोड़ पर उतरकर मात्र एक किमी की दूरी तय कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। क्या कहते हैं पुजारी : देवलेश्वर मंदिर पूजा कमेटी के सदस्य सह पुजारी जियाराम ठाकुर ने कहा कि इस मंदिर का ऐतिहासिक पहचान है। आध्यात्मिक महत्ता भी अपरंपार है। मुनि के तप से यहां बाबा भोला साक्षात दर्शन दिए थे। कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए श्रद्धालु को विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। बाबा का जलाभिषेक अर्घा के माध्यम से करवाया जा रहा है।


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