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कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर है मनरेगा श्रमिक

संवाद सहयोगी जामताड़ा मनरेगा योजना में काम कर रहे निबंधित मजदूरों को पिछले 42 दिनों स

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 07:09 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 07:09 PM (IST)
कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर है मनरेगा श्रमिक

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : मनरेगा योजना में काम कर रहे निबंधित मजदूरों को पिछले 42 दिनों से मजदूरी राशि भुगतान नहीं होने के कारण दुकानदार भी उधार राशन देने से इंकार करने लगे हैं। मजदूरों को पेट की जुगाड़ के लिए यत्र-तत्र भटकना पड़ रहा है। कई निबंधित मजदूर कम मजदूरी राशि पर ही किसान व महाजन के घर काम करने को मजबूर।

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दूसरे चरण के कोरोना वायरस के प्रकोप का परिणाम है कि प्रवासी मजदूरों की एक अप्रैल से घर वापसी हो रही है। जबकि गांव में दैनिक मजदूरों का एकमात्र जीविका उपार्जन का स्त्रोत मनरेगा योजना है। 22 अप्रैल से स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह यानी आंशिक लॉकडाउन शुरू हुआ। उस दौरान कई मजदूर अलग-अलग हिस्से से अपने-अपने गांव पहुंचे है। इस दौरान उन्हें यहीं मनरेगा में काम उपलब्ध कराया गया। ताकि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे। लेकिन अब मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

-- नून-भात खाने को विवश मजदूर : जामताड़ा जिले के विभिन्न प्रखंड में मनरेगा मजदूरों के हालत ठीक नहीं है। जिले में मनरेगा मजदूरों को पिछले 42 दिनों से मजदूरी नहीं मिली है। जबकि अधिकांश मजदूर काम कर रहे हैं। इसके चलते वे भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके है। मजदूरी न मिलने से मजदूर परेशान हैं। जिसके चलते वे नमक-चावल खाने को मजबूर हैं। जबकि मनरेगा फंड में राशि नहीं रहने के कारण मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं हो है। ऐसे मजदूरों को जीवन यापन करने में रोज दिक्कत हो रही। मजदूरों ने कहा कि राशन दुकान में भी काफी उधार हो गया है। अब राशन दुकानदार भी उधार देने से कतराने लगे हैं।

-- एक करोड़ का भुगतान लंबित : सात दिन में मजदूरी भुगतान करने का नियम है लेकिन भुगतान नहीं होने से जिले में मनरेगा मजदूरों का एक करोड़ से ज्यादा मजदूरी बकाया है। वैसे तो मनरेगा कानून में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि सात दिनों के भीतर मजदूरों का भुगतान किया जाएगा। यदि किसी परिस्थिति में भुगतान नहीं किया जाता है तो 15 दिवस के अंदर भुगतान करना ही होगा। नहीं तो प्रति मजदूर को मुआवजा राशि देनी होगी। लेकिन यहां मुआवजा तो छोड़िए मजदूरी ही नहीं मिली है। अल्पसंख्यक समुदाय का ईद त्योहार सिर पर है और मजदूर अपनी दिहाड़ी के लिए मोहताज हैं। जिलों में मनरेगा का काम चल रहा है। इनमें सिचाई कूप, नाली, बिरसा मुंडा आम बागवानी मिशन,भूमि समतलीकरण, तालाब गहरीकरण जैसे कई रोजगार मूलक काम हैं। लेकिन मजदूरों का भुगतान पिछले 42 दिनों से नहीं हुआ है। मजदूरी ना मिलने से मजदूरों का हाल बेहाल हो चुका है।

-- वर्जन : मजदूरी भुगतान से संबंधित सारी स्थिति की जानकारी सरकार तक पहुंचा दी गई है। काम कर रहे निबंधित मजदूरों का एफडीओ भी कर दिया है। जैसे ही आवंटन राशि आएगी सभी मजदूरों के बैंक खाते में पैसा खुद ब खुद जमा हो जाएगा। ---जावेद अनवर इदरीसी, प्रभारी उप विकास आयुक्त।


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