कुंडहित में बारिश से कहीं खुशी तो कहीं गम
कही बारिश कही सूखा सूखे से मर रहे फसल
कुंडहित (जामताड़ा) : मौसम की बेरुखी के कारण कुंडहित प्रखंड के पूर्वांचल में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी है। क्षेत्र में कम बारिश होने के कारण खेत में लगा अधिकांश धान की फसल सूख के कगार पर है। वहीं बीते पांच सालों से लगातार क्षेत्र में सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों को चिता सता रही है की अब परिवार का कैसे गुजारा करेंगे। इस वजह से क्षेत्र के किसान रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य की ओर रुख कर रहे हैं।
---95 फीसद आबादी कृषि पर ही आधारित : इस साल कुंडहित प्रखंड क्षेत्र के पूर्वांचल गड़जोडी, खजुरी, बागडेहरी, मुड़ाबेडिया, सुद्राक्षीपुर, विक्रमपुर, अम्बा, गायपाथर तथा आमलादही पंचायत क्षेत्र मे कम बारिश होने के कारण 10 से 15 प्रतिशत ही खेती हो पाई है। अब लगातार मौसम की मार के कारण खेत मे लगा धान का पौधा मरने लगा है। वहीं कुंडहित प्रखंड मुख्यालय के आस-पास लगातार बारिश के कारण नगरी, कुंडहित, बनकाटी, पालाजोरी, बाबूपुर आदि पंचायत में खेती की दशा अच्छी है। जबकि इससे सटे पूर्वांचल क्षेत्र मे लगातार धूप और गर्मी के कारण खेत में लगा धान का पौधा पीला पड़ने लगा है। कुंडहित प्रखंड क्षेत्र में 95 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है। उनका वर्ष भर गुजारा कृषि कार्य से ही होता है। किसानों की किसानी वर्षा पर ही निर्भर रहती है।
---तीन वर्षों से फसल बीमा पर भी सूखा : सरकारी रिपोर्ट में 65 फीसद रोपनी : सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष कुंडहित मुख्यालय से 65 प्रतिशत धान रोपाई की रिपोर्ट राज्य मुख्यालय भेजी गई है। जबकि पूर्वाचंल क्षेत्र में 10 से 15 प्रतिशत ही खेती हो पाई है। लगातार सुखाड़ में किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिला। वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18, 18-19 में क्षेत्र में सुखाड़ होने के बाद भी किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाया है। जबकि कुंडहित प्रखंड क्षेत्र में 2016-17 में 2758, 17-18 में 5360 एवं 18-19 में 12761 किसानों ने फसल बीमा कराया था। वित्तीय वर्ष 2018-19 सरकार की ओर से जामताड़ा जिला सुखाड़ क्षेत्र घोषित होने के बाद भी क्षेत्र के किसानों को सूखा राहत का लाभ नहीं मिल पाया है। क्षेत्र में सिचाई संसाधन की कमी पहले से ही है।
---अजय बराज नहर का नहीं मिल पाया लाभ : कुंडहित प्रखंड क्षेत्र में 40 साल से अजय बराज योजना के तहत नहर का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन नहर से आज तक किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ। हर साल विभाग दावा करता है कि इस साल नहर से किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा लेकिन सरजमीन पर निराशा ही हाथ लगती है।
---क्या कहते हैं किसान :
पांच सालों से बारिश के कमी के कारण सुखाड़ की मार झेल रहे हैं। इस साल बारिश कम होने के कारण समुचित खेतों में धनरोपनी नहीं हो पाई। जहां धान की रोपनी किए अब बारिश की कमी से धान सूखकर पीला हो रहा है।
उज्ज्वल माजि, फोटो नं. 16
.........इस साल कहीं अच्छी बारिश तो कहीं कम बारिश के कारण इस क्षेत्र में धान की खेती कम हो पाई है। लगातार धूप और गर्मी के कारण खेत में धान पीला पड़ रहा है। जबकि कुंडहित मुख्यालय के आस-पास लगातार बारिश होने के कारण अच्छी धान की खेती देखने को मिल रही है। बीमा का लाभ भी नहीं मिला। उज्ज्वल बाउरी, फोटो नं. 17
......बारिश कम होने के कारण 10 से 15 प्रतिशत ही खेती हो पाई है। एक महीना से बारिश दगा दे रही है। खेत सूख चुका है। धान मर रहा है। अगर अजय बराज नहर में पानी छोड़ा जाता तो कुछ खेती बचाई जा सकती थी।
शत्रुघन सोरने, फोटो नं. 18
.......... महीना भर से बारिश का इंतजार है। अब खेत सूखने लगे हैं। पानी नहीं मिलेगा तो दरारें पड़ने लगेगी। सूखा की स्थिति हर तरफ हैॅ। एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।
किसान राम किशोर मुर्मू
, फोटो नं. 19
--- क्या कहते हैं प्रखंड कृषि पदाधिकारी : प्रखंड कृषि पदाधिकारी सह प्रभारी मनोरंजन मिर्धा ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में कुछ क्षेत्र में अच्छी बारिश से 65 प्रतिशत खेती हो पायी है जबकि पूर्वांचल क्षेत्र में कम बारिश के कारण खेती कम हुई है। बारिश का अभाव है। इसकी रिपोर्ट जिला मुख्यालय भेजी गई है।