ले डूबेगा भूमिगत जल का बेतरतीब दोहन
भूमिगत जल के बेतरतीब दोहन से जामताड़ा जिले में जलसंकट गहराने की आशंका है।
जामताड़ा : भूमिगत जल के बेतरतीब दोहन से जामताड़ा जिले में जलसंकट गहराने की आशंका है। इससे तेजी से जलस्तर नीचे गिरा है। ऐसा कहा जाता रहा है कि भविष्य में यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो वह पानी के लिए होगा। इसके बावजूद लोग जल के महत्व को नहीं समझ पा रहे। लोग पानी की बर्बादी पर रोक लगाने का पहल नहीं करते।
इसी का असर है कि कि जामताड़ा जिले के हरेक इलाके में गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल की समस्या शुरू हो जाती है। नदियां सूखने लगी है तो शहरी इलाकों में डीप बोरिंग से जलस्तर प्रतिवर्ष रसातल जा रहा है। आम लोगों के घरों में पहले से की गई बोरिंग जवाब देने लगी है। दरअसल यहां भूमिगत जल का स्तर ऊपर था। अब पानी नीचे चले जाने की वजह से यह बोरिंग बेकार साबित हो रही है।
जिले में सड़क और मकान निर्माण के लिए पानी का दोहन कर टैंकरों से उसे बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं डीप बोरिग भी भूजल दोहन का प्रमुख कारण है। प्रशासन इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा। लिहाजा पेयजल संकट गहराता जा रहा है।
हर इलाके में हो रहा भूजल का दोहन : जामताड़ा में पेयजल संकट के पीछे भूजल का अत्यधिक दोहन भी एक प्रमुख कारण है। शहर का कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां भूजल का दोहन न होता हो। स्वच्छ पेयजल के नाम पर हर रोज बेशकीमती पानी धरती की कोख से निकाल कर बर्बाद किया जा रहा है। नगर पंचायत, नगर पर्षद, प्रशासन की नाक के नीचे पानी के कारोबारी समेत अन्य लोग हर रोज धरती की कोख से पानी निकाल रहे हैं पर उसे देखने वाला कोई नहीं है। तमाम दावों के बावजूद सरकारी महकमे और जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाले संगठन पानी के कारोबारियों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं। शहर में दर्जनों गाड़ियां प्रतिदिन शहर में पानी लेकर दौड़ती रहती है।
पानी बेचना बना व्यवसाय : दरअसल पानी बेचने का कारोबार इतना चोखा है कि यह अब बड़ा व्यवसाय बन गया है। शहर के लेकर ग्रामीण इलाकों में अवैध आरओ प्लांट लगे हैं। जो दिन रात पानी का दोहन कर रहे हैं। भवन या सड़क निर्माण प्रयुक्त होने वाले एक टैंकर पानी की कीमत 800 से 1000 रुपये है। पानी बेचने के गोरखधंधे में बड़े लोगों के शामिल होने से यह बड़ा व्यवसाय का रूप ले चुका। जामताड़ा व मिहिजाम, नाला समेत अन्य शहर में करीब आधा दर्जन निजी जल संयंत्रण व्यवसायिक रूप से संचालित है। जामताड़ा में पांच व मिहिजाम में तीन अपार्टमेंट बनाया गया है। इनमें भी जलापूर्ति डीप बोरिग से होती है। हालांकि अपार्टमेंट से जुड़े लोगों का कहना है कि हर आवासीय इलाके में जलसंवर्द्धन की तकनीक भी अपनाई गई है। शहरीकरण का विस्तार, उद्योग, सरकारी कार्यालय व संस्थान, अपार्टमेंट के साथ सरकारी योजनाओं के निर्माण व सिचाई व्यवस्था तक के लिए डीप बोरिग की संख्या बढ़ती जा रही है। डीप बोरिग के निर्माण से आसपास जलस्तर काफी नीचे चला जाता है। इससे सरकारी व गैर सरकारी चापाकल पानी उगलने में अक्षम साबित हो रहा है।
नदियों के सूखने से जलस्तर में और गिरावट : भूजल के लगातार दोहन से तालाब, कुआं से लेकर जमीन के अंदर स्थित जलस्त्रोत का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसी वजह से हैंडपंप सूख रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव जामताड़ा जिला ही नहीं बल्कि पूरे संताल परगाना में सर्वाधिक पड़ रहा है। जामताड़ा व मिहिजाम शहर का भूजल का स्तर 60 से 70 फिट जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 50 से 60 फिट तक पहुंच चुका है। जिले के नारायणपुर, नाला, कुंडहित समेत अन्य प्रखंड के ऊंचे क्षेत्रों में जलस्तर और नीचे जा रहा है। अजय बराकर व शिला नदी की हालत पतली होने लगी है। नदी के सूखने के कारण नदी के तटीय क्षेत्रों में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में अधिक नीचे पहुंच चुका है।
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'जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है। जिले के ऊंचे क्षेत्रों में जलस्तर दिन प्रति दिन नीचे की ओर अग्रसर होता जा रहा है। शहर में निजी आरओ व टैंकर वाले भूजल का सर्वाधिक दोहन कर रहे हैं। इससे भूगर्भ जल विभाग व जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है। टीम बनाकर भूजल के दोहन को रोका जाएगा।
सुरेंद्र कुमार, कार्यपालक अभियंता पीएचईडी।