बराकर में मकर स्नान के बाद दुखिया महादेव में पूजा
पूजन के लिए सुबह से ही दुखिया महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। हर-हर महादेव बोल बम के नारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था।
नारायणपुर (जामताड़ा) : मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गुरुवार को नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव के लोगों ने बराकर नदी में आस्था की डुबकी लगाई और दुखिया महादेव भोलेनाथ की पूजा अर्चना की।
पूजन के लिए सुबह से ही दुखिया महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। हर-हर महादेव, बोल बम के नारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के पावन अवसर पर भक्त बराकर नदी में डुबकी लगाते हैं। इस अवसर पर धान की फसल का पहला बीड़ा भोलेनाथ को चढ़ाने की पुरानी परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से अगले वर्ष पैदावार अधिक होती है। खेतिहर किसानों ने स्नान ध्यान करने के बाद दुखिया महादेव को धान का बीड़ा अर्पित किए। पूजा कर आशीर्वाद लिया। व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष मनमोहन सिंह, उत्तम मंडल, श्रीनिवास मंडल, विनोद पोद्दार समेत अन्य लोग काफी सक्रिय दिखे। फतेहपुर में ब्राह्मणों को दान मिला : फतेहपुर में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। लोग सुबह स्नान कर विभिन्न शिवालयों में पूजा अर्चना की। इस दौरान ब्राह्मणों को दान भी दिए जाने की परंपरा है। लोगों ने दान दिए। संक्रांति में फतेहपुर में जुआ खेलने की भी परंपरा है। साथी जुआ खेलना शुभ माना जाता है। बिदापाथर में अजय नदी में स्नान : मकर संक्रांति को लेकर बिदापाथर, धधकिया, खैरा, गेड़िया, मंझलाडीह सहित विभिन्न गांव में लोग तड़के सुबह अजय नदी, तालाब व जोरिया में पुण्य स्नान किया। स्नान के बाद लोगों ने मंदिरों में पूजा की। तिल से बने व्यंजन का आनंद लिया। स्थानीय बाजारों में मीट की भी बिक्री हुई।
नाला में संक्रांति पर रहा उत्सवी माहौल : मकर संक्रांति पर्व को लेकर नाला क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना हुआ है। अहले सुबह से ही लोग स्नान ध्यान करने में काफी व्यस्त रहे। खासकर युवाओं में उत्साह देखा गया। गांव स्थित विभिन्न तालाब, नदी में तथा अजय नदी घाट पर लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई। मालूम हो कि देवलेश्वर, नाला कर्दमेश्वर आदि न देवालयों में श्रद्धा लुओं ने पूजा-अर्चना कर मंगल कामना की। इसके अलावा पुरानी परंपरा के अनुसार बीरभूम जिले के बकेश्वर, तारापीठ जयदेव आदि जगहों की ओर लोग रवाना हुए।