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आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने JMM का फूंका पुतला, ईसाई मिशनरीज के कारनामों पर चुप रहने का लगाया आरोप

रविवार को आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने जामताड़ा शहर के इंदिरा चौक में संथाली भाषा और उसकी लिपि ओलचिकी का विरोध करने वाले ईसाई मिशनरी जेएमएम के विधायक सांसद वंशपरंपरागत मांझी व दिसोम मांझी थान समिति का पुतला दहन किया।

By Arvind OjhaEdited By: Mohit TripathiPublished: Sun, 30 Apr 2023 10:50 PM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2023 10:50 PM (IST)
आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने JMM का फूंका पुतला, ईसाई मिशनरीज के कारनामों पर चुप रहने का लगाया आरोप
ईसाई मिशनरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक, सांसद व दिसोम मांझी थान समिति का पुतला फूंका।

संवाद सहयोगी, जामताड़ा: रविवार को आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ताओं ने जामताड़ा शहर के इंदिरा चौक में संथाली भाषा और उसकी लिपि ओलचिकी का विरोध करने वाले ईसाई मिशनरी, जेएमएम के विधायक, सांसद, वंशपरंपरागत मांझी व दिसोम मांझी थान समिति का पुतला दहन किया।

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इस दौरान कार्यकर्ताओं ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पुतला दहन कार्यक्रम आदिवासी सेंगल अभियान के जिला अध्यक्ष विशेश्वर मरांडी की अध्यक्षता में किया गया।

आदिवासी हितैषी बताने वाली JMM ईसाई मिशनरी पर चुप

इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि सालखन मुर्मू ने कूटनीतिक राजनीति के बल पर संथाली भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में 22 दिसंबर 2003 को शामिल कराया। राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संथाली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने की मांग राज्यभर में तेज हुई है, जबकि आदिवासी हितैषी की बात करने वाले ईसाई मिशनरी और जेएमएम पार्टी अब भी चुप हैं।

ईसाई मिशनरियों पर साजिश रचने का लगाया आरोप

ईसाई मिशनरी केवल आदिवासियों के मूल धर्म से जुड़े आदिवासियों को अलग करने की साजिश रच रहे हैं। आदिवासियों की भाषा संस्कृति, सीएनटी एसपीटी, विस्थापन, पलायन व इज्जत-आबादी की रक्षा मामले में उनका कोई कोई लेनादेना नहीं है।

आदिवासियों को जागरूक करने का किया आह्वान

सरना धर्म कोड, संथाली को झारखंड में प्रथम राजभाषा, अंधविश्वास, नशापान, गलत आदिवासी परंपरा तथा गलत आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के खिलाफ लोगों को जागरूक तथा एकजुट करने का काम करें। इसको लेकर ना ईसाई मिशनरी ना ही जेएमएम पार्टी ने कोई कार्रवाई अब तक की है।

असम में झारखंडी आदिवासियों के साथ अन्याय की उठाई आवाज

असम राज्य में झारखंड मूल के आदिवासी रहते हैं। वहां पर हमारे आदिवासी भाइयों पर असमिया लोगों के द्वारा अनेक प्रकार का अन्याय और अत्याचार होता है। असम सरकार झारखंडी आदिवासियों को एसटी का दर्जा अभी तक नहीं दे रही है।

असम के बोडो के द्वारा असम आदिवासियों पर कई बार नरसंहार हुआ है। लेकिन हमारे संताल परगना के ईसाई मिशनरी व जेएमएम पार्टी के नेता मंत्री चुप्पी साधे रहते हैं। इस अवसर में सुरेश मुर्मू, सिदो-कान्हू युनिवर्सिटी सेंगल छात्र मोर्चा अध्यक्ष ने कहा संथाल परगना आज लूटने मिटने की कगार पर खड़ा है।

आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म और हत्याओं की घटनाएं, संथाली ओलचिकी विरोधी तत्व, ईसाई धर्म में तेजी से आदिवासियों का धर्मांतरण, जमीन लूट, मांझी परगना व्यवस्था में ईसाई और अन्य जातियों का नेतृत्व लेना, इत्यादि बहुत सी घटनाएं हो रही हैं। ये घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय हैं।

कुछ छात्र और बुद्धिजीवी संगठनों द्वारा दो दिन पहले संथाली ओलचिकी का विरोध किया गया। इसका विरोध करने वाले अधिकांश छात्र और नेतागण इसाई हैं। इसके पीछे संताल परगना कॉलेज, दुमका के कुछ इसाई प्रोफेसरों के होने की आशंका है, जोकि खुद ओलचिकी विरोधी हैं। इसमें इसाई मिशनरी के भी होने की भी संभावना है, जोकि इसाई धर्म के नाम पर विदेशों से करोड़ों रुपये लाते हैं और भोले-भाले आदिवासियों को धर्मांतरण के लिए मजबूर करते हैं।

वोट के लिए मिशनरियों के हाथों बेच दिया संताल परगना

कहा कि पूरा संथाल परगना जेएमएम पार्टी की गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हुआ है। वोट के लिए जेएमएम पार्टी ने पूरे संथाल परगना को मुसलमान और ईसाई के हाथों बेच दिया है। हमारे वंशपरंपरागत मांझी परगना व्यवस्था भी इसपर चुप हैं। ना तो ये गांव गांव में इन ज्वलंत मुद्दों पर बात करते हैं और ना ही करने देते हैं। केवल डायन खोजना, सामाजिक बहिष्कार करना, हंडिया दारू के नशे में रहना, यही इनका काम है।

कई अन्य वक्ताओं ने कहा कि दिसोम मंझी थान समिति दुमका भी सर्वाधिक दोषी है। जोकि संथाल परगना के प्रमंडलीय स्तरीय संताल आदिवासी हित की अच्छा की बात करता है, पर अब इस वक्त किसी भी ज्वलंत मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहा है। इसलिए इसका भी पुतला दहन कार्यक्रम हुआ। मौके पर अध्यक्ष सुरेश मुर्मू, संजीत सोरेन, गोपाल सोरेन, सागनेन मुर्मू, वीरेंद्र मुर्मू, रूपधन हेम्ब्रम, राजेश बेसरा, सविता सोरेन, सुलेखा मरांडी, लखन हेम्ब्रम, लखन मरांडी आदि मौजूद थे।


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