संवाद सहयोगी,जामताड़ा: आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो जामताड़ा के नारायणपुर में आजसू द्वारा आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा।
आजसू सुप्रीमो ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गरीब के घर किसी तरह से दो बार चावल बन पाता है, दाल और सब्जी का उन्हें पता नहीं। अस्पताल के नाम पर बड़े-बड़े भवन दिखाए जा रहे हैं। सरकार डॉक्टर नहीं दिखा पा रही है। हेमंत बाबू जनता को भवन नहीं डाक्टर, नर्स और दवा चाहिए।
शिक्षा की हालत को लेकर सरकार पर बोला हमला
उन्होंने आगे कहा कि डाकबंगला मैदान में आयोजित समारोह के दौरान हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए सुदेश ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की हालत बेहद ही खराब हो चुकी है।
विद्यालय है लेकिन शिक्षक ही नहीं हैं। आदिवासी समाज के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं लेकिन कहीं नियमित पढ़ाई तक नहीं हो पा रही।
सरकार ने कक्षा एक से दस तक पास करने की व्यवस्था बनाई है। शिक्षा खिचड़ी और पास विद्यालय बनकर रह गई है। ऐसी व्यवस्था में कोई बच्चा नौकरी ले पाएगा क्या, यह बड़ा सवाल है।
सरकार की व्यवस्था ऐसी है कि बाप, बेटा और पोता तीन पीढी लाल कार्डधारी रह जाएंगे। यहां रोजगार की व्यवस्था नहीं है, पढ़कर मनरेगा में मजदूरी कैसे करेंगे, इसलिए युवाओं का पलायन होता है।
ग्राम सभा को सशक्त करने की है जरूरत
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपरा बहुत पुरानी है। इनकी कई ऐसी परंपराएं हैं, जिससे आम लोगों सभी समाज को सीख मिलती है। आजादी की लडाई में सिदो-कान्हू व चांद-भैरव के नेतृत्व में आदिवासी समाज ने लंबी लड़ाई लड़ी।
लंबी लड़ाई के बाद अलग झारखंड बना लेकिन ग्राम सभा और ग्राम प्रधान के राज का सपना पूरा नहीं हो सका। यह व्यवस्था सरकारी कागजों में सिमट कर रह गई है।
ग्राम प्रधान को अधिकारी कार्यालय में घुसने तक नहीं देते
उन्होंने आगे कहा ग्राम सभा को सशक्त करने की आवश्यकता है। सरकारी कर्मी ग्राम सभा के निर्णय को प्रभावित करते हैं। गांव में चुनाव किसी का और ब्लॉक में किसी का चयन होता है। वर्तमान राज्य सरकार ने लगता है कि प्रधान को एक रकम देकर अपने उद्देश्य को पूरा कर लिया है लेकिन एक हजार रुपये से क्या होगा।
15 वें वित्त आयोग की राशि का प्रयोग का अधिकार ग्राम प्रधान को देते तो अच्छा होता। आलम यह है कि ग्राम प्रधान को कार्यालय में अधिकारी घुसने नहीं देते हैं। हेमंत जी की सोच अलग है।
बाइक तो मिलेगी, तेल कहां से लाएंगे प्रधान
सुदेश महतो ने कहा कि विधायक, सांसद, पंचायत प्रतिनिधि की ही भांति ग्राम प्रधान हैं। परंपरा के नाम पर रकम बांटने से नहीं होगा, अधिकार चाहिए। सरकार की सोच है कि प्रधान को बाइक दे देंगे, सवाल यह उठता है कि तेल कहां से आएगा। बाइक देखें है तो पहले तेल की व्यवस्था करें।
समाज को आगे बढ़ने से रोक रहीं सरकारी योजनाओं
आलम यह है कि सरकारी चावल पर बहुत से ग्राम प्रधान निर्भर हैं। समाज को आगे बढ़ने से कौन रोक रहा है, देखेंगे तो पता चलेगा कि सरकारी नीतियां रोक रही हैं। सरकार को करना क्या है, यह हेमंत बाबू समझ नहीं पा रहे हैं। आजादी के 75 साल और अलग राज्य के बीस साल गुजर गए, परंतु गरीबी परिवार एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक गरीब ही हैं।
हेमंत सरकार चाहती है कि आप गरीब ही रहें
कहा सरकार चाहती है कि आपके बच्चे अयोग्य रहेंगे तभी इनका आपसबों पर राज चलेगा। योग्य बनने पर इनकी सरकार ही नहीं रहेगी। सीएनटी, एसपीटी एक्ट के नाम पर जमीन बचा, परंतु मोल नहीं मिला। जमीन पर बैंक से लोन नहीं मिलता है, सरकार को उपाय करना चाहिए।
सरकार ने कहा था कि 25 करोड़ का काम स्थानीय युवाओं को मिलेगा, परंतु नहीं मिला। वेंडर भी आदिवासी युवा नहीं बन पाए। परंपरा सुरक्षित रखिए, अंग्रेजों की गोली आदिवासियों ने पीठ पर नहीं सीने खाई थी, यही इतिहास है। हम लोगों के प्रयास से सिदो-कान्हु के परिवार से इंजीनियर बना है। ग्राम प्रधानों को समतुल्य अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी है। पंचायत प्रतिनिधियों की भांति ही अधिकार के साथ फंड भी मिले।