आदिवासी सेंगेल अभियान ने झामुमो पर संताल परगना को ईसाई मिशनरियों के हाथों बेंचने का लगाया आरोप, फूंका पुतला
रविवार को फतेहपुर मोड़ पर आदिवासी सेंगेल अभियान के झंडे तले संथाली भाषा ओलचिकी लिपि का विरोध करने वाली ईसाई मिशनरी झामुमो विधायक वंशपरंपरागत मांझी दिशोम मांझी थान समिति व मांझी परगाना सरदार महासभा का पुतला दहन किया गया।
संवाद सहयोगी, जामताड़ा: रविवार को फतेहपुर मोड़ पर आदिवासी सेंगेल अभियान के झंडे तले संथाली भाषा ओलचिकी लिपि का विरोध करने वाली ईसाई मिशनरी, झामुमो विधायक, वंशपरंपरागत मांझी, दिशोम मांझी थान समिति व मांझी परगाना सरदार महासभा का पुतला दहन किया गया।
इस दौरान जिला अध्यक्ष सुरेश सोरेन ने कहा कि सालखन मुर्मू ने कूटनीति और राजनीति के बल पर संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 दिसंबर 2003 को शामिल कराया था।
राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संथाली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने की मांग राज्यभर में तेज़ हुई है। जबकि आदिवासी हित की बात करने वाली ओलचिकी लिपि को लेकर ईसाई मिशनरी व झामुमो पार्टी अब भी चुप्पी साधे हुए है।
आदिवासियों को उनकी मूल जड़ों से अलग कर रहीं मिशनरियां
ईसाई मिशनरी आदिवासियों के मूल धर्म से उनकी जड़ें अलग कर रही हैं। सरना धर्म कोड, संथाली को झारखंड में प्रथम राजभाषा, अंधविश्वास, नशापान, गलत आदिवासी परंपरा तथा गलत आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के खिलाफ लोगों को जागरूक तथा एकजुट करने का काम करें। इसे लेकर ना ईसाई मिशनरी और ना ही झामुमो पार्टी ने कोई कार्रवाई अब तक की है।
आदिवासियों का हो रहा है धर्मांतरण
विशेश्वर मरांडी ने कहा संताल परगना आज लुटने-मिटने के कगार पर खड़ा है। आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म व हत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। संथाली ओलचिकी विरोधी तत्व ईसाई धर्म में तेजी से आदिवासियों का धर्मांतरण, जमीन लूट, मांझी परगना व्यवस्था में ईसाई और अन्य जातियों का नेतृत्व लेना इत्यादि बहुत सी घटनाएं लगातार हो रही हैं। ये घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
झामुमो की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ है संताल परगना
संताल परगना झामुमो पार्टी की गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हुआ है। वोट के लिए झामुमो ने पूरे संताल परगना को मुसलमान व ईसाई के हाथों बेच दिया। हमारे वंशपरंपरागत मांझी परगना व्यवस्था भी इसपर चुप है। ना तो ये गांव-गांव में इन ज्वलंत मुद्दों पर बात करते हैं और ना ही करने देते हैं।
इस काम में दिशोम मंझी थान समिति दुमका व मांझी परगाना सरदार महासभा जामताड़ा भी सर्वाधिक दोषी है। जोकि संताल परगना के प्रमंडलीय स्तरीय संथाल आदिवासी हित की अच्छाई की बात तो करता है, लेकिन पर इस वक्त किसी भी ज्वलंत मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहा है। इसलिए इनका भी पुतला दहन किया गया है।