बाल विवाह पर अंकुश लगाएगा उमंग
ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह गंभीर समस्या है। इस पर रोक लगाने के लिए पुरुषों की सहभागिता आवश्यक है। सोमवार को डीसी कार्यालय के सभागार में बदलाव फाउंडेशन व इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वूमेन (आइसीआरडब्ल्यू) के संयुक्त तत्वावधान में उमंग कार्यक्रम के तहत जागरूकता संगोष्ठी में उपायुक्त डॉ. जटाशंकर चौधरी ने उक्त बातें कही।
जागरण संवाददाता,जामताड़ा : ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह गंभीर समस्या है। इस पर रोक लगाने के लिए पुरुषों की सहभागिता आवश्यक है। सोमवार को डीसी कार्यालय के सभागार में बदलाव फाउंडेशन व इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वूमेन (आइसीआरडब्ल्यू) के संयुक्त तत्वावधान में उमंग कार्यक्रम के तहत जागरूकता संगोष्ठी में उपायुक्त डॉ. जटाशंकर चौधरी ने उक्त बातें कही। कहा कि इसके लिए ग्राम प्रधानों व शादी निर्धारण कराने वाले लोगों को चिह्नित कर दायित्व सौंपना अनिवार्य है। संथाल समाज में रायवा हड़ाम के माध्यम से शादी ठीक की जाती है और ग्राम प्रधान की भी शादी कराने में अहम भूमिका है। ऐसे में यदि इन लोगों को बाल विवाह पर अंकुश लगाने की दिशा में दायित्व सौंपा जाय तो समाज को बाल विवाह जैसे अभिशाप से मुक्त कराना संभव हो सकेगा। डीसी ने सभी मुखिया से भी समाज के ऐसे लोगों की सूची प्राप्त करने को कहा जो विवाह कराने में अहम भूमिका अदा करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा संचालित तेजस्वनी योजना की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने जामताड़ा जिले में भी इस योजना को शुरू करने के लिए एक संस्था को दायित्व दिया है। 14 से 24 वर्ष की आयु की युवतियों के विकास व जागरूक करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। बदलाव को उक्त संस्था का अपने कार्य के परिपेक्ष्य में तुलनात्मक अध्ययन करने को कहा। इस अध्ययन में जो क्षेत्र अछूता है उस पर किशोरियों के विकास के लिए कार्य करने को कहा। आइसीआरडब्ल्यू के शोध व कार्यक्रम निदेशक प्रणिता आचूत्य,उमंग परियोजना प्रमुख डॉ. ससरीन जमाल,आईसीआरडब्ल्यू के राज्य प्रमुख तन्वी झा,नाला सीडीपीओ सविता कुमारी,आशा राठौर,उमंग परियोजना के जामताड़ा समन्वयक दिनेश,देवाशीष,सविता आदि ने परिचर्चा में भाग लिय।