शौचालय को अपना आशियाना बनाया छुतुर टुडू
संवाद सहयोगी कुंडहित जामताड़ा) बिहार से अलग होकर झरखंड बने 20 साल गुजर गये लेकि
संवाद सहयोगी, कुंडहित जामताड़ा)
: बिहार से अलग होकर झरखंड बने 20 साल गुजर गये, लेकिन अभीतक आदिवासियों को समुचित लाभ नहीं मिला है। आज भी क्षेत्र में सैकड़ों आदिवासी सरकारी लाभ से वंचित हैं। जबकि झारखंड निर्माण के बाद 11-11 आदिवासी मुख्यमंत्री बने। लेकिन आदिवासी मूलवासियों की सुध नहीं ली गई। क्षेत्र में सैकड़ों आदिवासियों का ठीक से घर तक नहीं मिल पाया है। ऐसे लोग कभी सरकारी आवास में तो कभी किसी घर के बाहर तो कभी पेड़ के नीचे रात गुजार पर विवश है।
ऐसा ही एक मामला कुंडहित प्रखंड की बनकाटी पंचायत अन्तर्गत महेशपुर आदिवासी टोला में सामने आया है। 70 वर्षीय आदिवासी वृद्ध छुतुर टुडू का आवास ढह गया तो उसने सरकारी मदद की गुहार प्रशासन से लगाई पर आज तक उसे घर नसीब नही हो सका। इस वजह से आज वह एसबीएम के तहत बने शौचालय में अपना डेरा डाले हुए हैं। उसी के अंदर खाना बनाता है और वहीं उसकी रात कटती है। इसे छोड़कर कभी वह आंगनबाड़ी केन्द्र में तो कभी विद्यालय भवन में भी समय काटता है। दिसम्बर में पेयजल व स्वच्छता विभाग से उसे एसबीएम के तहत शौचालय मिला था। अब उसकी तकलीफ देखकर ग्रामीणों ने ताड़ के पत्तों से झोपड़ी बना दी है। अब लगातार बारिश से ताड़ की पत्ती की झोपड़ी में पानी रिसता रहता है। पूछने पर उसने कहा कि बाब हम गरीब लोग किसके पास जाएं। सरकारी आवास कैसे मिलेगा, नहीं जानते। अब उसकी व्यथा की जानकारी बीडीओ व बनकाटी मुखिया को दी गई। ---आधार व राशन कार्ड भी नहीं : छुतुर टुडू ने बताया आज तक उनका आधार कार्ड व खाद्य सुरक्षा के तहत राशन कार्ड नहीं बना है। इसके लिये पंचायत सचिव व मुखिया से बोले पर काम नहीं हुआ। राशन नही मिलने से पेट भरना मुश्किल है। बताया कि कभी कभी दिन में एक बेला खाना खाकर आधा पेट में रात गुजारा करते है। उन्होंने बताया लॉकडाउन के दौरान जब सभी काम कार्य बंद हो गये तब मुखिया ने 10 किलोग्राम चावल दिया था। फिर जनवितरण प्रणाली के दुकानदार से 5-5 किलोग्राम चावल मिला था। वह कबका खत्म हो गया। ---क्या कहते हैं अधिकारी : बीडीओ गिरिवर मिज ने बताया महेशपुर मे व छुतुर टुडू का आवास नही है। शौचालय में रात गुजारने की जानकारी उन्हें नहीं है। शीघ्र ही खुद जाकर उसकी स्थिति की जानकारी लेंगे। फिर उसे आवश्यक मदद की जाएगी।