लॉकडाउन से ऑटोचालक की रोजी-रोटी पर आफत
मिहिजाम (जामताड़ा) महामारी कोरोना के कारण लगभग पौने दो महीने से लॉकडाउन लगने के क
मिहिजाम (जामताड़ा) : महामारी कोरोना के कारण लगभग पौने दो महीने से लॉकडाउन लगने के कारण ऑटोचालकों में भूखमरी छाने लगी है। क्षेत्र में लगभग 70 से अधिक ऑटोरिक्शा से चालक अपने परिवार भरण-पोषण करते थे। परन्तु लॉकडाउन की इस लंबी अवधि से बेरोजगारी की वजह से मायूसी छाई है। ऑटोचालक केवल लॉकडाउन खुलने की आस में दिन गिन रहे हैं। इन्हें लॉकडाउन 4.0 चौथे चरण में सरकार से कुछ रियायत मिलने की उम्मीद थी। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। इससे चालकों को दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा हैं। कई चालक तो ठेला पर सब्जी बेचने को विवश है पर यह नफा से ज्यादा नुकसान का धंधा उनके लिए साबित हो रहा। लॉक डाउन से मर्माहत ऑंटोचालकों ने ऐसे अपनी व्यथा बताई।
क्या कहते हैं ऑटोचालक : दो महीना से बेकार बैठे हैं। किसी तरह जमा पूंजी से परिवार का पोषण कर रहे हैं। अब जमा पूंजी भी समाप्त हो चुकी है। सरकार जल्द से जल्द ऑटोचालक चलाने की अनुमति दे नहीं तो भुखमरी के कगार पर होंगे।
--- सुकुमार मंडल, ऑटोचालक।
सरकारी व्यवस्था में चावल का उठाव तो कर ले रहे हैं परंतु अन्य सामग्री के लिए पैसे नहीं है। किसी तरह दुकानों से उधार लेकर खाने के इंतजाम कर रहे हैं। अब तो उधार भी दुकानदार देने में ना-नुकुर कर रहा है। ऐसे में कैसे दिन कटेगा। सरकार ऑटो चलाने की अनुमति दे।
--- अशोक मित्रा, ऑटोचालक।
लॉकडाउन से काफी परेशानी घर संसार चलाने में हो रही है। जमा पूंजी तो पहले ही समाप्त हो गई। अब कर्जा लेकर किसी तरह अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं। गाड़ी नहीं चलेगी तो घर का चूल्हा जलना भी अब मुश्किल हो जाएगा।
मनोहर यादव, ऑटोचालक।
लॉकडाउन से ही बेकार बैठे हैं। पैसे समाप्त हो गए। ठेला पर सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं। इसी से किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। सरकार जल्द लॉकडाउन में ऑटोचालकों को भी रियासत दें।
काजल राय चौधरी, ऑटोचालक।