यहां सड़क पर चल रही दुकान, राहगीर हलकान
अतिक्रमण की वजह से करमाटांड़ के गणपत चौक और सुभाष चौक को जाम से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।
करमाटांड़ (जामताड़ा) : करमाटांड़ के गणपत चौक और सुभाष चौक को जाम से मुक्ति नहीं मिल रही है। अतिक्रमण व वाहन चालकों की मनमानी की वजह से इस समस्या से प्रतिदिन राहगीरों को दो-चार होना पड़ता है। सड़क पर दुकानें सज गई है। इस कारण पैदल गुजरना मुश्किल हो गया है। सड़क की दोनों ओर फुटपाथ पर बाइकों व दुकानदारों ने अस्थायी तरीके से कब्जा जमा लिया है।
गणपत चौक बाजार को जाने वाली मुख्य सड़क रेलवे स्टेशन से बाहर निकलती है। यहां लोग ट्रेन पकड़ने व टिकट लेने के लिए पहुंचते हैं और वाहन सड़क पर ही खड़ा करते हैं। इससे जाम लगने लगता है।
वहां सड़क किनारे ठेला भी लगाकर छोड़ दिया जाता है। गणपत चौक बाजार स्थित छोटे दुकानदार से लेकर बड़े दुकानदार तक अपनी दुकान की सामग्री सड़कों तक सजा कर देते हैं। सब्जी दुकानें कतार में लगी मिलती है। वहीं ठेला व अन्य वाहन लंबे समय तक सडक पर ही माल उतारने लगता है। प्रशासन ने यात्री सुविधा के लिए गणपत चौक स्थित कुआं के सामने यात्री शेड बनाया। परंतु इसका इस्तेमाल कुछ दबंग व्यवसाई अपने गोदाम के रूप में कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन इस मनमानी के प्रति अनभिज्ञ है जबकि लोगों ने कई बार मौखिक रूप से समस्या की जानकारी स्थानीय थाना एवं अंचल अधिकारी तक पहुंचाई है। पर अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसी प्रकार सुभाष चौक पर भी दुकानदारों की यही मनमानी है। कुछ दिन पूर्व इस अतिक्रमण की शिकायत स्थानीय लोगों ने जनसंवाद में की थी। इस पर अंचल अधिकारी ने जांच टीम गठित कर सड़क की मापी करवाई। दुकानदारों को नोटिस भी थमाया गया परंतु नोटिस के बावजूद भी दुकानदारों ने अपनी दुकानें नहीं हटाई। यहां अतिक्रमण की वजह से बड़े वाहन तो दूर छोटे वाहनों को भी गुजरना मुश्किल हो जाता है। जबकि यह सड़क करमाटांड़-देवघर को मुख्य सड़क से जोड़ती है। सड़क पर दस फीट तक आगे कर दुकानों के काउंटर रख जाता है। इसके बाद बाइक भी खड़ी कर दी जाती है। ऐसे में प्रतिदिन वहां जाम लगना स्वाभाविक है। इन परेशानियों के कारण दुकानदारों व वाहनों चालकों के बीच तू-तू मैं-मैं भी होती रहती है।
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'सड़क को अतिक्रमण मुक्त जल्द किया जाएगा। सड़कों का अतिक्रमण करने वालों को चिह्नित कर प्रशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी।
सच्चिदानंद वर्मा, अंचल अधिकारी, करमाटांड़।