दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता
पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि विद्यासागर (करमाटांड़) में सूर्य की किरण निकलने से पहले ही लोग चाय की दुकान पर जुट जाते हैं। इसके बाद शुरू हो जाती है विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा।
विद्यासागर (जामताड़ा) : पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि विद्यासागर (करमाटांड़) में सूर्य की किरण निकलने से पहले ही लोग चाय की दुकान पर जुट जाते हैं। इसके बाद शुरू हो जाती है विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा।
चाय की चुस्की के साथ जीत हार के समीकरण पर बहस इस कदर आगे बढ़ जा रहा है कि चाय की प्याली खाली होने के बाद भी बहस बंद नहीं होती। इतना ही नहीं लोग सियासी गणित बैठाकर जीत और हार के दावे भी सुनिश्चित कर रहे हैं। सारठ का राजा इस बार कौन बनेगा, इसी पर घंटे भर तक आपस में लोगों की बहसें चलती रही। जितने लोग उतनी बात की तर्ज पर सभी विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के लिए अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत कर रहे हैं।
मंगलवार की सुबह प्रवीण गुप्ता की चाय की दुकान पर सुबह-सुबह चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा धीरे-धीरे बहस में बदलती चली गई। सबसे रोचक बात यह है कि यहां होने वाली बहस में ड्राइवर, दुकानदार से लेकर बड़े व्यवसायी, ठेकेदार, बुद्धिजीवी शामिल हो रहे हैं। मनोज साह ने कहा कि जो प्रत्याशी मूलभूत जरूरतों को महसूस कर कार्य करेगा, मतदाता उसी का साथ देगा। अतीत कौन याद रखता है? रमेश साह ने कहा कि जाति और दलगत भावना से ऊपर उठकर राजनीति करनेवाले व विकास के प्रति गंभीर रहनेवालों का ही दिन सुधर सकता है। पैसे के बूते किसी की चुनावी कामना पूरी नहीं होनेवाली है। लक्ष्मण मंडल बोल उठे कि इस बार वादों के झांसे में आम जनता आने वाली नहीं है। जो वादा करेंगे उनको निभाना पड़ेगा तभी जनता उन्हें स्वीकार करेगी। खोखन मियां ने कहा कि परिस्थिति के हिसाब से बदलाव जरूरी है। अभी कई समीकरण बनते-बनते बिगड़ेंगे। दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।