Move to Jagran APP

दुलाडीह के बुजुर्ग से अधेड़ तक केवल नाम लिखना जानते

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) नारायणपुर प्रखंड कार्यालय से छह किमी दूरी पर बसा टोपाटांड़ पंचायत का दुलाडीह गांव। यह गांव नारायणपुर-गिरिडीह मुख्य मार्ग में बसा हुआ है। दशकों से इस गांव में करीब 30 परिवार पिछड़े समुदाय के लोग रहते हैं। यह गांव तो मुख्य मार्ग पर अवस्थित है। आवाजाही की कोई तकलीफ इस गांव में नहीं है। बिजली की सुविधा भी है लेकिन कई ऐसे महत्वपूर्ण सुविधा है जो गांव के लिए होना चाहिए नहीं है। गांव के अधिकतर लोग मजदूरी कर परिवार का गुजर-बसर करते हैं। कोई गांव की ईद-गिर्द मजदूरी का कार्य करता है तो कई लोग अन्य प्रदेशों में जाकर निजी कंपनियों में कार्य कर अपने परिवार को चलाते हैं। शिक्षा के मामले में गांव के लोग अब भी पिछड़े हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 04:17 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 04:17 PM (IST)
दुलाडीह के बुजुर्ग से अधेड़ तक केवल नाम लिखना जानते
दुलाडीह के बुजुर्ग से अधेड़ तक केवल नाम लिखना जानते

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : नारायणपुर प्रखंड कार्यालय से छह किमी दूरी पर बसा टोपाटांड़ पंचायत का दुलाडीह गांव। यह गांव नारायणपुर-गिरिडीह मुख्य मार्ग में बसा हुआ है। दशकों से इस गांव में करीब 30 परिवार पिछड़े समुदाय के लोग रहते हैं। यह गांव तो मुख्य मार्ग पर अवस्थित है। आवाजाही की कोई तकलीफ इस गांव में नहीं है। बिजली की सुविधा भी है लेकिन कई ऐसे महत्वपूर्ण सुविधा है जो गांव के लिए होना चाहिए, नहीं है। गांव के अधिकतर लोग मजदूरी कर परिवार का गुजर-बसर करते हैं। कोई गांव की ईद-गिर्द मजदूरी का कार्य करता है तो कई लोग अन्य प्रदेशों में जाकर निजी कंपनियों में कार्य कर अपने परिवार को चलाते हैं। शिक्षा के मामले में गांव के लोग अब भी पिछड़े हैं। बुजुर्ग से लेकर अधेड़ उम्र के लोगों ने नाम लिखने के अलावा आगे का कार्य नहीं सीखा है। एक-दो व्यक्ति को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर लोग इसी गिनती में आते हैं।

loksabha election banner

आंगनबाड़ी की सुविधा भी नहीं : भोले-भाले समुदाय में गिनती आनेवाले इस वर्ग के लोग समय-समय पर विभिन्न राजनीति दलों के झूठे वादे का शिकार होते रहे हैं। जिस-जिस पार्टी की सरकार बनी जिसके भी नेता विधायक बनकर गए, सभी ने इस समुदाय को ठगने का कार्य किया। अब भी गांव में शुद्ध पेयजल के लिए लोग परेशान रहते हैं। सिचाई का पर्याप्त संसाधन गांव में नहीं है। छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों के लिए आंगनबाड़ी जैसे केंद्र की सुविधा यहां पर नहीं है। यहां के छोटे बच्चों को व गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण की सुविधा तो सहिया व स्वास्थ्य कर्मी के माध्यम से मिल जाती है पर पोषाहार से लोगों को वंचित रहना पड़ता है।

स्कूल था बंद हो गया : पांच वर्ष के ऊपर के बच्चों के लिए सरकार ने इस गांव में विद्यालय जरूर खोला था लेकिन कम बच्चे की दुहाई देकर सरकार ने इस विद्यालय को दो वर्ष पूर्व ही बंद कर दिया। अब यहां के बच्चों को पठन-पाठन के लिए दूसरे गांव के विद्यालय में जाना पड़ता है। अस्पताल की सुविधा इस गांव में नहीं है। यहां के लोगों को ईलाज के लिए नारायणपुर अस्पताल पहुंचते हैं। सबसे बड़ी अहम समस्या यहां रोजगार का है। मजदूर वर्ग से संबंध रखनेवाले सभी परिवार के लोगों को यहां मनरेगा से रोजगार नहीं मिलता है। लोगों को रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश पलायन करना पड़ता है। अभी चुनावी मौसम में गांव में बहुत चहल-पहल नहीं है। लोग जो भी धान की फसल लगाए हैं, उसे काटने में व्यस्त हैं। कोई सब्जी आदि लगाने का कार्य कर रहे हैं।

---क्या कहते हैं ग्रामीण : गांव में शुद्ध पेयजल की समस्या वर्षो से व्याप्त है। हम सभी कूप आदि का पानी सेवन कर अपनी प्यास बुझाते हैं। एक-दो चापाकल तो लगे हैं लेकिन वह हमारे प्यास को बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

श्यामलाल राय।

..

गांव के बच्चों के पढ़ने के लिए विद्यालय वर्षो पूर्व था। अटल जी की सरकार ने हमारे गांव में स्थापित कराया था उसे पिछले दो वर्ष पूर्व ही बंद कर दिया गया। विद्यालय का भवन लोगों का मुंह चिढ़ा रहा है। बच्चों को दूसरे गांव में जाकर पठन-पाठन करना पड़ रहा है। धनेश्वर राय।

..

हमारे गांव में अन्य गांव की तुलना में विकास नहीं हुआ है। रोजगार, पेयजल, स्वास्थ्य आदि की समस्या बरकरार है। किसी विधायक ने हमारी समस्या निदान के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाया।

विनोद राय।

..

गांव की आधी आबादी के लिए सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। हम बिल्कुल पिछड़े महसूस कर रहे हैं। विकास नहीं हो पाया। गांव के 8 परिवारों को ही पीएम आवास मिल पाया है। शेष कच्चे मकान में रहने को विवश हैं।

रूबी देवी।

..

गांव में ज्यादा पढ़े-लिखे लोग कम हैं। गांव में कई लोग सब्जी की खेती करते हैं लेकिन यहां जितनी खाली व बंजर भूमि है इस भूमि में सब्जी की खेती के लिए सिचाई का पर्याप्त सुविधा पर कभी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सिचाई का संसाधन रहता विकास की तस्वीर और होती। ग्रामीण सुखदेव राय।

..

किसी सरकार ने गांव के विकास पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मौजूदा सरकार से कई लाभ मिला है। यहां सिचाई के संसाधन के लिए कई बार जनप्रतिनिधि तक अपनी बात पहुंचाए पर नहीं सुनी गई।

ग्रामीण मोहन राय।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.