मरीजों के लिए डायलिसिस की समस्या समाप्त
जामताड़ा प्रशासनिक पहल पर सदर अस्पताल में बंद डायलिसिस सेंटर मंगलवार को चालू कर दिया गय
जामताड़ा : प्रशासनिक पहल पर सदर अस्पताल में बंद डायलिसिस सेंटर मंगलवार को चालू कर दिया गया। अब मरीजों को डायलिसिस की सुविधा के लिए दूसरे जिलों में भटकना नहीं पड़ेगा। पहले दिन डॉ. अशोक कुमार की देखरेख में छह मरीजों की डायलिसिस की गई। डायलिसिस केंद्र में तीन बेड की क्षमता है। इसलिए बारी-बारी से पांच मरीजों की डायलिसिस की गई। डॉ. अशोक कुमार ने सेवाभाव से केंद्र में योगदान किया है। ताकि मरीजों को दिक्कत न हो। सनद रहे कि पिछले हफ्ते एक मरीज की मौत होने के बाद डायलिसिस सेंटर बंद करवा दिया गया था। चिकित्सक देवघर से ऑनलाइन यहां कर्मी से डायलिसिस करवाते थे। इसी में दुमका के मरीज साधु की मौत हो गई थी।
प्रशिक्षित चिकित्सक के अभाव में सदर अस्पताल में बंद डायलिसिस केंद्र सात दिन बाद मंगलवार को पुन: खुला। जहां मंगलवार को पांच मरीज की डायलिसिस डॉ. अशोक कुमार की देखरेख में की गई। डॉ. अशोक ने कहा कि गरीब मरीजों की सुविधा के लिए वे सेवा दे रहे हैं। एजेंसी को एक माह का वक्त दिया है तब तक वह स्थायी तौर पर चिकित्सक की व्यवस्था कर ले। मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर आजाद भी मौजूद रहे। जिले में सरकारी तथा निजी अस्पतालों में डायलिसिस की व्यवस्था नहीं है। मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए पश्चिम बंगाल तथा बिहार के विभिन्न जिलों में जाना पड़ता है। जबकि सदर अस्पताल में संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा स्थापित डायलिसिस सेंटर में महज 1203 रुपये में मरीजों की डायलिसिस संभव होती है।
सदर अस्पताल में सरकार से अधिकृत संजीवनी संस्थान की ओर से पिछले सात महीना से डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। लॉकडाउन में डायलिसिस कार्य बंद नहीं था लेकिन चिकित्सक नहीं पहुंच रहे थे। ऐसे में चिकित्सक वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से संबंधित मरीजों को सहायक से डायलिसिस करवाते थे। इसी क्रम में 30 जून को डायलिसिस के क्रम में दुमका के मरीज की मौत हो गई थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त ने डायलिसिस सेंटर में बगैर डॉक्टर की उपस्थिति में डायलिसिस बंद करने का निर्देश दिया था। उसके बाद सेवानिवृत चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार को मंगलवार से डायलिसिस केंद्र में प्रतिनियुक्त किया गया। संजीवनी संस्थान में सेवा दे रहे डॉ. मनोज कुमार को कार्य से हटा दिया गया। डायलिसिस के दौरान जब मरीज की मौत हुई थी तो सेंटर में प्रतिनियुक्त देवघर के चिकित्सक मनोज कुमार ड्यूटी से गायब थे। जबकि उनकी अनुपस्थिति में और 30 जून को टेक्निशियन मरीज की डायलिसिस कर रहा था। इसी बीच मरीज की मौत हो गई। इसके बाद उपायुक्त गणेश कुमार ने बिना चिकित्सक के डायलिसिस सेवा बंद रखने व पूरे मामले को जांच करने का निर्देश दिया था। साथ ही सीएस डॉ. आशा एक्का को शोकॉज किया था। इधर डायलिसिस सेवा प्रारंभ होने के बाद डीएस डॉक्टर चंद्रशेखर आजाद ने सेंटर का दो बार औचक निरीक्षण किया।