शरीर दिव्यांग होता है, मन दिव्यांग नहीं : सचिव
जामताड़ा दिव्यांगों के प्रति सामाजिक कलंक को मिटाने और उनके जीवन को और बेहतर बनाने के लिए समाज के हर तबके के लोगों को आगे आना जरूरी है। उक्त बातें मंगलवार को विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कुशेश्वर सिकू ने राजकीय आवासीय विद्यालय दुलाडीह में विद्यालय के बच्चों के बीच कही। कहा कि दिव्यांग को समाज में रह रहे उन लोगों की तरह ही मौलिक अधिकार प्राप्त है जो दिव्यांग नहीं हैं। आज सरकार दिव्यांगों की दशा और दिशा सुधारने के लिए काफी प्रयासरत है। उसके दिव्यांग के अनुसार ही उसे निश्शुल्क उपकरण दिया जा रहा है।
जामताड़ा : दिव्यांगों के प्रति सामाजिक कलंक को मिटाने और उनके जीवन को और बेहतर बनाने के लिए समाज के हर तबके के लोगों को आगे आना जरूरी है। उक्त बातें मंगलवार को विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कुशेश्वर सिकू ने राजकीय आवासीय विद्यालय दुलाडीह में विद्यालय के बच्चों के बीच कही। कहा कि दिव्यांग को समाज में रह रहे उन लोगों की तरह ही मौलिक अधिकार प्राप्त है जो दिव्यांग नहीं हैं। आज सरकार दिव्यांगों की दशा और दिशा सुधारने के लिए काफी प्रयासरत है। उसके दिव्यांग के अनुसार ही उसे निश्शुल्क उपकरण दिया जा रहा है। दिव्यांग प्रमाणपत्र लेने के लिए जिले के अस्पताल में जांच करवानी जरूरी है। जांच के उपरांत ही सिविल सर्जन द्वारा गठित टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही दिव्यांग प्रमाणपत्र दिया जाता है। दिव्यांग प्रमाणपत्र मिल गया है तो इसके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्राप्त कर सकते हैं। उपकरण की भी मांग कर सकते हैं। इसके लिए समाज कल्याण पदाधिकारी के पास आवेदन देना होगा। दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है। अगर कोई व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है तो वह अपने आप को यह न समझे कि वह कुछ नहीं कर पाएगा। शरीर दिव्यांग हो सकता है मन दिव्यांग नहीं होता है। बहुत सारे दिव्यांगों ने संसार में इतिहास रचा है, इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए। मौके पर पीएलबी मेहर सिंह और राजेश दत्त सहित विद्यालय के सभी शिक्षक व बच्चे मौजूद थे।