Jamtara: 11 फरवरी से आदिवासी सेंगल करेंगे अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम, 50 जिलों में जारी रहेगा यह अभियान
Jamtara आदिवासी सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने जामताड़ा में प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने बताया कि मरांग बुरू बचाने और हर हाल में सरना धर्म कोड की मान्यता लेने के लिए चक्का जाम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आराध्य मरांग बुरु के धोखेबाजी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जागरण संवाददाता, जामताड़ा। मरांग बुरू को आदिवासी को सौंपने और सरना धर्म कोड जल्द लागू करने की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल पूर्वी भारत के 50 जिलों में 11 फरवरी से रेल-रोड चक्का जाम करेगा। इससे पहले झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम के 50 जिला मुख्यालय में सोमवार को मशाल जुलूस निकाला जाएगा।
आदिवासी सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने जामताड़ा में रविवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसकी जानकारी दी। पूर्व सांसद सालखन मुर्मू की पत्नी सुमित्रा मुर्मू ने बताया कि उनके नेतृत्व में जारी यह यात्रा 17 जनवरी को जमशेदपुर से शुरू हुई, जो विभिन्न जिलों का दौरा करते हुए 11वें दिन तक जारी है।
12वें दिन जामताड़ा के नाला प्रखंड जन जागरण सभा के बाद 30 जनवरी को पुरुलिया जिला (बंगाल), 31 जनवरी को दुमका जिला के मसलिया और एक फरवरी को पाकुड़ के महेशपुर, दो फरवरी को साहिबगंज के बरहड़वा और इसके बाद गोड्डा के विभिन्न प्रखंडों में यह अभियान चलाया जाएगा। सात फरवरी को चाईबासा के पिलाई हाल में 'मरांग बुरू बचाओ' यात्रा और जन सभा का आयोजन किया जाएगा।
ये हैं मांगें
सुमित्रा मुर्मू ने बताया कि भारत यात्रा 28 फरवरी 2023 तक जारी रहेगी। भारत यात्रा देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी बहुल जिलों में जिलेवार जनसभा करेगा और जनता को जागरूक करेगा। भारत यात्रा के दौरान मरांग बुरू बचाने और हर हाल में सरना धर्म कोड की मान्यता लेना, कुर्मी को एसटी बनाने वालों का विरोध करना, असम व अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी बनाना, झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करना, देश के सभी पहाड़ पर्वतों को आदिवासियों को सौंपने की मांग करना, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार लाना आदि मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा।
मरांग बुरू (पारसनाथ) पर पहला अधिकार आदिवासियों का
सालखन मुर्मू ने बताया कि 14 जनवरी को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र प्रेषित कर इन विषयों की जानकारी प्रदान कर दी गई है। सेंगेल का दृढ़ संकल्प है कि मारंग बुरू को हर हाल में जैनों के कब्जे से छुड़ाना है। उन्होंने कहा कि मरांग बुरू यानी पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार हम आदिवासियों का है। यह हमारे लिए राम मंदिर, स्वर्ण मंदिर, मक्का मदीना और वेटिकन सिटी से कम नहीं है।
सोरेन परिवार पर जमकर बरसे सालखन
सालखन ने सोरेन परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम आदिवासियों का दुर्भाग्य है कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरू को एक नोटिफिकेशन से जैनों को सौंपने या बेचने का काम किया है। पहले दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने 1993 में झारखंड को बेचा। अब आदिवासी गांव तालझारी, ललमटिया थाना, गोड्डा जिला, झारखंड के आदिवासी ग्रामीणों की जमीन को बुलडोजर लगाकर जबरदस्त छीना जा रहा है। ग्रामीणों को पीटा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को डराया जा रहा है, बेवजह फर्जी मुकदमों में घसीटा जा रहा है। वहां के स्थानीय जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम, सांसद विजय हंसदा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुप हैं। यह सभी परिदृश्य दर्शाते हैं कि झामुमो के नेता आदिवासी विरोधी हैं। खातियानी जोहार यात्रा के नाम से जनता को ठगने का काम कर रहे हैं। आदिवासी सेंगेल अभियान जेएमएम और उनके सभी सहयोगियों को बेपर्दा करके रहेगा। क्योंकि किसी भी पार्टी, संगठन और नेता से बड़े हैं आदिवासी समाज के लोग और हमारे आराध्य मरांग बुरु, जिनके साथ धोखेबाजी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।