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ई-सिगरेट के आगोश में शहर के युवा

अब स्टील सिटी के युवा व किशोर वोदका और बीयर जैसे नशीले मादक पदार्थो के अलावा इ सिगरेट की गिरफ्त में हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:47 AM (IST)
ई-सिगरेट के आगोश में शहर के युवा
ई-सिगरेट के आगोश में शहर के युवा

जमशेदपुर (मनोज सिंह): अब स्टील सिटी के युवा व किशोर वोदका और बीयर जैसे नशीले मादक पदार्थो से रिश्ता गुजरे जमाने की बात बन जायेगी। अब नये जमाने के युवा पीढ़ी में ई-सिगरेट का नशा चढ़ गया है। अब वे पार्टी में जाते भी हैं तो बड़ों को देखकर शराब या बीयर का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि ई-सिगरेट में 'कुछ और' मादक पदार्थ मिला कर कश चढ़ाते हैं। महानगरों का यह फैशन अब लौहनगरी के युवाओं में भी खूब पनप रहा है। शहर के छात्रों में ई-सिगरेट का चलन बढ़ रहा है, कलम की तरह दिखाई देने वाले ई-सिगरेट पॉकेट में रखकर युवा अपने माता-पिता को भी धोखे में रख रहे हैं।

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युवा-किशोर की टोली को स्थानीय जुबली पार्क में ई-सिगरेट का सेवन करते हुए आसानी से देखा जा सकता है। जुबली पार्क में ई-सिगरेट का सेवन कर रहे युवाओं की टोली से जब पूछा गया तो

ई-सिगरेट स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। शहर में 350 से 700 रुपये में बिष्टुपुर व साकची के बाजार में उपलब्ध है।

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ई-सिगरेट क्या है

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट या ई-सिगरेट धूम्रपान करने के लिए एक साफ और आरामदायक विकल्प प्रदान करने के लिए बनाया गया था। इसके पीने से शरीर, घर, कार्यालय और कार आदि में धुंआ का गंध नहीं आएगा। लेकिन अब इसका इस्तेमाल हुक्का के तौर पर किया जाने लगा। जिस प्रकार हुक्का में विभिन्न प्रकार के फ्लेवर डालकर जिसमें नशा भी शामिल है का उपयोग किया जाता है, ठीक उसी तरह ई-सिगरेट में नशीले पदार्थ का सेवन किया जाने लगा है।

ई सिगरेट के अंदर एक रिचार्जेबल लिथियम - आयन बैटरी है। इसके अंदर तरल कंटेनर का हिस्सा बैटरी से जुड़ा हुआ रहता है। । जब आप श्वास लेते हैं, तो इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का बैटरी सक्रिय होती है और ई-तरल को वाष्पीकृत करना शुरू कर देता है।

शहर में इस तरह के नशीले पदार्थ का हो रहा सेवन

शहर में ई-सिगरेट के अलावा अन्य नशीले पदार्थ कानशे के लिए इस्तेमाल हो रही दवाओं में सबसे प्रचलित नाम है क्लोरल हाइड्रेट। कोकीन सा दिखने वाला यह पाउडर अमूमन बच्चों में सीटी स्कैन या एमआरआई करते वक्त हल्की बेहोशी देने के काम आता है। नवयुवकों में अब यही पाउडर नशे की तरह प्रचलित हो रहा है। इसे शराब या बीयर में मिलाकर मादकता को और बढ़ाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा थोड़ा ज्यादा मात्रा में ले ली जाये तो इससे तत्काल रक्तचाप, हार्ट रेट बढ़ जाता है और कुछ देर बाद श्वसन तन्त्र काम करना बन्द कर देता है। ध्यान न देने पर व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। डाक्टर के अनुसार अक्सर डाइजीपाम, नींद और खांसी की दवाओं को ज्यादा मात्रा में लेने से बेहोशी की हालत में मरीज आते हैं। चिकित्सक के अनुसार खांसी, दमा और श्वास सम्बन्धी रोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के साथ ही दर्द निवारक व नशे के रुप में इस्तेमाल होने वाले दवाएं आयोडेक्स, फेंसाडील, कोरेक्स, फोर्टवीन, डेंड्राइफ, इस्पास्मोप्रोक्सीबोन, टीडिजेसिक, मार्फिन, कम्पोज, वेलियम 10, अल्प्राजोलम, डेक्सोना आदि का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।

ई-सिगरेट से अपने बच्चों को दूर रखें अन्यथा इसकी आदत बचपन से लग जाने पर बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। जिस तरह हुक्का बार में लोग नशीले फ्लेवर का उपयोग करते हैं, ठीक उसी तरह ई-सिगरेट में भी इस्तेमाल होता है। अत्यधिक उपयोग सेहत के लिए तो हानिकारक है ही बल्कि याददास्त भी जा सकती है।

डा. मनोज कुमार साहू, मनोचिकित्सक, टाटा मुख्य अस्पताल


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