भाषा व सरना धर्म के लिए रांची तक पदयात्रा शुरू
कोल्हान के हो आदिवासियों ने सोमवार को भाषा आंदोलन का आगाज कर दिया। इसके लिए हो समाज के सैकड़ों लोग सोमवार को 120 किमी की पदयात्रा पर निकल गए।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कोल्हान के हो आदिवासियों ने सोमवार को भाषा आंदोलन का आगाज कर दिया। इसके लिए हो समाज के सैकड़ों लोग सोमवार को 120 किमी की पदयात्रा पर निकल गए। जमशेदपुर से शुरू हुई पदयात्रा पांच अगस्त को रांची पहुंचकर समाप्त होगी। आदिवासी हो समाज युवा महासभा की ओर से की जा रही पदयात्रा में पूर्वी सिंहभूम के साथ-साथ चाईबासा, चक्रधरपुर समेत सरायकेला-खरसावां के सैकड़ों हो युवा अपनी सहभागिता निभा रहे हैं।
सोमवार को जमशेदपुर के साकची गोलचक्कर से पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने झंडी दिखा कर पदयात्रा को रवाना किया। पदयात्रा में 1500 से अधिक हो समाज के लोग भाग ले रहे हैं।
सोमवार को जमशेदपुर से रवाना होने के बाद पदयात्री चांडिल तक का सफर पूरी कर चुके थे। पांच अगस्त को पदयात्रा में शामिल हो समाज के लोग रांची पहुंचेंगे और अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे। आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष सुरा बिरुली ने बताया कि पांच सूत्री मांगों में हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग प्रमुख होगी तो वहीं सरना धर्म को मान्यता देते हुए इसके लिए जनगणना में अलग से कोड व कॉलम का प्रावधान करने की भी मांग की जाएगी। राज्यपाल से कोल्हान प्रमंडल के सभी विद्यालयों में हो भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति करने एवं कोल्हान विश्वविद्यालय व रांची विश्वविद्यालय में हो भाषा का स्वतंत्र विभाग स्थापित करने की मांग भी की जाएगी।
सरकार ने मदद न की तो जोरदार आंदोलन : कोड़ा
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि हो आदिवासियों को अपनी पहचान के लिए अब लड़ाई लडऩी पड़ रही है। 20-30 वर्षों से विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से हो भाषा, साहित्य, संस्कृति को विशिष्ट पहचान दिलाने की लड़ाई लड़ी जा रही है। अगर सरकार ने इस बार भी हो समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो समाज को जोरदार आंदोलन के लिए बाध्य होना होगा।