गिदीझोपड़ी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर संकट, विश्वबैंक कराएगा विस्तृत जांच
बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के गिदीझोपड़ी में निर्माणाधीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जांच रिपोर्ट निरीक्षण पैनल ने विश्वबैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम और निदेशक मंडल को सौंप दी है। 25 पेज की 31 बिंदुओं वाली इस रिपोर्ट में निरीक्षण पैनल की अध्यक्ष इमराना जलाल ने अपनी प्राथमिक जांच में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई शिकायत को गंभीर माना है।
मुजतबा हैदर रिजवी, जमशेदपुर : बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के गिदीझोपड़ी में निर्माणाधीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जांच रिपोर्ट निरीक्षण पैनल ने विश्वबैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम और निदेशक मंडल को सौंप दी है। 25 पेज की 31 बिंदुओं वाली इस रिपोर्ट में निरीक्षण पैनल की अध्यक्ष इमराना जलाल ने अपनी प्राथमिक जांच में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई शिकायत को गंभीर माना है।
रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद विश्वबैंक के अध्यक्ष ने शिकायत रजिस्टर्ड करते हुए मामले की विस्तृत एवं अंतिम जांच के आदेश दे दिए हैं। विश्वबैंक के सूत्रों के अनुसार अध्यक्ष जिम योंग किम मामले की अंतिम जांच के लिए विषय विशेषज्ञों की एक टीम बनाएंगे। माना जा रहा है कि अब बागबेड़ा जलापूर्ति योजना विश्वबैंक के कार्रवाई के दायरे में आ गई है। अंतिम जांच के बाद विश्वबैंक योजना पर कार्रवाई को लेकर आदेश कर सकता है। इस तरह, बागबेड़ा जलापूर्ति योजना पर संकट के बादल छा गए हैं। योजना बाधित हो सकती है।
30 दिसंबर 2013 को मंजूर बागबेड़ा जलापूर्ति योजना 31 मार्च 2020 तक पूरी होने वाली है। इसमें 21 फीसद काम हो चुका है। इसमें घाघीडीह पंचायत के गिदीझोपड़ी में बनाया जा रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर गांव के संथाली और हो समुदाय के लोगों को एतराज है। उनका कहना है कि ये प्लांट उनकी सामुदायिक भूमि पर बनाया जा रहा है। 130 संथाली और हो समुदाय के लोगों ने मामले की शिकायत दो बार की थी। इस पर फिजी की मानवाधिकार कार्यकर्ता व विश्वबैंक की अधिकारी इमराना जलाल के नेतृत्व में विश्वबैंक के निरीक्षण पैनल ने गिदीझोपड़ी आकर मामले की जांच की थी। हो और संथाली ग्रामीणों और बाद में डीसी अमित कुमार समेत अधिकारियों के साथ बैठक कर उनकी शिकायत सुनी थी। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का जायजा लिया था।
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क्या है निरीक्षण पैनल की रिपोर्ट :
निरीक्षण पैनल ने रिपोर्ट में लिखा है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हो और संथाल जाति के लोगों के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संसाधनों पर प्रभाव डालता है। सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन और पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन का भी मसला है। योजना से गांव के लोगों को शुल्क लेकर पानी मिलेगा। इससे समुदाय में गरीबी बढ़ेगी। प्लांट का स्थल झारखंड के शहीदों का स्थल है। यहां हर पांच साल में समुदाय का बलिदान समारोह और भोज होता है। ग्रामीणों के अनुसार प्लांट सरकारी भूमि पर नहीं बल्कि समुदाय की भूमि पर है। इस दावे के लिए ग्रामीणों ने एक पुराना नक्शा सुबूत के तौर पर पेश किया। सरकार ने योजना के प्रतिकूल प्रभाव का आकलन कराया या नहीं ये जांच का विषय है। संविधान के अनुसार पांचवीं अनुसूची के गांव में कोई योजना कायम करने के लिए ग्राम सभा की अनुमति जरूरी है जो नहीं ली गई है। समुदाय को कभी सरकार ने योजना संबंधी दस्तावेज नहीं दिखाए। योजना से पर्यावरण होगा प्रभावित होगा। योजना नदी से पानी निकालेगी। इसका जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की जांच की जानी चाहिए।
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डरे हुए हैं गिदीझोपड़ी के लोग
विश्वबैंक के निरीक्षण पैनल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विश्वबैंक से मामले की शिकायत करने के बाद हो और संथाली ग्रामीण डरे हुए हैं। उन्होंने जब योजना का विरोध किया था तो उन्हें भयानक परिणाम की धमकी दी गई थी। इस वजह से इस जांच में पूरी गोपनीयता बरती गई।