जानलेवा नहीं रहा एड्स, मरीजों की मौत में आई कमी
विश्व एड्स दिवस पर एमजीएम अस्पताल में हुआ सेमिनार विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव।
जासं, जमशेदपुर : एक समय था जब एड्स को जानलेवा बीमारी समझा जाता था, जबकि अब ऐसा नहीं है। पहले की तुलना में एड्स के मरीजों की मौत में काफी कमी आई है। ये बातें विश्व एड्स दिवस पर डा. निर्मल कुमार ने मंगलवार को कहीं। साकची स्थित एमजीएम अस्पताल के मेडिसीन विभाग के हुए सेमिनार को संबोधित करते हुए कहीं। डा. निर्मल ने कहा कि अभी टीबी के मरीजों की एड्स व एड्स के मरीजों की टीबी जांच की जा रही है, क्योंकि ये दोनों बीमारी काफी घातक हैं। यदि किसी मरीज में दोनों बीमारी मिलती है तो दोनों बीमारी का इलाज निश्शुल्क किया जाता है। यही नहीं एड्स के मरीजों की जांच व दवा निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। एड्स के मरीज यदि समय पर दवा लेते रहें तो सामान्य जिदगी जी सकते हैं। यदि कोई गर्भवती एड्स से पीड़ित है तो उसकी और उसके नवजात बच्चे दोनों का इलाज किया जाता है। फिलहाल एमजीएम अस्पताल के एआरटी सेंटर में इलाज कराने आने वाले लोगों को तीन माह की दवा दी जा रही है। इसके साथ ही उस मरीज की समय-समय पर जांच भी की जाती है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित नर्सों व डाक्टरों से कहा कि यदि किसी कारण से एड्स मरीज का इलाज कराने के दौरान सुई या ब्लड लग जाता है, तो उस डॉक्टर व नर्स को तुरंत एड्स की दवा ले लेना है, इससे एड्स नहीं होगा। इसके साथ ही एड्स के मरीजों का इलाज के दौरान किन बातों पर ध्यान रखना है, यह भी बताया। सेमिनार में एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डा. संजय कुमार, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. पी. सरकार, स्किन विभागाध्यक्ष डा. एएन झा, नर्सिंग स्कूल की प्राचार्य रेखा मिश्रा, डा. बलराम झा सहित अन्य डॉक्टर-नर्स उपस्थित रहे।