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डॉ. वाकणकर ने देश के इतिहास को प्राचीन साबित करने का किया काम

गालूडीह के शालबनी स्थित जामिनी कात शैक्षणिक संस्थान के परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 08:00 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:33 AM (IST)
डॉ. वाकणकर ने देश के इतिहास को प्राचीन साबित करने का किया काम

जासं, जमशेदपुर : गालूडीह के शालबनी स्थित जामिनी कात शैक्षणिक संस्थान के परिसर में सेवा भारती के संस्थापक सदस्य डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर की जन्मशती के अवसर पर एक परिचर्चा सह कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया। इसमें बतौरमुख्य अतिथि डॉ. वाकणकर जन्म शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक शिवाजी क्राति उपस्थित थे।

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कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक सम्मान और दीप प्रज्वलित कर किया गया। संस्था केबासंती प्रसाद सिंह ने अतिथि शिवाजी क्राति को पुष्प गुच्छ देकर उनका अभिनंदन किया। इस परिचर्चा के दौरान डॉ. विष्णु श्रीधर जी के जीवन वृत और उनके कृतित्व पर विस्तार से बात की गई। विद्यार्थियों को शोधपरक सोच रखने के लिए प्रेरित किया गया ।

शिवाजी क्राति ने कहा कि डॉ. विष्णु जी ने इतिहास, चित्रकला और पुरातत्व की जानकारी से हमारे साहित्य और संस्कृति की जानकारी को समृद्ध किया है। इन्होंने बताया कि डॉ. विष्णु श्रीधर ने भीम बैठका गुफा, सरस्वती नदी की खोज के साथ-साथ अपने देश के इतिहास को प्राचीन साबित करने का काम किया । डॉक्टर वाकणकर जन्म शताब्दी वर्ष के प्रदेश संयोजक शिवाजी क्राति ने इस श्रृंखला के अन्तर्गत भविष्य की योजनाओं के बारे मे भी बताते हुए कहा कि हमें अपने इतिहास और धरोहर को सुरक्षित रखने की जरूरत है। इसके अंतर्गत चित्रकला, प्राचीन स्थलों की खोज, वृत्तचित्र, वाकणकर के जीवन पर नृत्य नाटिका, स्मृति ग्रंथ, स्मारिका, सास्कृतिक महोत्सव इत्यादि का आयोजन किया जाएगा।

सचिव जामिनी कात महतो ने कहा कि हमें अपने इतिहास को पुनर्जीवित करने की जरूरत है साथ ही वाकणकर के बताए विचारों का अनुसरण करना होगा । तभी राष्ट्र विश्वगुरु बन सकता है। कार्यक्रम की संचालिका और समन्वयका डॉ. कल्याणी कबीर थी। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पूनम कुमारी ने दिया। इस कार्यक्रम में डॉ. आशा वर्मा, डॉ. सोनाली राय, डॉ. मौसमी महतो, डॉ. पूनम कर्ण, प्रो. रंजना आनंद, प्रो. वसंत पंडित, प्रो. तारा महतो, प्रो. कार्तिक चंद्र साव, प्रो. सुशीला, प्रो. सुशाति के साथ-साथ सभी व्याख्यातागण उपस्थित थे ।


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