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कितना-कितना पानी : कुदाल उठाकर तालाब बचाने निकल पड़ी आधी आबादी

यहां आधी आबादी का मिशन-2019 है तालाब बचाना। पूर्वी सिंहभूम के पावड़ा गांव की महिलाओं ने दैनिक जागरण के अभियान कितना-कितना पानी से प्रभावित होकर बीड़ा उठाया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 01:08 PM (IST)
कितना-कितना पानी  : कुदाल उठाकर तालाब बचाने निकल पड़ी आधी आबादी
कितना-कितना पानी : कुदाल उठाकर तालाब बचाने निकल पड़ी आधी आबादी

घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), राजेश चौबे।  यहां आधी आबादी का मिशन-2019 है तालाब बचाना। पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर घाटशिला प्रखंड के पावड़ा गांव की महिलाओं ने दैनिक जागरण के अभियान 'कितना-कितना पानी' से प्रेरित होकर फावड़ा-कुदाल लेकर तालाब संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है। पूछने पर सभी ने एक स्वर में कहा कि इसकी सफाई होकर रहेगी, जिस काम का बीड़ा यहां की महिलाओं ने उठाया है उसे अंजाम तक पहुंचाएंगे। 

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रविवार दोपहर करीब 60 महिलाएं घर-द्वार का काम निपटा कर फावड़ा, कुदाल और तसला लेकर शिव मंदिर तालाब के पास पहुंच गईं। इसके बाद जलकुंभी और गंदगी से पटे तालाब की सफाई में लग गईं। दोपहर से चालू हुआ यह काम शाम तक चला। महिलाओं ने बताया कि यह तालाब गोपालपुर व घाटशिला के लोगों का जीवनदाता है। लगभग दो एकड़ में फैले इस तालाब का निर्माण वर्षों पूर्व राजपरिवार के राजा रहे जगदीश चंद्रभलदेव ने  कराया था। इसका उपयोग लोग स्नान करने से लेकर श्राद्धकर्म में भी करते हैं। इसका अस्तित्व आज खतरे में है।  

जलकुंभी से पानी दूषित

जलकुंभी व गंदगी के कारण इसका पानी दूषित हो गया है। इसके अस्तित्व को बचाने के लिए शनिवार से पावड़ा गांव की महिलाओं ने एक जागरूकता रैली निकाली थी। रविवार को मालती सीट, तरंगनी सीट, ज्योत्सना सीट, रेखा रानी सीट, नीलिमा सीट, अष्टमी सीट, वार्ड सदस्य पुष्पा सीट, पद्मावती सीट, म्यूरी सीट, मीता सीट, बासंती सीट, खुकू सीट सहित अन्य महिलाएं इसकी सफाई में जुटी रहीं। आगे भी यह मुहिम जारी रहेगी।


ये कहतीं महिलाएं

जागरण के अभियान से प्रेरित होकर तालाब बचाने का संकल्प लिया है। इसके लिए चाहे प्रशासनिक अधिकारी के दरबार में जाना पड़े या राजनेताओं की मदद लेनी पड़े। सब मिलकर इसका जीर्णोद्धार करके ही रहेंगे।  

-रीता सीट, गृहिणी 

तालाब से साल भर पानी मिलता था। इतना ही नहीं आस-पास के गांवों का जलस्तर भी सही रहता है। दो एकड़ क्षेत्र में फैले तालाब में बारिश का जल सरंक्षित होता है।

-अर्पणा सीट, गृहिणी।

गंदगी व मरम्मत के अभाव में तालाब पूरी तरह संकुचित हो रहा है। गांव की महिलाएं अब एकजुटता के साथ तालाब के अस्तित्व को बचाना चाहती हंै। तालाब जल संरक्षण का एक अच्छा माध्यम है। 

-ज्योत्सना सीट, गृहिणी

पावड़ा गांव की मां सरस्वती महिला समिति, जय मां गायत्री महिला समिति, मां रंकिणी महिला समिति, साईं बाबा महिला समिति एवं जागृति महिला समिति, तितोत्मा महिला समिति, मां मनसा, मां शीतला, उज्ज्वला महिला, जयगुरु व मां दुर्गा समिति की सदस्य हैं।  

-सरस्वती मुर्मू, समिति सदस्य 


ये भी जानें

-दैनिक जागरण के अभियान 'कितना-कितना पानीÓ से प्रेरित हो महिलाओं ने कुदाल उठा तालाब संरक्षण का उठाया बीड़ा

-शिव मंदिर तालाब की साफ-सफाई की मुहिम में जुटी रहीं महिलाएं

-पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर है पावड़ा गांव 

-रविवार को तालाब में उगी जलकुंभी और गंदगी को किया साफ


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