पुरुषों से ज्यादा सशक्त होती हैं महिलाएं : नीरजकांत
जागरण संवाददाता जमशेदपुर कोई यदि कहता है कि पुरुष व महिलाएं समान हैं तो यह कहना ग
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोई यदि कहता है कि पुरुष व महिलाएं समान हैं तो यह कहना गलत है। क्योंकि महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा सशक्त होती हैं। वो एक मां, बेटी, पत्नी होने के अलावा मल्टी टास्किंग होती है जो रंग में खुद को ढाल लेती हैं। वह सामाजिक व पर्यावरण स्नेही होती है।
कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) के इंडियन वीमेंस नेटवर्क द्वारा शुक्रवार शाम सेंटर फॉर एक्सिलेंस में प्रोफेशनल कनेक्ट-क्लाइंब हाई विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसे संबोधित करते हुए इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट के प्रबंध निदेशक नीरजकांत ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमें जरूरत है कि लड़कियों को पढ़ाए। उन्होंने सभी से अपील की है कि जो समर्थ हैं वे एक-दो लड़कियों की पढ़ाई का जिम्मा लें। उनके साथ समय बिताए। इस मौके पर पर्वतारोही विनीता सोरेन, लेडी टार्जर के नाम से मशहूर पद्मश्री जमुना टुडू व टाटा स्टील की सस्टेनबिलिटी चीफ मधुलिका शर्मा ने अपने अनुभवों को विभिन्न कंपनियों व अन्य क्षेत्रों से आए पेशेवर महिलाएं शामिल हुए।
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पहचान बनानी है तो अपने लिए खुद ले निर्णय : विनीता
कार्यशाला में एवरेस्ट विजेता विनीता सोरेन ने कहा कि वे सरायकेला-खरसांवा के एक छोटे से गांव की है। जहां एडवेंचर को कोई नहीं जानता। इस क्षेत्र में आने के लिए मैं अपने माता-पिता को काफी समझाया, लेकिन मुझमें सोसाइटी में अपनी पहचान बनाने का जुनून था इसलिए मैंने अपना निर्णय खुद लिया, लेकिन लोगों के आंखों की भाषा मुझे चुभती थी इसके बावजूद यह मुझे ताकत प्रदान करती थी। सब्र और जुनून के कारण मैंने सागरमाथा की चढ़ाई की और सात वर्षो की मेहनत और अपने सपने को पूरा कर पाई।
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माफियाओं ने हमला किया फिर भी पीछे नहीं हटी : जमुना
कार्यशाला में पद्मश्री जमुना टुडू ने कहा कि बचपन से मुझे अपने पिता से पर्यावरण संरक्षण की सीख मिली थी। 1998 में जब शादी होकर चाकुलिया आई तो देखा कि लोग अपने रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पेड़ काट रहे हैं। मैंने वन समितियां बनाई और पहले अपने गांव के 50 हेक्टेयर में फैले जंगल को बचाने का संकल्प लिया। इसके कारण मेरे घर पर माफियाओं का हमला हुआ लेकिन मैं डरी नहीं। गांव-गांव घूमकर महिलाओं को जोड़कर 400 वन समितियां बनाई। आज अपने क्षेत्र में एक भी पेड़ मैं कटने नहीं देती हूं।
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अपना इको सिस्टम खुद तैयार करें : मधुलिका
कार्यशाला में टाटा स्टील की सस्टेनबिलिटी चीफ मधुलिका शर्मा ने भी अपने अनुभव बताएं। कहा कि मैं पढ़ाई में अच्छी थी इसके बावजूद मेरी शादी हुई लेकिन मैंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। पारिवारिक जिम्मेदारियों के अलावा मैं टाटा स्टील ज्वाइन किया। 27 वर्षो तक अलग-अलग विभागों में काम किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं में कमजोरी है कि वे अवसर को स्वीकार नहीं करती। जीतते वहीं है जो इसका अवसरों का लाभ उठाएं। कभी हारो मत, खुद पर विश्वास करो। परिवार, कैरियर, स्वास्थ्य और दोस्तों के बीच संतुलन बनाते हुए खुद के लिए अपना इको सिस्टम तैयार करो। अपनी लाइफ इंजॉय करो तभी तनाव कम होगा।