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घपले - घोटाले की अजीब दास्तां : गड्ढा खोदा ही नहीं, कागज पर डोभा तैयार

विकास कार्यों से आम जनता को फायदा हो या ना हो, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों व कर्मचारियों को फायदा जरूर हो रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 11:52 AM (IST)
घपले - घोटाले की अजीब दास्तां : गड्ढा खोदा ही नहीं, कागज पर डोभा तैयार

जमशेदपुर [दिलीप कुमार]। विकास योजनाओं की जमीनी हकीकत आपको दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर देगी। योजनाओं को कागज पर पूरा दिखा गया, लेकिन जमीन पर नदारद है। कहानी का लब्बोलुआब यह कि मनरेगा योजना अंतर्गत चलाये जा रहे विकास कार्यों से आम जनता को फायदा हो या ना हो, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों व कर्मचारियों को फायदा जरूर हो रहा है।

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मनरेगा योजना के सोशल ऑडिट में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लाभुक को योजना के बारे में किसी प्रकार की जानकारी ही नहीं है और उसके नाम से योजना का आवंटन के बाद बगैर काम किए ही राशि की निकासी भी कर ली गई।

राशि की गलत निकासी का मामला सामने आया 

 चांडिल प्रखंड की तामुलिया पंचायत के डोबो फुटबॉल मैदान में गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2017-18 के मनरेगा योजनाओं के सामाजिक अंकेक्षण के तहत हुई पंचायत स्तरीय जनसुनवाई के दौरान बिना ग्रामसभा किए योजना पारित करने, गलत नाम से अभिलेख बनाने और राशि की निकासी करने का मामला भी सामने आया है। पंचायत के रूगड़ी गांव के थिबू माझी के नाम पर मनरेगा के तहत बकरी शेड निर्माण की योजना पारित किया गया। बिना ग्राम सभा किए पारित किए गए इस योजना में अभिलेख बनाकर 49634 रुपये की निकासी भी कर ली गई। ऑडिट टीम ने गांव में इस योजना की जानकारी ली तो ग्रामीणों ने बताया कि इस नाम से गांव में कोई नहीं है।

काम हुआ ही नहीं, कनीय अभियंता ने बना दी एमबी 

 तामुलिया पंचायत में ऐसी भी योजना है जिसका धरातल पर किसी प्रकार का काम नहीं हुआ और कनीय अभियंता ने निर्माण कार्य का मेजरमेंट बुक (एमबी) भी बना दिया। जन सुनवाई के बाद पांच मामलों को प्रखंड स्तर पर भेजा गया। इसमें पटेल महतो और थिबू माझी का डोभा निर्माण और शंतनु महतो की जमीन समतलीकरण समेत अन्य दो योजनाएं हैं। जनसुनवाई के दौरान ज्यूरी ने 7300 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही रिकवरी के रूप में एक लाख, 51426 रुपये, सामग्री के बकाया राशि के रूप में दो लाख दस हजार, बकाया मजदूरी के लिए 12114 और आठ बकरी शेडों के बकाया राशि का भुगतान करने के लिए तीन लाख 76 हजार रुपये देने का फरमान जारी किया।

88 में से करीब 30 योजनाओं में गड़बड़ी 

 ऑडिट में लगी सात सदस्यों की टीम ने 16 नवंबर से पंचायत के गांवों में जाकर लोगों से मनरेगा योजना की जानकारी ली। टीम के सदस्य शिव प्रसाद महतो, सेफाली ज्योतिषी, रामसाय हेम्ब्रम, मीरा देवी, मृत्युंजय महतो, सुलोचना महतो और विश्वासी होरो ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में पंचायत कुल 88 योजना स्वीकृत हुई थी। जांच के क्रम में 25 से 30 योजनाओं में थोड़ी-बहुत गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। साथ ही कई ऐसी भी योजनाएं हैं, जिसके नाम पर राशि की निकासी की गई है और उसमें कोई कार्य नहीं हुआ है। साथ ही मजदूरों को कार्य स्थल पर सुविधा नहीं दिए जाने, बोर्ड नहीं लगाए जाने समेत अन्य कई प्रकार की गड़बड़ियां मिली। कई योजनाओं के दस्तावेज भी नहीं मिले। जनसुनवाई के दौरान ज्यूरी सदस्यों ने नियमानुसार जुर्माना भरने, समय निर्धारित कर काम पूरा करने व आवश्यक कार्रवाई करने का फैसला सुनाया।

धरातल पर काम नहीं, निकाल ली राशि 

 जनसुनवाई में ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें धरातल पर काम किए बगैर राशि की निकासी कर ली गई। रूगड़ी के ठिबू माझी का डोभा निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ और निकाल लिए 21672 रुपये, बकरी शेड निर्माण में पंचानन महतो का 51650, गुहीराम महतो का 51650, रवि माझी का 50138 , सुकराम माझी का वर्मी कंपोस्ट निर्माण में 12886 रुपये की निकासी कर ली गई है। दूसरी योजना शरत महतो की है। उनके नाम से डोभा निर्माण की योजना स्वीकृत हुआ था। डोभा निर्माण का कार्य धरातल पर शुरू भी नहीं हुआ है और मजदूरी भुगतान व सामग्री मद में खर्च का अभिलेख तैयार कर 17310 रुपये की निकासी हो गई है।

ये थे ज्यूरी के सदस्य

जन सुनवाई के दौरान डोबो में पांच सदस्यी ज्यूरी सदस्यों ने आरोपों पर फैसला लिया। ज्यूरी में डोबो के ग्राम प्रधान रघुवीर सिंह सरदार, मजदूर परमेश्वर महतो, पंचायत समिति सदस्य चिंतामनी महतो, महिला समिति से नियती महतो और सोशल ऑडिट यूनिट से सुलोचना महतो शामिल थे।


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