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Weekly News Roundup Jamshedpur : बड़े बाबू भी हो गए बाहर, पढ़ि‍ए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. कार्रवाई के बाद बड़े बाबू कहां गए इस पर कोई चर्चा तक करना नहीं चाहता। लेकिन इस कार्रवाई से कई अधिकारी सकते में हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 09:57 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : बड़े बाबू भी हो गए बाहर, पढ़ि‍ए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, निर्मल प्रसाद। Weekly News Roundup Jamshedpur टाटा स्टील के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में पिछले दिनों काफी उथल-पुथल मची थी। यहां पूर्व में आपसी राजनीति चरम पर थी। कंपनी के वरीय अधिकारियों को जब इसकी जानकारी मिली तो छोटे बाबू (सीनियर मैनेजर अमरेश सिन्हा) को प्रमोशन देकर इंजीनियर एंड प्रोजेक्ट विभाग में भेज दिया।

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वहीं, बड़े बाबू (हेड सिद्धार्थ बुर्तोमली) को कंपनी से बाहर का ही रास्ता दिखाकर संदेश देने की कोशिश की गई कि गाज किसी पर गिर सकती है। लेकिन, कार्रवाई के बाद बड़े बाबू कहां गए, इस पर कोई चर्चा तक करना नहीं चाहता। लेकिन, इस कार्रवाई से कई अधिकारी सकते में हैं। इतना ही नहीं, अपने पुराने ट्रैक पर लौट आए हैं। अब सभी काम सिस्टम के तहत होने की बात कह रहे हैं। इस तबादले और कार्रवाई के बाद कंपनी प्रबंधन ने रॉ मैटेरियल डिवीजन से रुना राजीव कुमार को जमशेदपुर लाकर बतौर हेड टाटा स्टील में कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी दी है।

पिकनिक पर इतनी राजनीति क्यों?

टाटा वर्कर्स यूनियन के कुछ पदाधिकारी, कमेटी मेंबर और सदस्यों द्वारा पिछले दिनों आयोजित की गई पिकनिक सुर्खियों में रही। दलित की राजनीति के आरोप में पिकनिक आयोजकों की सोशल साइट पर जमकर आलोचना हुई। उन पर कार्रवाई करने और यूनियन से बाहर का रास्ता दिखाने तक की कुछ सदस्यों ने मांग कर डाली। लेकिन, इन सभी के बीच आयोजक सदस्यों का कहना है कि आखिर उन्होंने पिकनिक करके इतनी बड़ी क्या गलती कर डाली। यूनियन में कई पदाधिकारी क्षत्रिय, ब्राह्मण, आंध्र की तो राजनीति करते हैं। 24 कैरेट के नाम से वाटसएप ग्रुप भी चलाते हैं। इफ्तार पार्टी होती है। बाबा धाम की यात्रा की जाती है। तब आरोप लगाने वाले इतना सबकुछ देखकर चुप क्यों रह जाते हैं। आयोजकों का दर्द है कि उनके समुदाय से न तो कंपनी में कोई अधिकारी है और न ही यूनियन में कोई नेता। इसलिए उनकी बातें हमेशा दबा दी जाती हैं।

अध्यक्ष पद का दावेदार कौन?

 टाटा वर्कर्स यूनियन का वर्ष 2021 में मुख्य चुनाव है। वर्तमान अध्यक्ष आर रवि प्रसाद अगले वर्ष सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यूनियन के संविधान के तहत वही सदस्य चुनाव लड़ सकता है जो टाटा स्टील का स्थायी कर्मचारी है। ऐसे में आर रवि प्रसाद संभवत: अगला चुनाव नहीं लड़ें। ऐसे में इनका झंडा उठाने वाले कुछ ऑफिस बियरर अभी से दावेदार बन गए हैं। खुद अपने नहीं तो अपने समर्थकों से ही पूछवा रहे हैं कि आप ही बताइए कि अध्यक्ष पद का असली दावेदार कौन है? यूनियन में सबसे ज्यादा कौन समय दे रहा है? कौन कमेटी मेंबर से सबसे ज्यादा संपर्क में है? ऐसा कर समर्थक अपने पदाधिकारी को प्रमोट करने में लगे हुए हैं। जबकि, कुछ दिनों पहले एक नेता ने तो वाट्स-एप पर वॉयस रिकार्ड चला कर घोषणा की थी कि अध्यक्ष पद के दावेदार नहीं हैं लेकिन, वही इस दौड़ में सबसे आगे दिख रहे हैं।

कैंसर रेस्ट हाउस है या...

 टाटा वर्कर्स यूनियन की राजनीति में इन दिनों कैंसर रेस्ट हाउस धुरी बना हुआ है। यहां हर मामले पर गुप्त बैठक से लेकर हस्ताक्षर अभियान तक चलते हैं। भले ही यहां रेडियोलॉजी व कीमोथैरेपी के मरीज क्यों न रहते हों। अपने निजी सचिव के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने यहीं महामंत्री के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया था। सत्ता पक्ष ने कमेटी मेंबर को यहीं बुलाकर हस्ताक्षर कराया था। ताजा मामला एलडी-1 से जुड़ा है। पिछले दिनों साकची गंडक रोड स्थित स्टील क्लब हाउस में एलडी-1 कमेटी मेंबर की बैठक हुई। जहां दो कमेटी मेंबर एक-दूसरे पर जासूसी का आरोप लगाते हुए आपस में भिड़ गए। बीच-बचाव के बीच दोनों ने एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दे डाली। लेकिन, कैंसर रेस्ट हाउस जो यूनियन का दूसरा कार्यालय बन चुका है, यहां अध्यक्ष ने सभी कमेटी मेंबर को बुलाकर मध्यस्थता कराई, ताकि मामला तूल न पकड़े।


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