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ऊंची डिग्री वालों को चपरासी बनने से बचाएगा मोबाइल एप, जानिए और खा‍सियत

जमशेदपुर के प्रमोद सिंह ने एक वेबसाइट और मोबाइल एप लांच किया है। इसके जरिए करियर संबंधी मार्गदर्शन दिया जाता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:58 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:58 AM (IST)
ऊंची डिग्री वालों को चपरासी बनने से बचाएगा मोबाइल एप, जानिए और खा‍सियत
ऊंची डिग्री वालों को चपरासी बनने से बचाएगा मोबाइल एप, जानिए और खा‍सियत

जमशेदपुर[वीरेंद्र ओझा]। आए दिन सुनाई देता है कि चपरासी की बहाली में डॉक्टर, इंजीनियर, पीएचडी या अन्य ऊंची डिग्रीधारकों ने भी आवेदन कर रखा है। दरअसल, ऐसा करने वाले अभ्यर्थी और उसके परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ित होते हैं। इससे पढ़ाई में लगा उनका पैसा और समय के साथ भविष्य भी बर्बाद होता है। ऐसे अभ्यर्थियों को इस तरह की समस्या से बचाने के लिए जमशेदपुर के प्रमोद सिंह ने एक वेबसाइट और मोबाइल एप लांच किया है।

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इसके जरिए कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाई के अलावा करियर संबंधी मार्गदर्शन दिया जाता है। आटो कलस्टर के सीईओ पद से इस्तीफा देकर इस अभियान को शुरू करनेवाले प्रमोद सिंह का दावा है कि इस मोबाइल एप से जुड़ने वाले बच्चों के साथ भविष्य में ऐसा नहीं होगा, जिससे वे बिना लक्ष्य सिर्फ डिग्रियां प्राप्त करते जा रहे हैं और बाद में एक अदद सरकारी नौकरी के लिए चपरासी के पद पर भी ज्वाइन करना पड़ता है।

कॅरियर के लिए नहीं होते गंभीर 

 प्रमोद सिंह बताते हैं कि ऐसा सिर्फ इसलिए होता है, क्योंकि बच्चों की पढ़ाई किसी योजना (प्लानिंग) के तहत नहीं होती। ज्यादातर बच्चे और अभिभावक कॅरियर के प्रति गंभीर नहीं होते। खासकर दसवीं पास करने के बाद बच्चे अपने सहपाठी की देखादेखी किसी कोर्स या कालेज में दाखिला ले लेते हैं। वह अपनी बौद्धिक और आर्थिक क्षमता का ख्याल तो रखते ही नहीं, उस कोर्स का भविष्य भी उन्हें नहीं पता होता। अभिभावक भी बच्चे का मन रखने के लिए सबकुछ दांव पर लगा देते हैं।

अभिभावकों का भी मार्गदर्शन

अभिभावकों को भी नहीं पता होता कि उनका बेटा किस क्षेत्र में बेहतर कर सकता है। पता भी होता है तो उन्हें यह मालूम नहीं होता कि बच्चे को कहां दाखिला कराया जाए, जिससे कम खर्च में बेहतर पढ़ाई हो सके। ज्यादातर लोग विज्ञापन देखकर निजी संस्थानों में दाखिला लेते हैं, जबकि कई सरकारी कालेज में भी बेहतर पढ़ाई होती है। वे एप के माध्यम से 12वीं के बाद भी बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं।

एप से होती बच्चे की स्क्रीनिंग 

 उनकी वेबसाइट व एप ‘माइ फ्यूचर बुक’ में बच्चे की पूरी स्क्रीनिंग होती है। इससे जुड़ने वाले छात्र एप के जरिए ना केवल पढ़ाई से संबंधित तमाम प्रश्नों का तत्काल उत्तर पा जाते हैं, बल्कि बीच-बीच में उनके लिए क्विज भी कराया जाता है। इसमें सबसे पहले सही जवाब देने वाले को अंक दिए जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि बच्चे की रूचि किस विषय में है।

2500 छात्र एप से जुड़े

अब तक इस एप से करीब 2500 छात्र जुड़ चुके हैं। इसका एक फायदा यह भी है कि बच्चा मोबाइल पर उपलब्ध अनर्गल चीजों से दूर हो जाता है, क्योंकि इसमें उसे बहुत मजा आता है। हर क्षण नई-नई जानकारी मिलती है। प्रश्नों को जल्दी हल करने की होड़ रहती है। आज के बच्चों को मोबाइल में मौजूद गंदी या बेकार की चीजों से बचा लिया जाए, तो यही बहुत बड़ी उपलब्धि है।

छात्रों को जुड़ने की सलाह

मुझे पूरा भरोसा है कि जो भी छात्र इस वेबसाइट या मोबाइल एप से जुड़ेगा, वह गलत रास्ते पर जा ही नहीं सकता। उसका करियर संवर जाएगा।

- प्रमोद सिंह, मार्गदर्शक


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