सिंधू व साइना का विकल्प तलाशना होगा : विमल कुमार Jamshedpur News
द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त पूर्व राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच ने कहा पूर्व खिलाडिय़ों को कोचिंग में हाथ आजमाना चाहिए
जमशेदपुर (जितेंद्र सिंह)। इसी साल द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित बैडमिंटन कोच विमल कुमार का मानना है कि अगर भारत को विश्व बैडमिंटन में अपनी चमक बरकरार रखनी है तो फिर विश्व चैंपियन पीवी सिंधु व साइना नेहवाल का विकल्प खोजना होगा। हाल ही में बेंगलुरु में विशेष बातचीत के दौरान विमल कुमार ने बताया कि उपरोक्त दोनों खिलाडिय़ों ने भारतीय बैडमिंटन को नई ऊंचाइयां प्रदान की, लेकिन बेंच स्ट्रेंथ नहीं होने के कारण भविष्य काफी चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है।
1983 व 1984 में फ्रेंच ओपन बैडमिंटन जीतने वाले विमल ने बताया कि पुरुष वर्ग में तो हमारे पास सिंगल्स के खिलाड़ी है, लेकिन महिलाओं में बेंच स्ट्रेंथ दूर-दूर तक नहीं दिखता। इसके लिए जरूरी है, नई प्रतिभाओं की खोज कर उसे तराशना। हालांकि हमारे यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। अभी जो खिलाड़ी हैं उनमें साइना व सिंधू जैसी न तो प्रतिबद्धता है और ना ही जोश व जुनून। सबसे बड़ी दिक्कत है स्ट्रेंथ की कमी। यही कारण है कि नई खिलाड़ी जल्दी चोटिल हो जाती हैं। उन्हें ऐसे चोटों से जूझने के लिए शारीरिक क्षमता विकसित करनी होगी। यही कारण है कि चीनी व कोरियाई खिलाड़ी हमसे आगे हैं। 10-12 साल की उम्र में ही हमें प्रतिभाओं की तलाश करनी होगी।
असम की अस्मिता चालिहा बेहतर प्रदर्शन कर रही है। 1988 व 1991 में वेल्स इंटरनेशनल ओपेन बैडमिंटन का खिताब जीतने वाले विमल कुमार ने कहा कि अस्मिता का स्किल अच्छा है, लेकिन उनमें अभी स्ट्रेंथ व स्टेमिना की कमी है। इस पर उन्हें ध्यान देना होगा। बिमल ने बताया कि खिलाडिय़ों के जींस (वंशाणुओं) का भी फर्क पड़ता है। ऐसा आनुवांशिक कारणों से भी होता है। हम पहले से खेलों में नहीं हैं। साइना बेशक मजबूत रही लेकिन सिंधु का जींस अच्छा था। उसके पापा-मम्मी दोनों खेलों में रहे। इसलिए उसे यह विरासत में मिली। लेकिन ज्यादातर बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता।
उन्होंने माना कि महिला डबल्स मुकाबले में भी ज्वाला गïट्टा व अश्विनी के बाद रिक्तता है। विमल ने कहा कि आज बैडमिंटन के पूर्व खिलाड़ी कोचिंग में आना नहीं चाहते। इसके लिए सरकारी नीतियां भी दोषी है। कोचिंग में कम पैसा होने के कारण खिलाड़ी आना नहीं चाहते।