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रहते हैं झारखंड के बोड़ाम में, इलाज कराने जाते पश्चिम बंगाल

झारखंड के इस प्रखंड के लोग इलाज के लिए दस किलोमीटर दूर पटमदा जाते हैं या जमशेदपुर व पश्चिम बंगाल के पुरुलिया चले जाते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 01:42 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 01:42 PM (IST)
रहते हैं झारखंड के बोड़ाम में, इलाज कराने जाते पश्चिम बंगाल

बोड़ाम, पूर्वी सिंहभूम, [मिथिलेश तिवारी]। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड की गोरडीह पंचायत में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र का भवन तो चमक रहा, पर डॉक्टर और कर्मचारी के अभाव में यह वीरान पड़ा है। यह सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहा है। आलम यह है कि यहां के लोग इलाज के लिए दस किलोमीटर दूर पटमदा जाते हैं या जमशेदपुर व पश्चिम बंगाल के पुरुलिया चले जाते हैं। यह पीड़ा ग्रामीणों ने जागरण आपके द्वार कार्यक्रम में सुनाई।

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गौरडीह पंचायत मंडप में आयोजित इस कार्यक्रम में लोगों ने बताया कि दो सौ छात्रों वाले उत्क्रमित विद्यालय को भी विलय सूची में डाल दिया गया है। वहीं पंचायत में दो दर्जन से अधिक चापाकल खराब हैं। लोग कुआं का पानी पीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि उन्हें जनवितरण की दुकान में 25 की जगह 23 किलो अनाज ही मिलता है। प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों परिवार विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। इस ओर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है। कई बार वंचित परिवारों ने आवाज उठाई, लेकिन किसी अधिकारी ने भी ध्यान नहीं दिया। ग्राम सभा और बोड़ाम प्रखंड कार्यालय में भी आवेदन दिए लेकिन कोई पहल नहीं हुई। हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। 84 वर्षीय दांदू महतो ने कहा, 'मैं जिसकी शादी कर गांव में लाया उनकी पेंशन शुरू हो गई, लेकिन मुझे आज तक यह सुविधा नहीं मिली।Ó 

 

मालूम हो कि इस पंचायत में गौरडीह, पेनादा, छोटा बांगुड़दा, नामशोल, रूपसान, दुंदू और चिरूडीह गांव आते हैं। इन गांवों में करीब 900 परिवार रहते हैं। खेती, मजदूरी व पशुपालन करते हैं। सिंचाई सुविधा नहीं होने से खेती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

गांवों की सबसे बड़ी समस्या

1. गौरडीह पंचायत में मात्र चालीस फीसद ही शौचालय का निर्माण हुआ है।

2. पेयजल के लिए लगाए गए दो दर्जन से अधिक चापाकल खराब पड़े हैं।

3. आरोप है कि डीलर तय वजन से दो किलो कम अनाज देता है लाभुकों को।

4. डीप बोङ्क्षरग नहीं होने से खेती करने में होती है किसानों को परेशानी। 

5. बैंक ऑफ इंडिया की शाखा कार्यालय में कर्मचारियों और जगह की किल्लत।

6. गोरडीह से दुंदू सीमा और बड़तोल से नदी तक कच्ची सड़क होने से परेशानी। 

7. गौरडीह हरिमंदिर से कालिंदीपाड़ा होते चामडीह सीमा तक कच्ची सड़क।

इन्होंने भी रखी समस्या

अरुण प्रमाणिक, गोपाल, महतो, लाखोबला मंडल, मदन गोराई, भाग्यवती मंडल, सतीश चंद्र महतो, मुरारी, संतोष कुमार रोहीदास, रामप्रसाद महतो, भोलूसिंह, नंदलाल कुम्भकार, राजेश दत्ता, तरू मंडल, सनातन सिंह, लखन मंडल, टुसू मंडल, सोशिता मंडल, इंद्र नारायण मंडल, सेफाली सहिस, चेतन महतो।

ये कहते ग्रामीण

पंचायत के एकमात्र स्कूल का नाम विलय सूची में आने से परेशानी। क्षेत्र के बच्चों का भविष्य होगा खराब। स्कूल में चारदीवारी की जरूरत है। 

- साधुचरण महतो

पंचायत के लोगों को पेंशन नहीं मिलने से आक्रोश है। वंचितों में ऐसे बुजुर्ग हैं जिनकी उम्र 80 से अधिक है। कई बार फॉर्म भरा पर लाभ नहीं मिला।

-लखन मंडल

शौचालय व पेयजल की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। पानी के लिए नदी और कुआं ही सहारा है। शुद्ध पेयजल नहीं मिलता है। बीमारी का डर बना रहता है। 

-बुल्टी मंडल 

सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। कई बार फॉर्म भरने के बावजूद इंदिरा आवास मिला न पेंशन। गांव में पेयजल की समस्या गंभीर है। 

-मुरारी तांती

पंचायत में कई बार ग्राम सभा हुई, जिसमें प्रखंड कर्मचारियों ने लोगों से फॉर्म भराया, लेकिन आवास योजना का लाभ अबतक लोगों को नहीं मिला। 

- समीर सिंह

पंचायत में स्वच्छता अभियान के तहत बनाए गए शौचालय का लाभ किसी-किसी को ही मिला है। अभी भी लोग खुले में ही शौच करने को मजबूर हैं।

-मीरा मंडल

खेती बहुल पंचायत में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से काफी परेशानी है। किसानों के हित के लिए पंचायत में कोल्ड स्टोरेज की दरकार है। 

- परेश दत्ता

गर्मी परवान चढऩे से पहले ही दर्जनों चापाकल खराब हो गए हैं। पंचायत में एक जलमीनार की जरूरत है। सिंचाई के लिए हर पंचायत में डीप बोङ्क्षरग जरूरी है। 

-हिमांशु महतो

हाथीखेदा उपस्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने से काफी परेशानी होती है। नर्स नहीं के बराबर आती है। सिंचाई सुविधा नहीं होने से किसान पलायन को मजबूर है।

-सतीश चंद्र महतो 

गांव में कई लोगों को पेंशन, आवास व अन्य लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। प्रखंड कार्यालय में शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है।

-सुंदरा कर्मकार

70 वर्ष से अधिक उम्र हो गयी, कई बार फॉर्म भरने के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिला। कई बार ग्रामसभा व प्रखंड कार्यालय में आवेदन भी दिया।  

-फटीक मंडल

गांव में अनियमित बिजली आपूर्ति से काफी परेशानी होती है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। पंचायत में सोलर सिस्टम लगाने की सख्त जरूरत है। 

-कमल महतो 

पेंशन और प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला है। गांव में लगी ग्राम सभा में भी किसी ने मेरी मदद नहीं की। प्रखंड कार्यालय जाने पर कोई नहीं सुनता है।

-कौशल्या रुहिदास

पंचायत में कई गांवों की सड़कें कच्ची हैं। बड़तोल से नदी तक आने वाली सड़क कच्ची होने से बरसात में काफी परेशानी होती है। पक्की सड़क बनाई जाए।

-सुभाष गोराई

बीते साल मुख्यमंत्री ने गांवों में नियमित अंतराल पर प्रशासनिक शिविर लगाकर समस्याओं के समाधान की बात कही थी। लेकिन यहां एक भी शिविर नहीं लगा।

-छुटू सिंह

पेंशन नहीं मिलता है। हर बार नाम व पता लिखकर चले जाते हैं। कई साल से यही हाल है। चापाकल भी खराब है। नदी का पानी पीना पड़ता है।

-काली महतो

चापाकल खराब है, कुआं का पानी पीना पड़ता है। गर्मी में वह भी सूख जाता है। पेयजल की समस्या सबसे गंभीर है। गांव में जलमीनार का निर्माण होना चाहिए।

-कल्याणी कर्मकार

स्वास्थ्य केंद्र में दवा और चिकित्सक के नहीं होने से बहुत परेशानी होती है। नर्स के भरोसे ग्रामीण इलाज कराते हैं। वह भी कभी कभी ही आती है।

-अनिल मंडल

गर्मी शुरू होते ही पेयजल संकट गहराने लगा है। अभी तक खराब चापाकल दुरुस्त नहीं किए गए हैं। अभी समय है, इसकी मरम्मत कराई जाए।  

-नंद कुम्भकार

पत्नी को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन मुझे नहीं। कई बार प्रखंड कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों से बात की। कोई असर नहीं हुआ। 

-दांदू महतो

बिजली बिल हर माह नहीं आता है। लोगों को एकमुश्त पैसा देने में परेशानी होती है। यहां करीब एक साल से बिजली बिल नहीं आया है। यह समस्या दूर हो।

- कौशल्या

सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। सिर्फ रसद मिलता है। रहने के लिए आवास नहीं है। गर्मी परवान चढऩे से पहले खराब चापाकल की मरम्मत कराई जाए। 

-सुमित्रा


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