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कांपती पुलिया दे रहीं हादसे को आमंत्रण Jamshedpue News

गोविंदपुर से नरवा जाने वाले रास्ते में खखरीपाड़ा के पास स्वर्णरेखा परियोजना के तहत कैनाल पर बनी पुलिया अत्यंत जर्जर है। घाटशिला से जोड़ने वाली यह अति व्यस्ततम व प्रमुख पुलिया है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 03:10 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 03:10 PM (IST)
कांपती पुलिया दे रहीं हादसे को आमंत्रण Jamshedpue News
कांपती पुलिया दे रहीं हादसे को आमंत्रण Jamshedpue News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। गोविंदपुर से नरवा जाने वाले रास्ते में खखरीपाड़ा के पास स्वर्णरेखा परियोजना के तहत कैनाल पर बनी पुलिया अत्यंत जर्जर है। जमशेदपुर को घाटशिला से जोड़ने वाली यह अति व्यस्ततम व प्रमुख पुलिया है। इस पर हल्के व भारी वाहनों का आवागमन होता है।

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जब मालवाहक वाहन या कोई यात्री बस गुजरती है तो इस पर कंपन शुरू हो जाता है। बस चालक व यात्रियों की सांसें जैसे अटक जाती हैं। यदि शीघ्र ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो काभी भी कोई बड़ा हादसा यहां हो सकता है। खखरीपाड़ा के मुखिया घासीराम वारदा के तहत 1990 में कैनाल बनने लगी, उस समय गोविंदपुर से जमशेदपुर को जोड़ने के लिए खखरीपाड़ा, मुसाबनी, नरवा, घाटशिला, जादूगोड़ा आने-जाने का यह प्रमुख रास्ता था। लोगांे से कहा गया था कि जर्जर पुलिया के स्थान पर एक बढ़िया पुल का निर्माण कराया जाएगा, लेकिन आज तक नहीं हुआ।

जान की दुश्मन आधी-अधूरी खखरीपाड़ा पुलिया

करीब एक सौ वर्ष पुराने जमशेदपुर शहर व आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों छोटी-बड़ी पुलिया हैं, जो अपनी अवधि से अधिक होने से जर्जर हो चुकीं हैं। इन पर जैसे ही कोई भारी वाहन गुजरता है, ये कांपने व डोलने लगती हैं। वाहन चालकों के दिल तेजी से धड़कने लगते हैं। घबराहट में अपने को किसी तरह से संयमित कर ईश्वर का नाम लेते डरे-सहमे पुलिया पार कर मानो नई जिंदगी मिलने जैसा ही कुछ महसूस करते हैं। किसके साथ किस पल क्या हादसा हो जाए, बस हर किसी को यही भय सताता रहता है। यदि यातायात की दृष्टि से देखें तो इनमें से कई पुलिया अति व्यस्त मार्ग इलाकों में हैं। साथ ही शहर से जुड़ने का यही एकमात्र मार्ग भी है। शहर से सटे बागबेड़ा, परसुडीह, गो¨वदपुर, गदरा आदि इलाकों में जर्जर पुलिया हर वक्त हादसे को आमंत्रण देती लगती हैं। वर्षो पुरानी इन पुलियों को दुरुस्त कराने की सुध जिला प्रशासन या किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं ली। स्थानीय लोगों ने कभी आवाज बुलंद भी की, तो आश्वासन की घुट्टी पिलाकर उन्हें शांत करा दिया गया। आइये हम आपको कुछ ऐसी ही पुलियों से रूबरू करते हैं।

जर्जर पिलर पर टिकी बजरंगटेकरी पुलिया

बागबेड़ा को जुगसलाई से जोड़ने वाली बजरंगटेकरी की पुलिया मात्र दो पिलर पर टिकी हुई है, इसमें दरार पड़ती जा रही है। पिलर भी धंसता जा रहा है। रेलिंग तो है ही नहीं। स्कूली बच्चे भी इसी पुलिया से आते-जाते हैं। मरम्मत के अभाव में पुलिया दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही है। बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। पुलिया से सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। कई माल लदी पिकअप वैन भी इस पुलिया से गुजरती हैं, जो कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकता है। यहां कब कौन काल का ग्रास बन जाए यह सोचकर भी लोगों की रूह कांप जाती है।

बजरंगटेकरी पुलिया : रेलवे पुलिया पर वाहनों का चलना मुश्किल

गोविंदपुर स्थित रेलवे पुलिया करीब 50 वर्ष पुरानी है। चूंकि इसकी मरम्मत कभी नहीं हुई, इसलिए जर्जर हो गई है। इसकी सड़क का क्या कहें। जब कोई मालवाहक वाहन इसपर से गुजरता है तो गड्ढों के कारण वो कब पलट जाए और कोई उसकी चपेट में आ जाए। यही आशंका बनी रहती है। यहां यदि कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? स्थानीय लोग बताते हैं कि रेलवे की ओर से पुलिया की मरम्मत कराने की अनुशंसा हुई थी, लेकिन आज तक काम नहीं शुरू हो सका। स्थानीय लोगों ने भी कई बार इस पुलिया के नीचे की सड़क को दुरुस्त कराने की मांग रेलवे से की थी।

धंसने लगे पुलिया, भारी वाहनों का आवागमन जारी

जुगसलाई स्थित राजस्थान सेवासदन रोड और बागबेड़ा नया बस्ती को जोड़ने वाली पुलिया की स्थिति तो और भी चिंताजनक है। इसके पिलर नजर नहीं आते, जबकि भारी वाहन इस पुलिया से अब भी गुजर रहे हैं। हालांकि इसकी स्थित को देखते हुए सरकारी स्तर पर पुलिया पर भारी वाहनों का परिचालन रोकने के लिए बैरियर भी लगाया गया था, लेकिन शहर से जुड़ने का सीधा माध्यम होने के कारण उसे भी तोड़ दिया गया। वहीं प्रशासन ने भी बैरियर लगाकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। यह जर्जर पुलिया किनारे से धंसने लगी है। इसकी कभी मरम्मत नहीं हुई। इससे गुजरने वालों की हर वक्त सांस थामे बस किसी तरह से पार कर जाने की मन्नतें मानते हैं। यह पुलिया जुगसलाई नगर परिषद के अधीन है। अब लोगों की मांग पर पुलिया के निर्माण का प्रारूप तैयार किया गया है।

जुगसलाई सेवा सदन : जान हथेली पर ले पार करते लोग

बामनगोड़ा-राहरगोड़ा की सीमा पर बनी सोपोडेरा पुलिया की ऊंचाई कम होने के कारण हर बरसात में यह पानी में डूब जाती है। बरसात के मौसम में पुलिया के ऊपर से पानी बहने के कारण हजारों राहगीर जान हथेली पर लेकर बस अंदाजा लगा कर ही गुजरते हैं। इस दौरान कब किससे साथ कोई अनहोनी हो जाए, इससे सभी सशंकित रहते हैं। स्थानीय निवासी दीपक कुमार बताते हैं कि पुलिया के ऊपर पानी बहने के दौरान कई वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। कई बार गाय-भैंस भी इस नाले में गिरकर घायल हो चुकी हैं। वर्षों पूर्व यह पुलिया टाटा मोटर्स ने सामुदायिक सेवा विभाग की ओर से बनाई गई थी, लेकिन उसके बाद कभी इसकी मरम्मत नहीं की गई और न ही इसकी ऊंचाई बढ़ने पर विचार किया गया। पुलिया का निर्माण 1970 के दशक में हुआ है। परेशानी यह है कि एक तो पुलिया की ऊंचाई कम है। दूसरा नाले की चौड़ाई कम होने के कारण बारिश के दौरान गंदा पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। बस्ती के लोगों ने पुलिया की चौड़ाई व ऊंचाई बढ़ने के लिए आंदोलन भी किया।

सोपोडेरा पुलिया : बरसात में गदरा पुलिया के ऊपर से बहता है पानी

गोविंदपुर से राहरगोड़ा, बारीगोड़ा व बावनगोड़ा जोड़ने वाली गदरा पुलिया की तो हालत काफी खस्ता हो गई है। बरसात के दिनों में इसके ऊपर से नाले का पानी बहता है। आवागमन बाधित हो जाता है जिससे बस्तीवासी काफी परेशान हो जाते हैं। पुल की मरम्मत को लेकर बस्तीवासियों ने जिला प्रशासन व राजनेताओं से गुहार लगाई है, लेकिन हर बार उन्हें कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया जाता है।

भारी वाहनों के गुजरने पर कांपती है दबांकी पुलिया

हाता-जादूगोड़ा मुख्य पथ पर 60 वर्ष पहले बनी दबांकी पुलिया बहुत कमजोर हो गई है। पुलिया से जब भी कोई भारी वाहन गुजरता है तो यह कांपने लगती है। इसके बावजूद इस पुलिया से हर दिन दर्जनों आयरन ओर और पत्थर लदे ट्रकों का परिचालन हो रहा है। अधिक भार से यह पुलिया कब ढह जाए यह कोई नहीं बता सकता। पुलिया के ऊपर भी कई जगहों पर दरारें व कहीं-कहीं बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। पिछले दिनों पुलिया में बने गड्ढों में पथ निर्माण विभाग ने बोल्डर (पत्थर) डालकर अपना काम पूरा कर लिया है। वाहनों के आवागमन के अनुसार यह काफी संकरी है।

बहुत मुश्किल से गुजरते हैं बरसात के दिन: बरसात के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि कैनाल में पानी भर जाने से रास्ता पानी से लबालब हो जाता है और शाम होते ही दिखाई नहीं देता, जिसका परिणाम यह होता है कि मरीजों या अन्य जरूरतमंदों को जमशेदपुर लंबा घूमकर जाना पड़ता है।

 पुलिया निर्माण की बाट जोह रहे हैं ग्रामीण

 पोटका-हाता रोड पर स्थित दबांकी पुलिया की पथ निर्माण विभाग ने रविवार को मरम्मत करा दी है। पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता नर्मदेश्वर सहाय ने पुलिया का मुआयना किया और इसके बाद विभाग के जूनियर इंजीनियर व असिस्टेंट इंजीनियर को निर्देश देकर इसकी मरम्मत कराई। उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने कार्यपालक अभियंता को इस पुलिया की मरम्मत कराने का निर्देश दिया था। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि अभी अस्थायी मरम्मत करा दी गई है।


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