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रफ्तार पकड़ते हाट बन जाती अंग्रेजों के जमाने की रेललाइन पर चलनेवाली यह ट्रेन

झारखंड के टाटानगर से ओडिशा के बादाम पहाड़ तक हर दिन दौड़ने वाली यह पैसेंजर ट्रेन अपने रेलमार्ग की इकलौती सवारी गाड़ी है। इसके ठहरते ही यात्री ही नहीं यात्राएं भी ठहर जाती हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 06:32 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:20 AM (IST)
रफ्तार पकड़ते हाट बन जाती अंग्रेजों के जमाने की रेललाइन पर चलनेवाली यह ट्रेन
रफ्तार पकड़ते हाट बन जाती अंग्रेजों के जमाने की रेललाइन पर चलनेवाली यह ट्रेन

जमशेदपुर [गुरदीप राज]।  जी हां, यह कहानी है एक अनूठे सफर की। अंग्रेजों के जमाने में बनी इस रेललाइन पर आज केवल एक ही ट्रेन दौड़ती है। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी एक समय इस ट्रेन से सफर किया करती थीं। पड़ोसी राज्य ओडिशा के रायरंगपुर स्थित राज्यपाल के गांव को यह ट्रेन देश से जोड़ती है।

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यूं तो आपने ट्रेनों में घूमते फेरीवाले बहुत देखे होंगे, लेकिन एक ट्रेन ऐसी है जो रफ्तार पकड़ते ही हाट-बाजार बन जाती है। झारखंड के टाटानगर से ओडिशा के बादाम पहाड़ तक हर दिन दौड़ने वाली यह पैसेंजर ट्रेन अपने रेलमार्ग की इकलौती सवारी गाड़ी है। इसके ठहरते ही यात्री ही नहीं यात्राएं भी ठहर जाती हैं।

साढ़े चार घंटे में आठ स्टेशनों का सफर

टाटानगर से बादाम पहाड़ स्टेशन की दूरी 108 किलोमीटर है। यह अनूठी डीईएमयू ट्रेन आठ स्टेशनों पर आराम से ठहरते हुए करीब साढ़े चार घंटे में दूरी तय करती है। सुबह छह बजे टाटानगर से खुलकर सुबह के साढ़े दस बजे बादाम पहाड़ पहुंचती है। वहां से शाम तक टाटानगर लौट आती है। दक्षिण-पूर्व जोन के चक्रधरपुर रेल मंडल की यह ट्रेन मात्र 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।

झारखंड की राज्यपाल के गांव को जोड़ती यह ट्रेन

झारखंड की राज्यपाल बनने से पूर्व खुद द्रौपदी मुर्मू इसी ट्रेन से होकर टाटा आया करती थीं। रायरंगपुर स्थित उनके गांव को देश से जोड़ने वाली यह इकलौती ट्रेन रही है। एकबार रेलवे के डीआरएम छत्रसाल सिंह राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिलने गए थे, तो राज्यपाल ने भी इस इकलौती ट्रेन की दशा सुधारने की मांग की थी।

ट्रेन खुलते ही सज जाती दुकानें

अभी भी पुरानी और जर्जर दिखने वाली सात बोगियों की इस ट्रेन में टाटानगर से सफर शुरू होते ही तरह-तरह की सब्जी, फल की दुकानें सज जाती हैं। इसके साथ ही भेड़, बकरी, मुर्गी, चावल, दाल, तेल, मशाला, आलू, प्याज, सब्जी, दूध-दही, टमाटर, खीरा, केला, जामुन, सेब, चाउमिन, मोमो आदि भी इस ट्रेन में आपको मिल जाएगा। यानी हाट बाजार में उपलब्ध तमाम चीजों की इसमें खरीद-बिक्री होती हैं। दैनिक यात्री घर लौटते समय खरीदारी तो करते ही हैं, रेलवे स्टेशनों पर जहां भी यह ट्रेन रुकती है, ग्रामीण भी खरीदारी के लिए दौड़ पड़ते हैं।

ट्रेन छूटने पर दूसरे दिन का इंतजार

इस ट्रेन में मिट्टी के बर्तन बेचते कुम्हार भी दिख जाएंगे। अंग्रेजों के जमाने में निर्मित इस रेलमार्ग पर इस ट्रेन को रेलवे धरोहर मानकर चला रहा है। एकल मार्ग होने के कारण इस पर दूसरी ट्रेन नहीं चलती है। इस मार्ग में रहने वाले लोगों लिए इस ट्रेन के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यदि किसी यात्री की ट्रेन छूट गई तो उसे दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है।

बिना टिकट के ही सफर करते हैं अधिकतर यात्री

टाटा-बादामपहाड़ नामक इस पैसेंजर ट्रेन में यूं तो यात्री बड़ी तादाद में मिलेंगे, पर ज्यादातर बेटिकट होते हैं। जब कोई टीटीई के हत्थे चढ़ता है तो जुर्माना अथवा रिश्वत देकर छूट जाता है। इस ट्रेन में बाजार सजाने के लिए दुकानदार भी रिश्वत बांटते हैं। कई बार तो ये टीटीई को साग-सब्जी, मुर्गा, दूध-दही आदि थमाकर बच निकलते हैं। दुकानदार बादामपहाड़ से लौटने के क्रम में टाटानगर स्टेशन से पहले ही ट्रेन से उतर जाते हैं।

अंतिम रेलवे स्टेशन है खनिज संपदा से भरपूर बादामपहाड़

खनिज संपदा से भरपूर बादामपहाड़ गांव ओडिशा का हिस्सा है। आगे कोई रेलमार्ग नहीं है। पहाड़ व घने जंगल हैं। चूंकि यहां लौह अयस्क का भरपूर भंडार है, इसलिए अंग्रेजों ने इसे रेलमार्ग से जोड़ा था। अब रेलवे को इससे आमदनी कम हो रही है, इसलिए इस मार्ग पर विशेष ध्यान नहीं है।

रेलवे करता कार्रवाई

यह सही है कि टाटा-बादामपहाड़ ट्रेन में अवैध रूप से सब्जी, फल वाले विक्रेता चढ़ जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रेन रुकने पर लोग ट्रेन में चढ़ कर खरीदारी भी करते हैं। रेलवे कार्रवाई करता है। इसपर रोक लगाने की कोशिश जारी है।

-एचके बालमुचू, स्टेशन निदेशक, टाटानगर स्टेशन

रेलवे की तय है जिम्मेदारी

ट्रेन को हाट-बजार का स्वरूप देना संभव नहीं है। यह अच्छा भी नहीं होगा। रेलवे की जिम्मेदारी तय है। बेहतर यातायात सेवा मुहैया कराना रेलवे का काम है।

-भास्कर, सीनियर डीसीएम, चक्रधरपुर रेलमंडल

ये भी जानें

-7 डिब्बों वाली ट्रेन में साग-सब्जी के साथ बिकते हैं भेड़, बकरी व मुर्गे भी

- 8 स्टेशनों पर आराम से ठहरते हुए करीब साढ़े चार घंटे में दूरी तय करती है यह ट्रेन

- 108 किलोमीटर दूरी है टाटानगर रेलवे स्टेशन से बादाम पहाड़ स्टेशन के बीच

- 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है चक्रधरपुर रेल मंडल की यह अनूठी ट्रेन

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