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इन युवाओं की तकनीक बचाएगी बाइक सवार की जान

यदि सिर पर हेलमेट नहीं होगा तो आपकी बाइक स्टार्ट ही नहीं होगी। जी हां, यह तकनीक मौत से बचाएगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 06:35 PM (IST)
इन युवाओं की तकनीक बचाएगी बाइक सवार की जान
इन युवाओं की तकनीक बचाएगी बाइक सवार की जान

गुरदीप राज, जमशेदपुर। जमशेदपुर के युवकों ने दोपहिया वाहन चालकों के लिए दो नई तकनीक विकसित की है। जो किसी वरदान से कम नहीं है। सड़क हादसों और गाड़ी चोरी से महफूज रखने वाली ये दोनों अनूठी तकनीक भविष्य में बेहद लोकप्रिय हो सकती हैं।

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आविष्कार करने वाले युवक चाहते हैं कि झारखंड सरकार इस तकनीक को न सिर्फ परख ले बल्कि पेटेंट कराने में भी मदद करे। आइए, जानें इस तकनीक के बारे में।

पहला आविष्कार
बिना हेलमेट स्टार्ट ही नहीं होगी बाइक
यूं तो हेलमेट के बिना मोटरसाइकिल नहीं चलाने की नसीहत आपने कई बार सुनी होगी, कई बार जुर्माने भी भरे होंगे, लेकिन अब एक नई तकनीक आपकी आदत सुधार देगी। यदि सिर पर हेलमेट नहीं होगा तो आपकी बाइक स्टार्ट ही नहीं होगी। जी हां, यह तकनीक मौत से बचाएगी।

इस विशेष तकनीक का आविष्कार किया है एनटीटीएफ यानी नेचर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन के छात्र नेशत अहमद खान ने। इसे नाम दिया है- स्मार्ट हेलमेट सेफ्टी। ट्रांसमीटर व रिसिवर से लैस इस हेलमेट की विशेषता यह है कि यदि बिना हेलमेट पहने आप बाइक स्टार्ट करने की कोशिश करेंगे तो स्टार्ट ही नहीं होगी। चालक को ऐसे में हेलमेट पहनना जरूरी हो जाएगा।

हादसों से बचाने वाली तकनीकयुक्‍त मोटरसाइकिल के साथ नेशात, उसके साथी व अध्‍यापक।

चोरों से महफूज रहेगी बाइक
इसकी दूसरी विशेषता यह है कि आपकी बाइक कोई नहीं चुरा पाएगा। ट्रांसमीटर व रिसीवर डिवाइस लगे होने के कारण अगर कोई बाइक चुराकर भागता भी है तो 100 मीटर चलकर बाइक स्वत: बंद हो जाएगी। चोर को अंतत: बाइक छोड़कर ही भागना पड़ेगा।

इस तरह करता है यह काम
ट्रांसमीटर व रिसीवर में सेंसर के साथ रिले, बैट्री व अन्य छोटे-छोटे उपकरण लगाए गए हैं। एक उपकरण बाइक की सीट के नीचे और दूसरा हेलमेट में लगा होता है। चालक बिना हेलमेट पहने बाइक ऑन कर करेगा तो बाइक स्टार्ट नहीं होगी। जैसे ही वह हेलमेट पहनेगा स्टार्ट हो जाएगी।

सिर्फ दो हजार रुपये में तैयार
एनटीटीएफ के इलेक्ट्रानिक संकाय के तृतीय वर्ष के छात्र नेशत अहमद खान के अनुसार, दो महीने प्रयास के बाद यह बनकर तैयार हो पाया। ट्रांसमीटर व रिसीवर डिवाइस बनाने पर दो हजार रुपये का खर्च आया है। इसे बनाने में उसके साथी छात्र मो. नावेद खान, अंशु कुमार व निशांत कुमार ने भी मदद की।


यह बेहद फायदेमंद उपकरण है। मेरी देखरेख में ही नेशत अहमद ने इसे तैयार किया है। इसका परीक्षण किया गया है जो बेहद सफल रहा है। यदि बाइक चालकों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया जाए तो यह वरदान हो सकता है।
- शारदा जोशी, इलेक्‍ट्रानिक विभाग की इंचार्ज, नेचर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन 

दूसरा आविष्कार
बाइक के साइड स्‍टैंड गिरने से होने वाले हादसे से बचाएगी देशी तकनीक

जमशेदपुर के छोटा गोविंदपुर इलाके के रहने वाले 26 वर्षीय विष्णु शर्मा आर्थिक तंगी के कारण स्नातक नहीं कर पाए। एक दिन बड़ी बहन ने कुछ रुपये दिए। कहा- कुछ नया करो। विष्णु जुट गए आविष्कार में। दो महीने बाद उन्होंने एक अनूठा किट आविष्कार कर दिया। अब घर के हर बंदे को उन पर नाज है। विष्णु इस आविष्कार को पेटेंट कराने के लिए मददगार खोज रहे हैं।

जानिए, क्या है तकनीक
विष्णु शर्मा के अनुसार, उनके किट को अगर किसी बाइक में लगा दिया जाए तो वह तबतक स्टार्ट नहीं होगी जबतक उसके साइड स्टैंड को नहीं उठाया जाए। सड़क पर चलते-चलते किसी कारणवश साइड स्टैंड गिर जाता है तो बाइक बंद होने से पहले झटका देगी। कुछ देर के बाद यह स्वत: बंद हो जाएगी। चूंकि चालक को संकेत मिल जाएगा लिहाजा वह खुद को बचा सकता है। जब स्टैंड उठाया जाएगा तभी बाइक स्टार्ट हो पाएगी।

तकनीकयुक्‍त बाइक।

दूसरी चाबी से नहीं होगी स्टार्ट
विष्णु शर्मा के अनुसार, जिस बाइक में यह किट इस्तेमाल होगी वह दूसरी चाबी से स्टार्ट नहीं होगी। यही नहीं, यदि बाइक की चाबी ढीली होगी तो चारों साइड ब्‍लींकर्स जल उठेंगे। सायरन का शोर गूंज उठेगा। चालक को पता चल जाएगा कि चाबी गिरने वाली है। हां, बाइक सेल्फ से स्टार्ट व सेल्फ से ही बंद होगी।

जानें, कितना आता है खर्च
विष्णु शर्मा के अनुसार, इस देसी किट को तैयार करने में 1000 से 1600 रुपये खर्च आता है।

आगे की क्या है तैयारी
विष्णु शर्मा के अनुसार, भविष्य में एक ऐसी तकनीक विकसित करने की योजना है जो कार चालकों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो। यदि कार चलाते समय चालक को झपकी आए तो सायरन बज उठे। फिर भी चालक नहीं जगे तो स्पीड स्वत: कम हो जाए और धीरे-धीरे कार रुक जाए।

मेरी इच्छा है कि राज्य सरकार खुद इस तकनीक की जांच कराए और केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करे। सरकार पेटेंट कराए ताकि झारखंड का नाम रोशन हो।
- विष्णु शर्मा, आविष्कारक

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