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एक साथ निकली दो मासूमों की अर्थी, सिसक उठा गांव Jamshedpur News

एक साथ दो मासूमों की अर्थी उठी तो पूरा गांव सिसक उठा। दो भाई नदी में नहाने गए थे। एक डूब गया तो दूसरा बचाने लगा और दोनों डूब गए।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 11:58 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 11:58 AM (IST)
एक साथ निकली दो मासूमों की अर्थी, सिसक उठा गांव Jamshedpur News
एक साथ निकली दो मासूमों की अर्थी, सिसक उठा गांव Jamshedpur News

मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम), जासं। हर आंखें नम और दिल में दो मासूमों को खोने का गम। जब पूर्वी सिंहभूम के इस गांव में एक साथ दो मासूमों की अर्थी उठी तो पूरा गांव सिसक पड़ा। अर्थी को कांधा देते हुए परिजनों व रिश्‍तेदारों का कलेजा बैठ गया।

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मुसाबनी थाना क्षेत्र के माहुलबेड़ा प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय के समीप तालाब में डूबने से मुसाबनी वन निवासी पंडित सीताराम जोशी के 13 वर्षीय पुत्र शौर्य जोशी उर्फ किशन और 12 वर्षीय नाती आकाश उर्फ आकू की मौत हो गई। दोनों गणेश पूजा पंडाल घूमते हुए माहुलबेड़ा पहुंच गए और वहां तालाब में नहाने लगे। इसी क्रम में डूब गए। सीताराम पंडित मुसाबनी थ्री विश्वनाथ मंदिर के पुजारी हैं।

एक-दूसरे को बचाने में डूबे दोनों

पंडित सीताराम जोशी ने बताया कि वह घर में सोए हुए थे। दोनों बच्‍चे तालाब तक कैसे पहुंच गए इसकी जानकारी नहीं है। लोगों ने कहा कि मारिचझोपड़ी के एक व्यक्ति तालाब के पास गाय चरा रहा था। उसी ने देखा कि एक बच्चा डूब रहा है। दूसरा उसे बचाने की कोशिश कर रहा है। उसने आसपास के लोगों को आवाज दी। लोगों ने दोनों को तालाब से निकाला। तबतक दोनों की मौत हो चुकी थी। शौर्य जोशी उर्फ किशन सरस्वती शिशु मंदिर मुसाबनी वन में कक्षा छह का छात्र था। आकाश जोशी कक्षा पांच में पढ़ता था।

शव यात्रा में शामिल लोगों के कदम डगमगाए

दोनों की एक साथ शव यात्रा सीताराम पंडित के घर से निकाली गई तो समूचा शहर व मुहल्ला गमगीन हो गया। कल तक जिन्हें लोगों के साथ खेलते-कूदते हंसते मिलते देखा गया, उसकी अर्थी निकली तो शहर में शोक छा गया। शवयात्रा में शामिल लोगों के कदम लड़खड़ा रहे थे।

बेटे का शव देखते बेहोश हुई मां

दो भाइयों की मौत से पंडित सीताराम शर्मा के घर का चिराग ही बुझ गया। वहीं बेटे की मौत की खबर सुनते ही मां पिनु उर्फ प्रेमा शर्मा बेसुध खोकर बेहोश हो गई। वह अपने लाडले का शव एकटक निहारती रही। उसे यकीन नहीं था कि हंसते खेलते उसका बेटा उसे छोड़कर इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिए चला गया है। मां बाप, नाना नानी के दर्द को देखकर यह असहास किया जा सकता था कि घर के बेटे को खाने का दर्द क्या होता है।

नाना के यहां रहकर पढ़ते थे बच्चे

शौर्य जोशी उर्फ किशन एवं आकाश अपने नाना के यहां रहकर पढ़ते थे। नाना सीताराम शर्मा ने शौर्य जोशी उर्फ किसन को अपना पुत्र बना कर गोद लिया था। पूजा पाठ एवं दुकान से जितनी कमाई होती थी उस पैसे से अपने गोद लिए बेटे किशन एवं नाती आकाश का पालन पोषण कर रहे थे। घर में चंचल एवं चुलबुल होने के कारण वह पूरे परिवार का लाडला बन गया था। छोटा परिवार होने के चलते हंसी खुशी से जीवन गुजार रहे थे। तभी उनके जीवन में कहर टूट पड़ा।

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