Transporter Upendra singh Murder Case: बागबेड़ा निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की हत्या में दो पुलिस अधिकारी की हुई गवाही
Transporter Upendra singh Murder Case. अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रभाकर सिंह की अदालत में बागबेड़ा निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की हत्या में सोमवार को पुलिस अधिकारी रामेश्वर उरांव और अंजनी कुमार की गवाही हुई। दोनों अधिकारियों ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता : अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रभाकर सिंह की अदालत में बागबेड़ा निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की हत्या में सोमवार को पुलिस अधिकारी रामेश्वर उरांव और अंजनी कुमार की गवाही हुई। दोनों अधिकारियों ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया। हत्या मामले से जुड़ी घटना को अदालत को बताया। हत्याकांड के अनुसंधान पदाधिकारी रामेश्वर उरांव थे जो घटना के समय सीतारामडेरा थाना प्रभारी थे। वर्तमान में डीएसपी थे। अदालत को रामेश्वर उरांव ने बताया 30 नवम्बर 2016 को उन्हें सूचना मिली। जमशेदपुर न्यायालय के बार एसोसिएशन के दूसरे तल्ले पर गोली चली है।एक की मौत हो गई है। दो लोगो को भीड़ ने पकड़ा है। मौके पर पर पहुंचे। मृतक उपेन्द्र सिंह था। पिस्तौल के साथ पकड़े गए दो युवक विनोद सिंह और सोनू सिंह। दोनों से पूछताछ में जानकारी मिली हरीश सिंह और अखिलेश सिंह के कहने पर उपेन्द्र सिंह की हत्या कर दी। सीताराम डेरा थाना में उपेन्द्र सिंह के परिचित कुंदन सिंह की शिकायत पर अखिलेश सिंह, हरीश सिंह, जसवीर सिंह, बलबीर सिंह, विनोद सिंह, सोनू सिंह , शिवा समेत अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोपितों को गिरफ्तार किया गया । आरोप पत्र समर्पित किया गया। गवाहों का बयान लिया। गौरतलब है कि रामेश्वर उरांव के जिला से तबादले बाद अंजनी कुमार ने हत्या के अनुसंधान का चार्ज लिया था। अंजनी कुमार ने भी गवाही दी। अबतक उपेंद्र सिंह की हत्या मामले में 18 गवाहों की गवाही हो चुकी है। गवाहों में उपेंद्र सिंह का पुत्र अनिल पंचम, हवलदार बचन सिंह, कुंदन समेत अन्य शामिल है। 30 नवंबर 2016 को उपेंद्र सिंह की अदालत परिसर के बार भवन के दूसरे तल्ले पर अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस के अनुसंधान में बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट के पास अनिल सिंह की होटल में हत्या की योजना बनाने की बात सामने आई थी। हालांकि अनिल सिंह और उसके कर्मचारी ने गवाही में इससे इंकार कर दिया। अखिलेश सिंह और हरीश सिंह और अन्य आरोपितों की पहचान से इंकार कर दिया था।