अप्रीत व लखन का ऑपरेशन सफल, अब बोलेंगे और सुनेंगे Jamshedpur News
बोलने और सुनने में अक्षम अप्रीत और लखन की अब जिंदगी ही बदल गई है। कुछ हफ्तों के बाद अप्रीत बोलने लगेगा और लखन भी सुनने लगेगा। दोनों का ऑपरेशन सफल रहा है।
जमशेदपुर (जासं)। बोलने और सुनने में अक्षम अप्रीत और लखन की अब जिंदगी ही बदल गई है। कुछ हफ्तों के बाद अप्रीत बोलने लगेगा और लखन भी सुनने लगेगा। टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में दोनों मासूमों का रविवार को सफल ऑपरेशन हुआ। सरायकेला-खरसावां के मीरूडीह गांव निवासी साढ़े चार वर्षीय लखन मंडल और देवघर के जसीडीह निवासी दो वर्षीय अप्रीत कुमार का टीएमएच में कॉकलियर इम्प्लांट किया गया।
यह कारनामा कर दिखाया मध्यप्रदेश के भोपाल से आए कॉकलियर इम्प्लांट एंड ईएनटी सर्जन डॉ एसपी दूबे ने। बाहर बैठे डॉक्टरों व बच्चों के परिजनों ने वीडियो के माध्यम से ऑपरेशन होते देखा। दोनों के सफल इम्प्लांट के बाद परिजनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। परिजनों ने कहा कि अब मेरा बेटा सुनेगा और बोलेगा भी। एपिड योजना के तहत दोनों बच्चों का चयन हुआ था। इसका पूरा खर्च सरकार ने वहन किया।
भोपाल से आये इम्प्लांट एंड ईएनटी सर्जन डॉ एसपी दूबे ने पत्रकारों से कहा कि एपिड स्किम के तहत केंद्र सरकार इस तरह का ऑपरेशन कराती है। अब तक टीएमएच में इसके छह ऑपरेशन हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि टाटा कंपनी के डोनेशन से अन्य राज्यों में एक सौ से ज्यादा बच्चों का इम्प्लांट कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मूक -बधिर बच्चों का पाच साल के पहले अगर ऑपरेशन कर दिया जाता है तो वे सामान्य बच्चों की तरह बोलने व सुनने लगते हैं।
इस दौरान कॉकलियर इम्प्लांट एंड ईएनटी रोग सर्जन डॉ एसपी दूबे के अलावा टीएमएच के चीफ मेडिकल इंडोर सर्विसेस डॉ केपी दुबे, ईएनटी रोग विभागाध्यक्ष डॉ अजय गुप्ता, कंसलटेंट डॉ विनायक बरुवा, डॉ अभिजीत कुमार व डॉ आलोक कुमार मौजूद थे। ऑपरेशन के दौरान एएमआरइ अस्पताल कोलकाता के पाच डॉक्टर सहित टीएमएच, टेल्को सहित अन्य अस्पताल के डॉक्टरों ने उपस्थित होकर ऑपरेशन को देखा। सर्जन से अपने सवाल पूछे व जानकारी ली।
मध्यप्रदेश जैसा झारखंड में चलनी चाहिए योजना
डा. एसपी दूबे भोपाल से आये डा. एसपी दूबे ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार मूक-बधिर बच्चों के लिए बाल श्रवण योजना चला रही है। इसके तहत अभी तक दो हजार से ज्यादा बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। झारखंड में भी इस तरह की योजना चालने की जरूरत है। ताकि, यहा के गरीब अपने बच्चों का ऑपरेशन करा सकें। उन्होंने कहा कि इससे पहले जयपुर, छत्तीसगढ़, केरल सहित 12 राज्यों में ऑपरेशन हो चुका है। उन्होंने कहा कि डॉ केपी दुबे के प्रयास से टीएमएच में इस तरह का ऑपरेशन शुरू हुआ। ऑपरेशन के बाद सप्ताह में दो दिन बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है। जिसके बाद बच्चे पूरी तरह से सामान्य हो जाते हैं।
खेती कर परिवार चलाते हैं अप्रीत के पिता, लखन के पिता करते ठेकेदारी
अप्रीत के पिता गौतम कुमार ने बताया कि वे खेती कर किसी तरह परिवार चलाते हैं। अप्रीत बचपन से ही नहीं बोलता था। वह काफी परेशान रहते थे। पैसा नहीं था कि इलाज करा सकें। जहा भी जाते ऑपरेशन के लिए छह से सात लाख रुपये की मांग की जाती थी। जबकि, लखन मंडल के पिता भीम मंडल ने बताया कि वे ठेकेदारी में काम करते हैं। बचपन से वह सुन नहीं सकता था, लेकिन आज ऑपरेशन होने के बाद बेटा सुन सकेगा। आज सफल ऑपरेशन होने के बाद बहुत खुशी हुई। अब बोल सुन सकेगा।