तीन युवाओं ने ठानी और जलने लगी ग्रामांचल में शिक्षा की मशाल
तीन युवकों ने ठानी और कर दी फूलो-झानो अध्ययन केंद्र की शुरुआत। इस केंद्र में ग्रामीण बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कर न सिर्फ भविष्य संवार रहे हैं बल्कि कई ऐसे बच्चे जो पढ़ाई
जमशेदपुर [दिलीप कुमार] । शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने और बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने की तीन युवकों ने ठानी और कर दी फूलो-झानो अध्ययन केंद्र की शुरुआत। इस केंद्र में ग्रामीण बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कर न सिर्फ भविष्य संवार रहे हैं बल्कि कई ऐसे बच्चे जो पढ़ाई कर जीवन में कुछ करना चाहते हैं, उन्हें नई राह भी दिखा रहे हैं। जमशेदपुर प्रखंड के पलासबनी गांव के श्रीघुटु टोला में स्थित फूलो-झानो अध्ययन केंद्र में फिलहाल 35 बच्चे निश्शुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां हर शनिवार को शाम चार से छह और रविवार को सुबह दस से 12 बजे तक विद्यार्थियों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है।
यूं शुरु हुई बात
सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार सोरेन पलासबनी के श्रीघुटु गए थे। चर्चा के दौरान गांव के सुकु मुर्मू और केशव टुडू ने शिक्षा के गिरते स्तर पर बात की। दिलीप कुमार सोरेन ने शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और ग्रामीणों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए स्वयं पहल करने की बात कही। उन्होंने कहा कि श्रीघुटु के लोग ग्राम सभा को छोड़कर किसी भी मामले में संगठित नहीं है। युवाओं को ही पहल करनी होगी। चर्चा के दौरान गांव में बच्चों के लिए निश्शुल्क शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। इस पर सुकु मुर्मू ने अपने घर में बच्चों के पढऩे की व्यवस्था करने की बात कही। निर्णय को अमलीजामा पहनाया भिलाई पहाड़ी में रहने वाले तारापोर कंपनी के सेवानिवृत कर्मचारी गोपाल उर्फ सुदीप्तो कुमार और उनकी पत्नी दीपा कुमार ने। उनके साथ बच्चों को शिक्षित करने में गांव के शिक्षित युवा भी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
दीपा को कई स्कूलों में पढ़ाने का है अनुभव
पलासबनी के श्रीघुटु में फूलो झानो अध्यक्ष ने केंद्र में बच्चों को पढ़ाने वाली शिक्षिका दीपा कुमार शहर के कई स्कूलों में बच्चों को पढ़ा चुकी है। उन्होंने सेंट जोन इंगलिश हाई सकूल, ब्लू बेल्स इंगलिश हाई स्कूल, बाग ए जमशेद, ट्विंकल नर्सरी, मदर्स होम, मेरी इंगलिश, सुमन दत्ता मेमोरियल, सेंट जोसफ इंगलिश स्कूल आदि समेत कई स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का अनुभव है। दोनों पति-पत्नी अपने अनुभव का प्रयोग बच्चों के बीच शिक्षा के स्तर को गुणवत्ता परख बनाने में कर रहे हैं।
अब ओलचिकी की शिक्षा भी
फूलो-झानो अध्ययन केंद्र में आने वाले रविवार से ओलचिकी भाषा की भी पड़ाई शुरू की जाएगी। केंद्र में विमल मुर्मू बच्चों को निश्शुल्क ओलचिकी की शिक्षा देंगे। इसके साथ ही केंद्र में अब बच्चों को तीन दिन शिक्षा दी जाएगी। शनिवार व रविवार के अलावे बुधवार को भी यहां शाम चार से छह बजे तक बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। फिलहाल यहां कक्षा एक से छह तक के बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
किसान हैं सुकु मुर्मू
पलासबनी के श्रीघुटु में सुकु मुर्मू के घर फूलो-झानो अध्ययन केंद्र संचालित हो रहा है। शिक्षा के प्रति जागरूक सुकु मुर्मू किसान हैं। उनके दो बच्चें भी यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं। उन्होंने बताया कि सहयोगी मिले तो बच्चों को निश्शुल्क किताब व कॉपी भी बांटी जाएगी।