रविवार को घूम-घूमकर औषधीय पौधे बांटती हैॅ यह Jamshedpur News
कोरोना काल में भी इस अभियान का निरंतर जारी रखते हुए आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल ने आम जनता के बीच अलग पहचान कायम कर ली है।
जमशेपुर (जागरण संवाददाता)। शहर में प्रत्येक माह के रविवार को आम जनता के बीच निश्शुल्क औषधीय पौधों का वितरण किया जाता है। कोरोना काल में भी इस अभियान का निरंतर जारी रखते हुए आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल ने आम जनता के बीच अलग पहचान कायम कर ली है।
आनंदमार्ग से जुड़े सुनील आनंद ने बताया कि उनकी टीम फल, फूल के अलावा औषधीय पौधों का वितरण कर रही है। औषधीय पौधों में गिलोय, तुलसी, घृतकुमारी, आंवला आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक महीने के रविवार को पौधा का वितरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक महीने के अंतिम शनिवार को जमशेदपुर ब्लड बैंक में आनंद मार्ग की ओर से आयोजित रक्तदान शिविर में भाग लेने वाले रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनके इच्छानुसार पौधे दिए जाते हैं।
सोशल मीडिया से प्रचार कर संचालित किया जा रहा अभियान
पूरे विश्व में तेजी से फैल रही कोरोना वायरस के कुप्रभावऔर उससे उत्पन्न महामारी की स्थिति को देखते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से निश्शुल्क पौधा वितरण का प्रचार किया गया। इस प्रचार से लोगों ने अपनी जरूरत के हिसाब से पौधे की चाहत बताई। इसके बाद संस्था की ओर से प्रत्येक इलाके में घूम घूम कर लगभग 50 गिलोय त्रिफला का पौधा (आंवला, हरे, बहेरा ) पथरकूची पौधा का वितरण किया गया। आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल एवं प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एंड प्लांट्स (PCAP)जमशेदपुर की ओर निशुल्क पौधा वितरण कार्यक्रम क्रोना वायरस के दुष्प्रभाव के कारण सोशल डिस्टेंस, हैंड ग्लब्स व मास्क पहनकर शहर में घूम घूम कर सोनारी, टेल्को, बर्मामाइंस एवं कदमा इच्छा अनुसार लोगों के बीच पौधा वितरित किया गया।
प्रत्येक व्यक्ति को दिए गए दो-तीन तरह के पौधे
प्रत्येक व्यक्ति को दो-तीन तरह के पौधे दिए गए। इस कार्यक्रम में राकेश कुमार एवं सुनील आनंद का सहयोग रहा सुनील आनंद ने पर्यावरण के महत्व के विषय में बताते हुए कहा कि सन 1980 के बाद से धरती की सतह का औसत तापमान तकरीबन एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। नासा का कहना है कि यह गर्मी कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन ग्रीन हाउस गैसों और पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के कारण उत्पन्न हुई है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई ने इस समस्या को गंभीर कर दिया है जो कार्बन डाइऑक्साइड पेड़-पौधे सोख लेते थे वह अब वातावरण में घुल रही है।
एक डिग्री तापमान बढ़ने से पैदावार में तीन से सात फीसद गिरावट का अनुमान
दूसरी ओर ब्रिटिश मौसम वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगले 5 साल पिछले 10 वर्षों के मुकाबले अधिक सर्वाधिक गर्म रहने वाले हैं तापमान बढ़ने का सीधा असर खेती किसानी पर पड़ेगा और पैदावार कम हो जाएगी कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक डिग्री तापमान बढ़ने से पैदावार में 3 से 7 फ़ीसदी की कमी आ जाती है भारत में पर्यावरण को लेकर एक बड़ा खतरा पॉलिथीन और प्लास्टिक से भी है आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल जमशेदपुर की ओर से इस समस्या से उबरने के लिए एक छोटा सा प्रयास संस्था की ओर से की जा रही है।