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जनता के खजाने को चूना: बिजली, पानी न सड़क और बना दिए 3.75 करोड़ का अस्पताल

जब बिजली कनेक्शन ही नहीं तो क्यों इसी जगह पर अस्पताल बना? जब पीने का पानी ही नहीं तो अस्पताल चलेगा कैसे?

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 06:41 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 10:00 AM (IST)
जनता के खजाने को चूना: बिजली, पानी न सड़क और बना दिए 3.75 करोड़ का अस्पताल

जमशेदपुर (विश्वजीत भट्ट)। संवेदनशून्य व्यवस्था। विवेकहीन हाकिम। नतीजा, बेमौत मरते लोग और अपने जमींदोज होने का इंतजार करता 3.75 करोड़ रुपये का अस्पताल। गांव के एक निरक्षर मंगरू कालिंदी का सवाल कि जब राष्ट्रीय राजमार्ग-33 से अस्पताल भवन पहुंचने तक सड़क ही नहीं, तो इतना बड़ा अस्पताल किस बिनाह पर बना दिया गया? 

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जब बिजली कनेक्शन ही नहीं तो क्यों इसी जगह पर अस्पताल बना? जब पीने का पानी ही नहीं तो अस्पताल चलेगा कैसे? सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर सरकार के मंत्री व अधिकारियों ने कौन-सी पढ़ाई पढ़ी है कि उनको यह समझ में नहीं आया कि उनके ऐसे निर्णय से जनता के खजाने का 3.75 करोड़ पानी में बह जाएगा। यह धालभूगढ़ और गुड़ाबांधा प्रखंड के डेढ़ लाख लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का गला घोटना है।

दरअसल, पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर धालभूमगढ़ प्रखंड के नरसिंहगढ़ में एनएच-33 से एक किलोमीटर दूर गांव में 3.75 करोड़ रुपये की लागत से बननेवाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का शिलान्यास तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानुप्रताप शाही, मंत्री सुदेश महतो, सांसद सुमन महतो व विधायक प्रदीप कुमार बलमुचू ने किया। 2012 में आलीशान और भव्य अस्पताल भवन बनकर तैयार भी हो गया। लेकिन, अभी तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ है। अब अस्पताल भवन ढहने का इंतजार कर रहा है। कोई भी सरकारी योजना बनती है तो बिजली, पानी व सड़क आदि बुनियादी जरूरतों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन इस योजना को बनाते समय किसी ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया।

करोड़ों रुपयों के उपकरण लेकिन चहारदीवारी ही नहीं

इस अस्पताल में प्रसव गृह, पैथोलैब, एक्सरे कक्ष, इनडोर-आउटडोर भवन, कार्यालय, भंडार गृह, मीटिंग हॉल, डॉक्टर्स क्वार्टर, कर्मचारी निवास बनाए गए। लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से जरूरी उपकरण भी खरीद लिए गए हैं। लापरवाही की हद देखिए कि भवन की चहारदीवारी नहीं बनाई गई है।

पंखा, खिड़की व नल की टोटी तक चुरा ले गए चोर

'चतुरÓ सरकार और 'परम ज्ञानीÓ हाकिमों ने शायद यह भवन चोरों व पियक्कड़ों के लिए बनाया था। तभी तो चोर व पियक्कड़ इस भवन की चिंदी-चिंदी उखाड़कर ले गए। 50 से अधिक पंखे, वायङ्क्षरग, नल व टोटी, खिड़की-दरवाजे सहित हर वो चीज गायब कर दिया जो गायब की जा सकती थी। अब जमींदोज होने के लिए शेष रह गया भवन हाकिम, सरकार और बीमार लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है।

बर्बादी के बावजूद रखी गई दो नई योजनाओं की नींव

चौंकाने वाली बात यह है कि करोड़ों की बर्बादी के बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन से सटे 1,55,91,918 रुपये की लागत से 50 शैया वाले ग्रामीण अस्पताल भवन का काम भी शुरू हो गया। इसी से सटे 2,41,89,640 रुपये की लागत से जीएनएम स्कूल का निर्माण भी शुरू हो गया। इन दोनों भवनों का शिलान्यास सितंबर 2017 में हुआ। 10-15 दिन काम चलने के बाद अभी काम ठप है। सवाल यह है कि जब यहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं, बिजली नहीं, पीने के लिए पानी नहीं तो फिर उसी जगह पर लगभग 4.50 करोड़ रुपये क्यों जमीन में गाड़े जा रहे हैं?

मुख्यमंत्री जनसंवाद में भी उठा मामला, नतीजा शून्य 

नरसिंहगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को शुरू कराने की मांग इलाके के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जनसंवाद में कई बार उठाया। हर बार अस्पताल शुरू करने का आश्वासन मिला, लेकिन अब तक नजीता शून्य है। इधर, अस्पताल के खिड़की-दरवाजे, पंखे-वायङ्क्षरग की चोरी की प्राथमिकी धालभूमगढ़ थाने में दर्ज कराई गई। छह वर्षों में पुलिस न एक चोर पकड़ पाई और न ही एक मीटर तार ही बरामद कर पाई। पंखे, खिड़की-दरवाजों की बात कौन करे।

दड़बे में चल रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

इस समय एक दड़बे जैसे भवन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है। केंद्र की बड़ा बाबू की मानें तो इस केंद्र में हर रोज औसतन 75 से 100 मरीज आते हैं। सुविधाओं के अभाव में मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है। उन्हें कहीं अन्यत्र जाने की सलाह दी जाती है। 

सिर्फ एक डाक्टर के भरोसे पूरा इलाका

यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक ही डॉक्टर के भरोसे पूरे इलाके को निरोग बना रहा है। डॉक्टरों और कर्मचारियों की घोर कमी कोढ़ में खाज का काम कर रही है। ये है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वीकृत पदों और तैनात डॉक्टर व कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति। 

पदनाम   स्वीकृत पद     तैनाती 

डॉक्टर    07                01 

प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक 01     00

महिला स्वास्थ्य परिदर्शिका 02 00

लिपिक 02                    01 

फार्मासिस्ट 01                 01

एएनएम 01                    01

संगणक 01                    00

स्वच्छता निरीक्षक 01          00

ड्रेसर 01                      00

चालक 01                दो अस्थाई

आदेश पाल 01                00

पुरुष कक्ष सेवक 01           00

महिला कक्ष सेवक 01         00

स्वीपर 01                     01

रात्रि प्रहरी 01                 01

हर साल ये बीमारियां मचाती हैं हाहाकार

धालभूमगढ़ और गुड़ाबांधा प्रखंड में हर साल डायरिया, मलेरिया, निमोनिया, जॉन्डिस, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस और खसरा जैसी घातक बीमारियां लोगों पर कहर बन कर टूटती हैं। लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं।

कहां कितनी आबादी

- धालभूमगढ़ प्रखंड : पंचायत 11, गांव 108, आबादी एक लाख

- गुड़ाबांधा प्रखंड : पंचायत 8, गांव 83, आबादी 43700 

चालू कराने के होंगे प्रयास

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उस भवन का उपयोग नहीं हो पाया, लेकिन लंबे समय तक उस भवन में सीआरपीएफ के जवान रहे हैं। अब उस भवन को चालू करने के प्रयास किए जाएंगे। एक रिपोर्ट भी संबंधित मंत्रालय को भेजी जा चुकी है। 

- अमित कुमार, जिला उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम


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