यह आम डॉग नहीं है जनाब, इसकी खासियत कर देगी हैरान ; ये रही इसकी पूरी कहानी
यह सामान्य डॉग नहीं है। तेज-तर्रार इस डॉग पर हर माह सवा लाख रुपया खर्च होता है। एसी कार में सफर करने वाले डॉग की खासियत आपको हैरान करेगी।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। इस डॉग की कहानी कुछ खास है। नाम है जिंगो, जिसे खास रैंक प्राप्त है। मुसाबनी सीआरपीएफ कैंप में इसकी तैनाती है, जिसे देशभर के जवान सलाम करते हैं। जहां भी जाता इसके जूनियर सलामी देते हैं।
हाल ही में इस डॉग के जबड़े में बड़ा सा ट्यूमर हो गया था, जिसे वेटनरी चिकित्सकों ने सफल सर्जरी कर उसकी जान बचा ली। करीब दो साल से जिंगो के जबड़ा में ट्यूमर था जिसका आकार धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। इलाज में देरी होने से उसके फेसियल नर्व व ब्रेन को क्षतिग्रस्त कर देता। साथ ही खान-पान भी उसका धीरे-धीरे छूट रहा था, जिससे शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाता। इलाज के लिए जिंगो को कई शहरों में ले जाया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। अंत में साकची में डॉ. रोहित राज के पास लाया गया। यहां पर उसकी सर्जरी कर जान बचायी गई। अब यह डॉग पूरी तरह स्वस्थ है।
इनकी सुरक्षा में तैनात रहते दो जवान
तेज-तर्रार इस लेब्राडोर रीट्रिवर नस्ल के डॉग को विशेष ट्रेनिंग हासिल है। इसे इलाज के लिए एयर कंडीशन कार से लाया जा रहा था। इनकी सुरक्षा में दो जवानों को भी तैनात किया गया था। सीआरपीएफ कैंप में खास रैंक मिलने की वजह से इसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। जिंगो की पहल से कई बड़ी घटनाओं को होने से रोका जा सका है। इसकी मदद बम के संदेह होने पर या फिर वीवीआइपी मूवमेंट से पहले बम की पहचान करने के लिए किया जाता है।
हर माह लाख से सवा लाख रुपये होता खर्च
जिंगो सीआरपीएफ कैंप में तैनात है। इसी तरह, पुलिस विभाग व रेलवे में भी अलग-अलग पदों पर डॉग की नियुक्ति होती है। नस्ल व प्रशिक्षण के आधार पर इन्हें पद दिया जाता है। यह डॉग काफी तेज-तर्रार होते हैं। जो काम जवान नहीं कर पाते वह ये कर दिखाते हैं। इनका वेतन भी निर्धारित रहता है। एक डॉग पर हर माह 80 हजार से लेकर सवा लाख रुपये तक खर्च किया जाता है। इनके खाने के मेनू भी अधिकारी ही तय करते है।
आइएसएल में निभाई लीडर की भूमिका
जमशेदपुर में आयोजित आइएसएल (इंडियन सुपर लीग) में जेआरडी कॉम्प्लेक्स की सुरक्षा की जिम्मेदाारी इसी डॉग जिंगो के ऊपर थी। इससे पूर्व भी वह कई बार लीडर की भूमिका निभा चुका है। कोल्हान में जब भी बड़ा आयोजन या फिर घटना होती है तो उसमें जिंगो की विशेष मदद ली जाती है। आइएसएल में देशभर से फुटबाल टीमें ने भाग लिया था।
दो माह के इलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ
डॉक्टर रोहित राज।
जिंगो का ट्यूमर होने का मुख्य कारण पैपोलिया वायरस, जेनेटिक या फिर उम्र है। उसके आंख के निचले हिस्से में भी एक छोटा का ट्यूमर हो गया था, जो कॉर्निया से बार-बार टकरा रहा था। इससे रोशनी जाने की खतरा था। करीब दो माह इलाज चला। अब जिंगो पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है।
- डॉ. रोहित राज, वेटनरी विशेषज्ञ।