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इस पुल ने बदल दी दस गांवों की अर्थव्यवस्था, जानिए बदलाव की कहानी

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम से गुजरनेवाली स्वर्णरेखा नदी पर बने पुल का अभी उदघाटन नहीं हुआ है। इस पुल की वजह से 10 गांवों की अर्थव्यवस्था बदल गई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 12:01 PM (IST)
इस पुल ने बदल दी दस गांवों की अर्थव्यवस्था, जानिए बदलाव की कहानी
इस पुल ने बदल दी दस गांवों की अर्थव्यवस्था, जानिए बदलाव की कहानी

जमशेदपुर [निर्मल प्रसाद]। इस पुल ने दस गांवों की अर्थव्यवस्था बदल दी है। इन गांवों के लोग स्वरोजगार की बदौलत बेहतर भविष्य की उम्मीदों से उत्साहित हैं। यह बात अलग है कि झारखंड के पूर्वी सिंहभूम से गुजरनेवाली स्वर्णरेखा नदी पर बने दोमुहानी पुल का अभी उदघाटन नहीं हुआ है। कभी नाव से जमशेदपुर शहर आने को मजबूर ग्रामीण अब अपने क्षेत्र में ही सब्जी बाजार लगाते हैं। शहर के लोग ही उनके पास जाकर सब्जी खरीदते हैं।

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दोमुहानी पुल के उस पार डोबो, रूगड़ी, धनीगोड़ा, पूरीसिलीगोड़ी, कांटी पत्थर, दोमुहानी, चिरीगोड़ा, कमरगोड़ा और कांदरबेड़ा जैसे छोटे-बड़े कई गांव हैं। इनकी कुल आबादी करीब दस हजार के आसपास होगी। यहां के ग्रामीण सब्जियों की खेती कर अपना जीवन यापन करते हैं। पुल बनने से पहले स्थानीय निवासियों को आधे-पौने दाम पर सब्जी बेच दिया करते थे।

शहर से हो गई सीधी पहुंच

पुल बनने के बाद जमशेदपुर शहर के बाजार तक इनकी सीधी पहुंच हो गई है। यही नहीं, कुछ स्थानीय किसान तो कपाली छोर की ओर पुल के नीचे ही सब्जी बाजार सजाने लगे हैं। यहां शहरवासियों को ताजी और सस्ती सब्जियां मिलने लगी हैं। बाजार इस कदर जम गया है कि यहां सब्जियों के अलावा मछली बाजार, चाय और नाश्ते की दुकानें भी ग्राहकों का स्वागत करने लगी हैं।

चार से पांच गुना ज्यादा महंगी हुई जमीन

पुल बनने से पहले कपाली छोर की जमीन कोई नहीं पूछता था। लेकिन पुल निर्माण की घोषणा के साथ यहां की जमीन की कीमत आसमान छूने लगी है। यहां पर पहले जो जमीन दस से 12 हजार रुपये कट्ठा थी। अब 50 हजार से 80 हजार रुपये कट्ठा नहीं मिल रही है।

कई रेस्टोरेंट वाले बन गए हैं ग्राहक

धनीगोड़ा निवासी मुकेश बताते हैं कि पुल बनने के बाद जमशेदपुर शहर के कई होटल और रेस्टोरेंट वाले उनके ग्राहक बन गए हैं। हर दिन खुद यहां आकर सब्जियां, टमाटर, मिर्च, धनिया, बिन्स, गाजर आदि कम पर कीमत पर खरीदकर ले जाते हैं। हर दिन सुबह छह से नौ बजे तक यह बाजार लगता है। जमशेदपुर के अधिकतर लोग यहां टहलने आते हैं। घर वापसी के समय इसी बाजार से खरीदारी करते हैं।

ग्रामीणों की सुनिए

- हमारे खेतों में टमाटर की अच्छी पैदावार होती है। पहले बड़े बाजार में जा नहीं पाते थे। आधी कीमत पर माल बेचना पड़ता था। अब साइकिल से ही बाजार पहुंचने पर अच्छी कीमत मिल रही है।

-लाल मोहन महतो, रूगड़ी

-पुल बनने के बाद उन्हें बहुत लाभ हो रहा है। पहले हम पुल पार जमशेदपुर छोर की ओर बाजार लगाते थे। पुलिस ने भगाया तो अब कपाली छोर में बाजार लगा रहे हैं। अच्छी आमदनी हो रही है।

-मुकेश महतो, सब्जी विक्रेता, धनीगोड़ा

-पुल बनने से पहले नदी पार करने के लिए हमें घंटों नाव का इंतजार करना पड़ता था। अब पुल बन जाने से जल्दी बाजार पहुंच जाते हैं। नाव का किराया भी बच रहा है।

-हिमानी कर्मकार, सब्जी विक्रेता, कांटी पत्थर

-पुल बनने के बाद नौ माह से यहां दुकान लगा रहे हैं। सुबह टहलने वाले यहां से खरीदारी कर सब्जियां ले जाते हैं। जो बच जाता है उसे सोनारी के बड़े बाजार में ले जाकर बेचते हैं।

-सुनील महतो, सब्जी विक्रेता, डोबा

-नाव से माल बेचने के लिए जाना बहुत कष्टकारी था। अब अपने खेतों में मिर्चा, बैगन, पत्ता गोभी, गाजर, पालक उगाकर बाजार में बेचने से अच्छी आमदनी हो रही है।

-देवेन महतो, सब्जी विक्रेता, कामर गोड़ा

-पुल बनने से हम शहर के एकदम बगल में ताजी सब्जियां शहर पहुंचा रहे हैं। इससे हमारा माल भेजने का खर्च भी कम हो रहा है। आमदनी भी बढ़ रही है। अब हम दलाल को माल देने के बजाए खुद बाजार में माल बेच रहे हैं।

-श्याम देवी, सब्जी विक्रेता, डोबो


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