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सिक्योरिटी गार्ड का बेटा उड़ाएगा वायुसेना का फाइटर प्लेन, झारखंड-बिहार से सिर्फ धीरज का हुआ चयन

झारखंड-बिहार के लिए गर्व की बात है। जमशेदपुर के बारीडीह निवासी स्वर्गीय कमल चौधरी के पुत्र धीरज कुमार चौधरी का चयन वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर हुआ है। इसके लिए उन्होंने पिछले वर्ष अक्टूबर 2020 में लिखित परीक्षा दी थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 04:46 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 07:11 PM (IST)
सिक्योरिटी गार्ड का बेटा उड़ाएगा वायुसेना का फाइटर प्लेन, झारखंड-बिहार से सिर्फ धीरज का हुआ चयन
धीरज कुमार चौधरी के पिता कमल चौधरी वन विभाग में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर ।  झारखंड-बिहार के लिए गर्व की बात है। जमशेदपुर के बारीडीह निवासी स्वर्गीय कमल चौधरी के पुत्र धीरज कुमार चौधरी का चयन वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर हुआ है। इसके लिए उन्होंने पिछले वर्ष अक्टूबर 2020 में लिखित परीक्षा दी थी। उसमें सफलता मिलने के बाद नवंबर में साक्षात्कार और फरवरी 2021 में मेडिकल जांच हुई थी।

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सभी परीक्षा में सफलता मिलने बाद 19 अगस्त 2021 यानी चार दिन पूर्व अंतिम परिणाम जारी हुआ है। इसमें धीरज कुमार चौधरी के नाम भी शामिल हैं। धीरज कुमार चौधरी ने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए कहा कि झारखंड-बिहार से सिर्फ उन्हीं का नाम शामिल हैं। अब पांच सितंबर को हैदराबाद में उन्हें योगदान देने को कहा गया है। इसकी तैयारी में धीरज कुमार चौधरी जुटे हुए हैं।

इलाज के अभाव में पिता की हो गई मौत

धीरज कुमार चौधरी के पिता कमल चौधरी वन विभाग में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे। रिटायर्ड होने के बाद वे किडनी रोग से ग्रस्त हो गए। इस दौरान उनके इलाज में काफी अधिक पैसा खर्च होने लगा। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से वे अपने पिताजी का सही ढंग से इलाज भी नहीं करा पाए और वर्ष 2017 में उनका निधन हो गया। इसके बाद उनके परिवार पर पहाड़ जैसा टूट पड़ा लेकिन धीरज हिम्मत नहीं हारे और भी मेहनत करते गए। अब परिणाम सबके सामने हैं।

गरीबी की वजह से धीरज पढ़ाते थे ट्यूशन

धरीज कुमार चौधरी ने बताया कि वे 12वीं तक की पढ़ाई सिदगोड़ा स्थित राम कृष्ण मिशन स्कूल से की है। इसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई को-ऑरेटिव काॅलेज से की है। इस दौरान वे प्रतियोगिता की तैयारी करते थे लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। फॉर्म भरने के लिए भी उनके पास पैसा नहीं होता था। इसे देखते हुए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया ताकि उनका फॉर्म भरने का पैसा व आने-जाने का भाड़ा निकल सकें। एक समय तो ऐसा आया कि उन्हें लगा कि पढ़ाई छोड़ कहीं काम शुरू कर दें लेकिन सोचा कि अभी समय है। अगर एक बार समय निकल जाए तो फिर दोबारा नहीं आएगा। इसे देखते हुए और भी अधिक मेहनत करने लगे। धीरज चार भाई-बहन हैं। इनमें दो भाई व दो बहन शामिल हैं। धीरज सबसे छोटे हैं।

मेहनत का कोई जवाब नहीं होता

धीरज कहते हैं कि आप जब कोई लक्ष्य तय कहते हैं और उसे हासिल करने के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं तो कई परेशानियां सामने आएंगी और उससे लड़ते हुए आगे बढ़ना होता है। इसमें अगर आप पीछे हटे तो आपकी हार और आगे बढ़े तो आपकी जीत हो जाती है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। कई बार ऐसा लगा कि अब पढ़ाई छोड़ काम में लग जाऊं। कई लोगों सलाह भी देते थे। इससे मनोबल नीचे भी होता था लेकिन मेरा लक्ष्य तय था। मैं अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया। मैं दूसरे लोगों को यही सलाह दूंगा कि आप अपने लक्ष्य के अनुसार मेहनत करें। सफलता जरूर कदम चूमेगी।


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