बाहा बोंगा कर मांगी सुख-समृद्धि, पारंपरिक नृत्य पर थिरका संताल समाज Jamshedpur News
लौहनगरी और आसपास के क्षेत्र में इन दिनों आदिवासी संताल समाज के सबसे बड़ेे पर्व बाहा बोंगा की धूम मची है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। लौहनगरी और आसपास के क्षेत्र में इन दिनों आदिवासी संताल समाज का सबसे बड़ा पर्व बाहा बोंगा की धूम मची है। गांव-गांव में संताल समाज के लोग अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना कर क्षेत्र और समाज की सलामती की कामना कर रहे हैं।
इसी क्रम में शुक्रवार को कीताडीह गांव में आदिवासी संताल समाज ने बाहा बोंगा यानि बाहा पुजा का आयोजन किया। गांव के नायके यानि पुजारी महावीर मुर्मू ने श्रद्धा व भक्ति भाव से प्रकृति से प्राप्त नए सखुआ व महुआ का फल व फूल अर्पित कर मरांग बुरु, ग्राम देव, जाहेर आयो, मोडे व तुरुई को आदि को अर्पित किया।
उन्होंने सभी देवी व देवताओं से प्रार्थना कर सभी ग्रामवासियों के सुख-समृद्धि, खेती-बाड़ी के समय अच्छी बारिश होने और क्षेत्र की सलामती की कामना की। पूजा के बाद सभी ग्रामवासियों ने एक साथ सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद नायके बाबा द्वारा सभी लोगों के बीच महुआ का फूल वितरीत किया गया। जिसे सभी पुरुष अपने कान में और महिलाओं ने अपने जुड़े में लगाया।
शाम को गांव की सभी महिलाएं व पुरूष बाहा नाच करके नायके बाबा को घर तक पहुंचाया। शाम को ही सांककृतिक कार्यक्रम के तहत गांव के महिलाएं व पुरुषों ने पारंपरिक वाद्य यत्रों की थाप पर बाहा नृत्य किया। कीताडीह में शनिवार को बाहा सेंदरा किया जाएगा।
बाहा पूजा को सफल बनाने में जादू मुर्मू, दिलीप हांसद, रामू देवगम, मोतीलाल सुंडी, सनी सामद, बलराम गोप, किशुन मुर्मू, बंगल माझी, बाले मुर्मू, जोक माझी जुझार बास्के, गुरबा हांसदा, होपोन हंसदा, हेमंत सोरेन, किशन सोरेन, सावन हांसदा, खेलाराम सोरेन, रामराय सोरेन, चुन्नू हेंब्रम, मनोज मुर्मू, कुशनु बास्के, राजाराम मुर्मू आदि का सराहनीय योगदान रहा।